दीपक शर्मा की गिरफ्तारी को लेकर एसपी कार्यालय के सामने धरना (देखें वीडियो)

सोशल मीडिया में उठाई आवाज़ तो पुलिस ने कर लिया गिरफ्तार
फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। शहर के बहिदार पारा निवासी आंदोलनकारी राधेश्याम शर्मा के पुत्र दीपक शर्मा की शुक्रवार सुबह हुई गिरफ्तारी ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। परिजनों का आरोप है कि दीपक को सुबह पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया, लेकिन देर शाम तक उसके परिजनों को न तो गिरफ्तारी की सूचना दी गई और न ही यह बताया गया कि उसे कहां रखा गया है! बताया जा रहा है उनकी हुंडई i10 बिलासपुर पासिंग कार पुलिस स्टेशन के पास मिली है। जिससे की किसी प्रकार के अपहरण की सम्भावनाओं में विराम लगता है।
परिजनों और क्षेत्रवासियों ने जब कोतवाली पहुंचकर दीपक के संबंध में जानकारी चाही, तो उन्हें पुलिस की ओर से स्पष्ट जवाब नहीं मिला। गोलमोल जवाबों से असंतुष्ट बहिदार पारा और पुरानी बस्ती क्षेत्र के लोग आक्रोशित हो उठे और एसपी कार्यालय के सामने ही गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठ गए।

धरना दे रहे लोगों का कहना था कि दीपक औद्योगिक गतिविधियों और उनसे जुड़े मुद्दों को लेकर मुखर रूप से बयानबाजी करता रहा है। शुक्रवार सुबह अचानक पुलिस द्वारा उसे उठा लिए जाने के बाद पूरे दिन उसकी कोई खबर नहीं मिली। न यह बताया गया कि उसे छोड़ा गया है या किसी अन्य थाने में भेजा गया है। इस अनिश्चितता और चुप्पी ने परिजनों की चिंता और क्षेत्रवासियों का गुस्सा दोनों बढ़ा दिया।
धरना प्रदर्शन के दौरान पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर क्रन्तिकारी राधेश्याम शर्मा को जानकारी दी कि दीपक शर्मा के विरुद्ध तमनार पुलिस द्वारा बीएनएसएस की धारा 170 के तहत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है और उसे जेल भेज दिया गया है। हालांकि, जब प्रदर्शनकारियों ने यह पूछा कि आखिर किस ठोस कारण या आशंका के आधार पर यह कार्रवाई की गई, तो पुलिस इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सकी।

इससे नाराज पुरानी बस्ती के लोगों ने कहा कि जब तक पूरे मामले की पारदर्शी जानकारी नहीं दी जाती, तब तक वे धरना समाप्त नहीं करेंगे। क्षेत्रवासियों का आरोप है कि बिना सूचना गिरफ्तारी और बाद में भी स्पष्ट जानकारी न देना, कानूनन और मानवीय दोनों ही दृष्टि से गलत है।
फिलहाल, दीपक शर्मा की गिरफ्तारी और उस पर की गई कार्रवाई को लेकर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और पुलिस प्रशासन की चुप्पी ने मामले को और संवेदनशील बना दिया है।