गारे-पेलमा सेक्टर–1 पर टकराव बढ़ा, 14 गांवों ने करी आर्थिक नाकेबंदी; प्रशासन पर समाधान तलाशने की चुनौती बढ़ी (देखें वीडियो)

रायगढ़। तमनार क्षेत्र में प्रस्तावित गारे पेलमा सेक्टर-1 परियोजना की जनसुनवाई को लेकर उठे विवाद ने आज नया मोड़ ले लिया। 8 दिसंबर को हुई पर्यावरणीय जनसुनवाई के खिलाफ 14 ग्रामीण पंचायतों ने आपत्ति दर्ज कराते हुए 12 दिसंबर से सीएचपी चौक, लिबरा के पास शांतिपूर्ण आर्थिक नाकेबंदी शुरू कर दी है। परिवहन गतिविधियों पर इसका शुरुआती असर भी दिखने लगा है।
ग्रामीणों की आपत्ति : “जनसुनवाई में हमारी बात नहीं सुनी गई”
जनसुनवाई के बाद घरघोड़ा एसडीएम को सौंपे गए ज्ञापन में ग्रामीण प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रक्रिया को व्यवस्थित और पारदर्शी तरीके से आयोजित किया जाना चाहिए था। ग्रामीणों के अनुसार—
जनसुनवाई का स्थल अंतिम क्षणों में परिवर्तित हो गया,
सुरक्षा व्यवस्था के कारण कई प्रभावित लोग सही समय पर कार्यक्रम स्थल तक नहीं पहुंच पाए,
और उन्हें मंच से अपनी बात रखने का अवसर नहीं मिला।
ग्रामीणों का कहना है कि वे जनसुनवाई निरस्त करने की मांग इसलिए कर रहे हैं ताकि सभी पक्षों की बात स्पष्ट रूप से दर्ज हो सके।
“संवाद से ही समाधान” – सरपंचों का सामूहिक रुख
धौराभांठा, लिबरा, आमगांव, झिंकाबहाल, टांगरघाट और अन्य पंचायतों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से कहा कि नाकेबंदी उनका अंतिम विकल्प है, और वे चाहते हैं कि प्रशासन उनकी आपत्तियों पर गंभीरता से विचार करे।
ग्रामीणों का कहना है कि आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है, और उनका उद्देश्य क्षेत्रीय समस्याओं को उचित मंच पर रखने का है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने की जिम्मेदारी सभी पक्षों की साझा है।
प्रशासन का पक्ष
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीणों द्वारा उठाई गई आपत्तियों को दर्ज कर लिया गया है और संबंधित विभाग इसकी समीक्षा कर रहा है।
अधिकारियों के अनुसार,
प्रशासन संवाद के लिए तैयार है,
और किसी भी समाधान का उद्देश्य ग्रामीणों, उद्योग प्रबंधन और स्थानीय हितों के बीच संतुलन बनाए रखना होगा।

औद्योगिक गतिविधियों पर संभावित असर
तमनार का औद्योगिक क्षेत्र कोयला परिवहन और खनन गतिविधियों का महत्वपूर्ण केंद्र है। नाकेबंदी से—
कोयला ढुलाई,
खदान संचालन
तथा अन्य औद्योगिक आपूर्ति श्रृंखलाओं
पर प्रभाव पड़ने की संभावना जताई जा रही है। उद्योग संगठनों ने उम्मीद जताई है कि स्थिति जल्द सामान्य होगी ताकि आर्थिक गतिविधियाँ बाधित न हों।

एडिशनल एसपी मौके पर मौजूद
रायगढ़ जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अपने दल बल के साथ सुरक्षा व्यवस्था के लिए मौके पर मौजूद हैं।
स्थिति में समाधान की गुंजाइश अभी भी बाकी
12 दिसंबर की दोपहर बीतने के बाद भी प्रशासन और ग्रामीणों के बीच संवाद की संभावनाएँ बनी हुई हैं। स्थानीय प्रशासन ने यह संकेत दिया है कि वे सभी पंचायतों से चर्चा कर सकारात्मक समाधान निकालने के पक्ष में हैं।
क्षेत्र में अब यही अपेक्षा है कि बातचीत के माध्यम से स्थिति को जल्द सामान्य किया जाए, जिससे ग्रामीणों की चिंताओं का निवारण हो सके और औद्योगिक गतिविधियाँ भी सुचारू रूप से चलती रहें।
समाचार सहयोगी गोविंदा