रफ्तार का कहर: पटेलपाली में फ्लाई ऐश ट्रेलर ने छीनी महिला की जिंदगी, प्रशासनिक चुप्पी पर उठे सवाल

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम
रायगढ़।
औद्योगिक गतिविधियों के बीच आमजन की जान किस कदर असुरक्षित हो गई है, इसकी एक और भयावह तस्वीर गुरुवार शाम रायगढ़ शहर से सामने आई। पटेलपाली क्षेत्र में तेज रफ्तार फ्लाई ऐश डंप ट्रेलर ने काम से लौट रहे एक दंपत्ति को कुचल दिया। इस दर्दनाक हादसे में महिला की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसका पति गंभीर रूप से घायल हो गया।
घटना 18 दिसंबर की शाम लगभग 6 बजे की बताई जा रही है। मृतिका की पहचान सेवती महंत के रूप में हुई है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सेवती अपने पति के साथ रोज़ की तरह काम समाप्त कर घर लौट रही थी, तभी अनियंत्रित ट्रेलर ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। टक्कर इतनी भीषण थी कि सेवती ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया। घायल पति को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हादसे की खबर फैलते ही इलाके में आक्रोश फैल गया। स्थानीय ग्रामीणों ने मौके पर ही सड़क जाम कर दिया, जिससे दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। ग्रामीणों का आरोप है कि क्षेत्र में भारी और ओवरलोडेड ट्रेलरों की आवाजाही लंबे समय से जानलेवा बनी हुई है, लेकिन प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। प्रदर्शन कर रहे लोग पीड़ित परिवार को मुआवजा देने और जिम्मेदार वाहन चालकों व कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
सूचना मिलते ही जूटमिल थाना पुलिस मौके पर पहुंची और हालात को संभालने का प्रयास किया। पुलिस अधिकारी ग्रामीणों को समझाइश देते नजर आए, लेकिन लोगों का गुस्सा इस बात पर है कि कार्रवाई हर बार हादसे के बाद ही क्यों होती है।
गौरतलब है कि पटेलपाली ही नहीं, बल्कि तमनार क्षेत्र में भी इसी तरह की फ्लाई ऐश ट्रेलरों की बेतहाशा आवाजाही होती है। आरोप है कि एसएसटी कंपनी सहित कई कंपनियों के ट्रेलर नियमों के खिलाफ मॉडिफाई किए गए हैं, जिनमें डाले का साइज बढ़ाकर ओवरलोडिंग की जा रही है। सड़क पर उड़ती फ्लाई ऐश से राहगीरों और आसपास के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। नियमों के मुताबिक ऐसे परिवहन में कैप्सूल वाहन का उपयोग अनिवार्य है, लेकिन इस नियम का पालन कराने में प्रशासन पूरी तरह विफल नजर आ रहा है।
यह हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि उस लापरवाही का नतीजा है, जो उद्योगों और प्रशासन के बीच की मिलीभगत या उदासीनता से जन्म लेती है। सवाल यह है कि क्या हर बार किसी की जान जाने के बाद ही नियम याद आएंगे, या फिर प्रशासन समय रहते इन मौतों की रफ्तार पर ब्रेक लगाएगा?