नई गाइडलाइन दरों पर फैल रही अफवाहों पर सरकार की करारी प्रतिक्रिया, पारदर्शिता और सरलीकरण को बताया सुधार का असली मकसद

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायपुर। प्रदेश में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए लागू की गई नई गाइडलाइन दरों को लेकर बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया और स्थानीय स्तर पर तरह-तरह की चर्चाएं तैर रही थीं। कहीं अचानक दरें बढ़ाने की बात कही जा रही थी, तो कहीं पंजीयन प्रक्रिया ठप होने के दावे किए जा रहे थे। इस फैलते भ्रम पर राज्य सरकार ने सोमवार को विस्तृत स्पष्टीकरण जारी करते हुए साफ कहा— “न नई दरों में कोई चौंकाने वाली बढ़ोतरी की गई है और न ही पंजीयन प्रणाली में किसी प्रकार का अवरोध आया है।”
इसके उलट शासन का दावा है कि नई व्यवस्था पुराने ढांचे में वर्षों से चली आ रही विसंगतियों को दूर करते हुए और भी अधिक वैज्ञानिक, सहज व पारदर्शी बनाई गई है।
पंजीयन व्यवस्था बिना रुकावट जारी, अफवाहों से सावधान रहने की अपील
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, 20 नवंबर 2025 से नई गाइडलाइन लागू होने के बाद केवल कांकेर जिले में अब तक 98 दस्तावेजों का पंजीयन सामान्य रूप से पूरा किया जा चुका है।
उप-पंजीयक कार्यालयों में सभी कार्य पूर्ववत चल रहे हैं।
फिर भी कुछ स्थानों पर यह भ्रम फैलाया जा रहा था कि ऑनलाइन गाइडलाइन अपडेट नहीं हुई है और पंजीयन रुका हुआ है। शासन ने इन दावों को पूर्णतः असत्य बताते हुए कहा कि ई-पंजीयन प्रणाली पूरी तरह सुचारू है, और नागरिक बिना चिंता के अपने दस्तावेज पंजीकृत करा सकते हैं।
नगरीय क्षेत्रों में बड़ा बदलाव: कंडिकाएं कम, व्यवस्था अधिक स्पष्ट
पहले एक ही वार्ड में कई कंडिकाएं होने से समान स्थिति में स्थित संपत्तियों की गाइडलाइन दरों में अनावश्यक अंतर देखा जाता था। नये सर्वे और भौतिक सत्यापन के बाद इस जटिलता को काफी हद तक खत्म कर दिया गया है।
मुख्य सुधार इस प्रकार हैं—
कांकेर नगर पालिका:
21 वार्डों में मौजूद 56 कंडिकाओं को घटाकर 26 कर दिया गया है।
चारामा, नरहरपुर, भानुप्रतापपुर, अंतागढ़, पंखाजूर:
कुल 253 कंडिकाएं घटकर अब सिर्फ 105 रह गई हैं।
सरकार का कहना है कि कंडिकाओं की यह कमी न सिर्फ खरीददारों की उलझनें कम करेगी, बल्कि बाजार मूल्यांकन से संबंधित पारदर्शिता भी बढ़ाएगी।
20 प्रतिशत वृद्धि पर सरकार का तर्क—“छह वर्षों बाद की जरूरी समीक्षा”
गाइडलाइन दरों में अंतिम पुनरीक्षण वर्ष 2019-20 में किया गया था।
लगभग छह साल बाद किए गए इस संशोधन में नगरीय क्षेत्रों में केवल 20% की वृद्धि की गई है।
शासन का कहना है कि अगर हर वर्ष नियमित वृद्धि की जाती, तो दरें वर्तमान दरों से अधिक होतीं। ऐसे में “अत्यधिक बढ़ोतरी” का तर्क न केवल भ्रामक है बल्कि तथ्यों के विपरीत भी है।
पुरानी दरों से उपज रहे थे विवाद, नई व्यवस्था ने बंद किए काले धन के रास्ते
सरकार द्वारा जारी स्पष्टीकरण में यह साफ कहा गया है कि पुरानी गाइडलाइन दरें जारी रहने से कई गंभीर समस्याएं पैदा हो रही थीं—
वास्तविक सौदा मूल्य अधिक होने के बावजूद पंजीयन कम दरों पर होता था, जिससे अंतर की राशि काले धन में तब्दील हो जाती थी।
कम गाइडलाइन के चलते बैंक भी संपत्ति का कम मूल्यांकन करते थे, जिससे खरीदारों को कम लोन मिलता था।
सरकारी अधिग्रहण में किसानों व जमीन मालिकों को कम मुआवजा मिलता था।
नई दरें इन विसंगतियों को समाप्त कर वास्तविक बाजार मूल्य के अनुरूप बनाई गई हैं।
रियल एस्टेट क्षेत्र में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
राज्य सरकार का दावा है कि संशोधित गाइडलाइन दरें न केवल टैक्स चोरी पर अंकुश लगाएंगी, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर की कार्यप्रणाली को भी अधिक विश्वसनीय, पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाएंगी।
नागरिकों से अपील
शासन ने आमजन को सलाह देते हुए कहा कि वे किसी भी प्रकार की अपुष्ट या भ्रामक जानकारी पर ध्यान न दें।
गाइडलाइन से संबंधित किसी भी प्रश्न या स्पष्टीकरण के लिए अपने निकटतम पंजीयन कार्यालय या अधिकृत स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें।
नई गाइडलाइन दरों को प्रदेश की भूमि व्यवस्था और रियल एस्टेट सेक्टर में संरचनात्मक सुधार का महत्वपूर्ण अध्याय माना जा रहा है, जो आने वाले वर्षों में बाजार की पारदर्शिता और नागरिकों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान