घरघोड़ा पॉक्सो न्यायालय का कड़ा फैसला: नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी राहुल सिंह राजपूत को 20 साल सश्रम कारावास, पीड़िता को 4 लाख क्षतिपूर्ति की अनुशंसा

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा/रायगढ़। नाबालिग से दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध पर कानून की सख़्त पकड़ एक बार फिर सामने आई है। विशेष न्यायालय एफटीएससी–पॉक्सो, घरघोड़ा के विशेष न्यायाधीश श्री शहाबुद्दीन कुरैशी ने गंभीर आरोपों का सामना कर रहे आरोपी राहुल सिंह राजपूत को कठोर दंड देते हुए 20 वर्ष सश्रम कारावास तथा 5500 रुपये अर्थदंड से दंडित किया है। न्यायालय ने इस प्रकरण में पीड़िता एवं उसके परिवार के लिए 4 लाख रुपये क्षतिपूर्ति की अनुशंसा भी की है।
कैसे हुआ पूरा मामला—बहला-फुसलाकर शादी का झांसा, फिर दुष्कर्म
विशेष लोक अभियोजक श्रीमती अर्चना मिश्रा ने मामले का संक्षिप्त विवरण देते हुए बताया कि घटना 14 जनवरी 2023 की है।
आरोपी राहुल सिंह राजपूत ने नाबालिग पीड़िता को शादी का प्रलोभन देकर घर से भगा ले गया। माता–पिता की अनुमति के बिना उसे अपने कब्जे में रखकर उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध स्थापित किए।
परिजनों द्वारा थाने में शिकायत दर्ज होते ही धरमजयगढ़ थाना प्रभारी और उनकी टीम ने त्वरित कार्रवाई कर नाबालिग को आरोपी के कब्जे से बरामद कर लिया।
साक्ष्यों की पुष्टि के बाद आरोप पत्र प्रस्तुत
जांच के दौरान मिले ठोस साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध निम्न धाराओं में मामला दर्ज कर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया—
धारा 363 (अपहरण)
धारा 366 (शादी हेतु अपहरण/लोभ)
धारा 376(2)(n) (बार-बार दुष्कर्म)
पॉक्सो एक्ट की धारा 4 एवं 6
अभियोजन पक्ष ने प्रकरण की गंभीरता के अनुरूप मजबूती से पैरवी की। अदालत ने गवाहों, मेडिकल रिपोर्ट और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर आरोपी को दोषी करार दिया।
न्यायालय का फैसला—सख्त दंड और स्पष्ट संदेश
न्यायालय ने विचारण उपरांत आरोपी को निम्नानुसार दंडित किया—
1. धारा 366 के तहत
5 वर्ष सश्रम कारावास
500 रुपये जुर्माना
2. पॉक्सो एक्ट धारा 6/1 के तहत
20 वर्ष सश्रम कारावास
5000 रुपये जुर्माना
दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी।
विशेष न्यायालय ने कहा कि नाबालिग के साथ इस तरह का अपराध न केवल उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि समाज के लिए भी गहरा आघात है। ऐसे अपराधों पर कड़ी सजा आवश्यक है ताकि भविष्य में कोई अपराधी ऐसा कदम उठाने से पहले कानून की सख्ती को समझे।
पीड़िता को 4 लाख रुपये क्षतिपूर्ति की अनुशंसा
माननीय न्यायालय ने पीड़िता के पुनर्वास और सहायता के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ को 4 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति प्रदान करने की अनुशंसा की है।
अभियोजन पक्ष की ओर से प्रभावी पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्रीमती अर्चना मिश्रा ने की जिससे प्रकरण में दोष सिद्धि सुनिश्चित हो सकी।
यह फैसला न केवल एक पीड़िता को न्याय दिलाने का कदम है, बल्कि यह संदेश भी कि—
नाबालिगों के खिलाफ अपराधों को लेकर न्यायपालिका की नीति बेहद सख्त है
पॉक्सो कानून समाज में सुरक्षा सुनिश्चित करने का मजबूत आधार है
त्वरित कार्रवाई और प्रभावी अभियोजन न्याय सुनिश्चित करने की कुंजी है
खबर साय–साय न्यायालयों, प्रशासन और समाज से जुड़े ऐसे महत्वपूर्ण मामलों की विस्तृत कवरेज भविष्य में भी जारी रखेगा।
समाचार सहयोगी केशव चौहान की रिपोर्ट