इंस्टाग्राम की दोस्ती से दुष्कर्म तक: पुसौर का मामला बना चेतावनी, रायगढ़ में सोशल मीडिया के नाम पर बढ़ता शोषण

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 22 दिसंबर।
पुसौर थाना क्षेत्र में सामने आया युवती से दुष्कर्म का मामला महज एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि उस सामाजिक खतरे की गंभीर तस्वीर है, जो सोशल मीडिया की आड़ में तेजी से फैल रहा है। इंस्टाग्राम के जरिए शुरू हुई पहचान, फिर भरोसे की बातें और शादी के झूठे वादे—अंततः एक युवती की जिंदगी को गहरे आघात में बदल देने की यह कहानी अब पूरे रायगढ़ जिले के लिए चेतावनी बन गई है।
पुलिस के अनुसार, पीड़िता ने 31 अक्टूबर 2025 को थाना पुसौर में लिखित आवेदन देकर शिकायत दर्ज कराई थी। युवती ने बताया कि करीब एक वर्ष पूर्व इंस्टाग्राम आईडी के माध्यम से उसकी पहचान संदीप प्रधान, निवासी बोरोडीपा चौक, पुसौर से हुई थी। बातचीत का सिलसिला मोबाइल पर बढ़ता गया और इसी दौरान आरोपी ने शादी का भरोसा दिलाकर जनवरी 2024 से अप्रैल 2024 के बीच अलग-अलग स्थानों पर ले जाकर उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए। बाद में जब विवाह की बात आई तो आरोपी ने साफ इंकार कर दिया।
पीड़िता की शिकायत पर थाना पुसौर में अपराध क्रमांक 294/2025 धारा 69 भारतीय न्याय संहिता के तहत मामला दर्ज कर विवेचना शुरू की गई। महिला पुलिस अधिकारी द्वारा पीड़िता का कथन दर्ज कराया गया और चिकित्सकीय परीक्षण भी कराया गया। घटना के बाद से फरार चल रहे आरोपी को पुलिस ने पतासाजी कर हिरासत में लिया। पूछताछ में आरोपी संदीप प्रधान (25 वर्ष) ने अपराध स्वीकार किया, जिसके बाद उसका मेडिकल परीक्षण कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया और उसे न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया। इस कार्रवाई में थाना प्रभारी निरीक्षक रामकिंकर यादव के नेतृत्व में एएसआई उमाशंकर विश्वाल एवं आरक्षक ओश्निक विश्वाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
हालांकि यह मामला केवल पुसौर तक सीमित नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में रायगढ़ जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों—कोतवाली, घरघोड़ा, तमनार और धरमजयगढ़—से भी ऐसे ही मामले सामने आते रहे हैं, जहां सोशल मीडिया या मोबाइल संपर्क के जरिए युवतियों को प्रेम और शादी का सपना दिखाकर शोषण किया गया। कहीं आरोपी ने बाद में शादी से इनकार कर दिया, तो कहीं पीड़िता को सामाजिक बदनामी का डर दिखाकर चुप रहने पर मजबूर किया गया। कई घटनाएं तो ऐसी भी हैं, जो आज तक थानों की दहलीज तक नहीं पहुंच सकीं।
स्थानीय स्तर पर कोतवाली क्षेत्र में दर्ज एक मामले में फेसबुक से शुरू हुई दोस्ती महीनों बाद धोखे में बदल गई, जबकि धरमजयगढ़ क्षेत्र में व्हाट्सऐप के जरिए संपर्क में आए युवक द्वारा युवती को मिलने बुलाकर शोषण करने का प्रकरण सामने आ चुका है। इन सभी मामलों में एक समानता साफ दिखती है—शुरुआत भरोसे और भावनात्मक जुड़ाव से होती है और अंत टूटे सपनों व मानसिक पीड़ा पर जाकर ठहरता है।
समाजशास्त्रियों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि सोशल मीडिया स्वयं समस्या नहीं है, समस्या है उस पर किया गया अंधा भरोसा। नकली पहचान, झूठे प्रोफाइल और मीठी बातों के सहारे अपराधी युवतियों को अपने जाल में फंसाते हैं। जब तक पीड़िता सच्चाई समझ पाती है, तब तक वह भावनात्मक, सामाजिक और कई बार कानूनी संकट में घिर चुकी होती है।
पुसौर पुलिस की त्वरित कार्रवाई निश्चित रूप से एक सख्त संदेश देती है कि महिलाओं के विरुद्ध अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे, लेकिन इससे भी अधिक ज़रूरी है जागरूकता। युवतियों को चाहिए कि सोशल मीडिया पर किसी अनजान व्यक्ति से निजी जानकारी साझा करने में सतर्क रहें, मिलने से पहले परिवार या भरोसेमंद लोगों को जानकारी दें और किसी भी प्रकार के दबाव, धमकी या शोषण की स्थिति में बिना झिझक पुलिस से संपर्क करें।
पुसौर की यह घटना कानून-व्यवस्था का मामला होने के साथ-साथ समाज के लिए आईना भी है। रायगढ़ जिले में बढ़ते ऐसे उदाहरण बताते हैं कि समय रहते संवाद, सतर्कता और जागरूकता ही इस खतरनाक चलन से बचाव का सबसे मजबूत हथियार है। भरोसा करना गलत नहीं, लेकिन बिना परखे किया गया भरोसा कई जिंदगियों को अंधेरे में धकेल रहा है—और यही इस खबर की सबसे बड़ी चेतावनी है।
समाचार सहयोगी आरजे चौहान