1610 हेक्टेयर कोल ब्लॉक पर ग्राम सभा की ऐतिहासिक ‘ना’: जंगल, हाथी और कृषि बचाने ग्रामीणों का बड़ा फैसला

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम धरमजयगढ़, रायगढ़।
जंगल, हाथी और कृषि आधारित जीवन शैली को बचाने की दृढ़ इच्छा के साथ कल शुक्रवार, 22 नवंबर को ग्राम पंचायत क्षेत्र में आयोजित हुई ऐतिहासिक ग्राम सभा ने कर्नाटक पावर लिमिटेड के प्रस्तावित 1610 हेक्टेयर ओपन कोल ब्लॉक प्रोजेक्ट को सर्वसम्मति से खारिज कर दिया। पांचवीं अनुसूची और छत्तीसगढ़ पेसा अधिनियम 2022 के तहत मिले संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए ग्रामवासियों ने साफ कहा कि यह परियोजना न जंगलों के हित में है, न हाथियों के, और न ही उन हजारों किसानों के, जिनकी आजीविका इसी भूमि पर निर्भर है।
655 हेक्टेयर वनभूमि पर खनन का प्रस्ताव—हाथियों के अस्तित्व को सीधा खतरा
ग्राम सभा में बताया गया कि प्रस्तावित क्षेत्र में 655.56 हेक्टेयर वनभूमि शामिल है, जो बीते दो दशकों से हाथियों का प्रमुख आवास और विचरण क्षेत्र रहा है।
सिर्फ 2001 से अब तक 59 लोगों की हाथी हमलों में मौत हुई है। 2005 के बाद से भी कई गंभीर घटनाएँ दर्ज हैं।
ग्रामवासियों ने स्पष्ट कहा कि ऐसे संवेदनशील वनक्षेत्र में खनन गतिविधि शुरू करना मानव-वन्यजीव संघर्ष को और बढ़ाएगा।
किसानों की समृद्ध कृषि पर संकट—10 लाख वार्षिक आय दांव पर
ग्राम सभा में मौजूद किसानों ने बताया कि
तरबूज, मक्का और धान की आधुनिक खेती ने
उन्हें लगभग 10 लाख रुपये प्रति किसान की वार्षिक आय प्रदान की है।
खनन परियोजना के आने से
उपजाऊ भूमि नष्ट होगी,
जलस्रोत प्रभावित होंगे
और भू-अर्जन की प्रक्रिया किसानों की सहमति के बिना थोपे जाने की कोशिश बताई गई।
किसानों ने इसे “आर्थिक आत्मघात” बताते हुए कड़ा विरोध जताया।

पेसा कानून का हवाला—भूमि, जल और संसाधनों पर ग्राम सभा का अंतिम अधिकार
ग्राम सभा ने अपने फैसले को मजबूत कानूनी आधार देते हुए पेसा अधिनियम 2022 की धारा 4 (क), 4 (च), 4 (ज) और 4 (झ) का हवाला दिया।
इन धाराओं के अनुसार,
ग्राम सभा को भूमि अधिग्रहण,
प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग,
और किसी भी औद्योगिक/खनन परियोजना पर
अंतिम निर्णय का अधिकार है।
सभा ने चेतावनी दी कि बिना ग्राम सभा की अनुमति किसी भी प्रकार का सर्वे, भू-अर्जन या खनन अवैध माना जाएगा।
अंतिम निर्णय—“कर्नाटक पावर कोल ब्लॉक पूर्णत: निरस्त”
ग्राम सभा ने सामूहिक रूप से प्रस्ताव पास करते हुए कहा कि
“कर्नाटक पावर लिमिटेड का 1610 हेक्टेयर कोल ब्लॉक प्रोजेक्ट स्थायी रूप से निरस्त किया जाता है। ग्राम सभा की अनुमति के बिना क्षेत्र में कोई गतिविधि नहीं होगी।”
यह निर्णय न सिर्फ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि पेसा कानून को जमीनी स्तर पर प्रभावी साबित करने का एक ऐतिहासिक उदाहरण भी है।
ग्रामीणों में उत्साह—प्रशासन पर सख्त निगरानी की मांग
सभा के बाद माहौल उत्साहित था। ग्रामीणों ने कहा कि वन, जल, जमीन और पारंपरिक कृषि व्यवस्था को बचाने की लड़ाई जारी रहेगी।
साथ ही, प्रशासन से अपेक्षा की गई कि वह ग्राम सभा के इस निर्णय का सम्मान करे और पेसा कानून के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे।
समाचार सहयोगी केहसी चौहान की रिपोर्ट