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भू-अर्जन में पारदर्शिता की नई पहल: रायगढ़ में एप से होगा ज़मीन और परिसंपत्तियों का डिजिटल सर्वे

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम

रायगढ़ | 24 दिसंबर 2025
रायगढ़ जिले में वर्षों से विवादों और आरोपों में घिरे भू-अर्जन तंत्र को दुरुस्त करने की दिशा में जिला प्रशासन ने एक ठोस और तकनीकी कदम उठाया है। कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी के निर्देश पर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में अब एंड्रॉयड आधारित एप के जरिए सर्वे किया जा रहा है, जिसमें जमीन की वास्तविक स्थिति और उस पर मौजूद परिसंपत्तियों का विवरण मौके से ही दर्ज किया जा रहा है।

जिले में एयरपोर्ट परियोजना और खरसिया–परमालकसा रेलवे लाइन के लिए हो रहे भू-अर्जन में यह नई व्यवस्था लागू कर दी गई है। लंबे समय से यह आरोप लगते रहे हैं कि रायगढ़ में शायद ही कोई ऐसा बड़ा प्रोजेक्ट रहा हो, जिसमें भूमि अधिग्रहण पूरी तरह निष्पक्ष और त्रुटिरहित रहा हो। जमीन की प्रकृति बदलकर मूल्य बढ़ाना, पेड़ों और मकानों की संख्या में हेरफेर करना और परिसंपत्तियों के आकलन में मनमानी—इन सबने न केवल सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि निजी कंपनियों से भी करोड़ों की वसूली का रास्ता खोल दिया।

मौके से दर्ज होगा हर तथ्य
नई व्यवस्था के तहत तैयार किए गए एप में स्थानीय जरूरतों के अनुसार अलग-अलग सेक्शन बनाए गए हैं। पटवारी अब सर्वे के दौरान यह दर्ज करेंगे कि जमीन कृषि है या डायवर्टेड, सिंचित है या एक फसली, पड़ती है या उपजाऊ। इसके साथ ही भूमि पर मौजूद पेड़ों की संख्या, मकान, बोरवेल, कुआं और अन्य परिसंपत्तियों की जानकारी भी एप में फीड की जाएगी। एक खसरा नंबर के साथ दस तक फोटो अपलोड करने की सुविधा रखी गई है, जिससे वास्तविक स्थिति का रिकॉर्ड सुरक्षित रहे।

फिलहाल इस एप का एक्सेस पटवारियों को दिया गया है। वे अपनी लॉगिन आईडी से संबंधित गांव में जाकर सर्वे कर रहे हैं। एयरपोर्ट परियोजना के लिए बेलपाली, औरदा, जकेला और कोंड़ातराई गांवों में इसी एप से सर्वे कार्य चल रहा है। वहीं, खरसिया–परमालकसा रेलवे लाइन से प्रभावित गांवों में भी यही प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

डेटा की जांच के बाद आगे बढ़ेगा अधिग्रहण
एप में डाटा फीड होने के बाद उसका सत्यापन किया जाएगा। जांच के उपरांत ही अधिग्रहण की अगली कानूनी प्रक्रिया—धारा प्रकाशन आदि—आगे बढ़ेगी। यदि किसी स्तर पर गड़बड़ी पाई जाती है तो उसे पकड़ना पहले की तुलना में कहीं अधिक आसान होगा।

प्रशासन एक कदम और आगे बढ़ते हुए एक वेबसाइट भी विकसित करवा रहा है, जिसमें पूरे जिले के भू-अर्जन से जुड़ा डाटा अपलोड किया जाएगा। यह वेबसाइट आम नागरिकों के लिए भी सुलभ होगी, जिससे पारदर्शिता और सार्वजनिक निगरानी सुनिश्चित की जा सके।

भारतमाला परियोजना में भी होगा उपयोग
जिले में उरगा–पत्थलगांव भारतमाला परियोजना के तहत होने वाले भू-अर्जन का सर्वे भी इसी एंड्रॉयड एप से किया जाएगा। खास बात यह है कि ऑफलाइन सर्वे की स्थिति में भी बाद में पूरा डाटा एप में अपलोड किया जा सकेगा। इससे प्रारंभिक स्तर पर ही एक ठोस और विश्वसनीय तस्वीर सामने आ जाएगी।

कुल मिलाकर, प्रशासन की यह पहल अगर ईमानदारी से लागू होती है तो रायगढ़ में भू-अर्जन को लेकर लंबे समय से चली आ रही अविश्वास और भ्रष्टाचार की छाया को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। अब देखना यह है कि तकनीक के सहारे शुरू हुई यह कोशिश ज़मीन पर कितनी मजबूती से टिक पाती है।

Amar Chouhan

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