लैलूंगा का युवा रोहित यादव पहली ही कोशिश में पीएससी पास, पूरे वनांचल का बढ़ाया मान

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम लैलूंगा/रायगढ़।
रायगढ़ जिले के सीमावर्ती वनांचल क्षेत्र लैलूंगा के छोटे से गांव मुगड़ेगा से निकलकर 26 वर्षीय युवा रोहित यादव ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) परीक्षा में 54वीं रैंक हासिल कर पूरे अंचल को गर्व से भर दिया है। उनकी सफलता की खबर फैलते ही गांव, समाज और पूरे इलाके में खुशी की लहर दौड़ गई। जिस शांत वनांचल में संसाधन सीमित हैं, वहीं से निकले इस युवा ने साबित कर दिया कि मजबूत इच्छाशक्ति और निरंतर प्रयास से कोई भी ऊंचाई हासिल की जा सकती है।
किसान परिवार में जन्म, संघर्षों से निखरा व्यक्तित्व
ग्राम होर्रोगुड़ा – मुकड़ेगा निवासी किसान नेगी राम यादव के घर जन्मे रोहित बचपन से ही सरल, अनुशासित और अध्ययनशील रहे।
पिता नेगी राम यादव खेती-किसानी से परिवार का भरण-पोषण करते हैं, और इसी संघर्षपूर्ण जीवन में रोहित ने दृढ़ता और मेहनत का पाठ सीखा। पिता न सिर्फ सहारा बने बल्कि उनके सबसे बड़े प्रेरणास्रोत भी रहे।
तमता से दिल्ली तक—एक साधारण छात्र का असाधारण सफर
रोहित ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर, तमता में पूरी की, जहां आठवीं तक पढ़ाई करते हुए उन्होंने अध्ययन की मजबूत नींव रखी। इसके बाद अंबिकापुर में 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की।
उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने दिल्ली का रुख किया और वहीं से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। यहीं से उनके भीतर सिविल सेवा में जाने का सपना स्पष्ट आकार लेने लगा।
पिछले दो वर्षों से वे बिलासपुर में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे थे और पहले ही प्रयास में सफलता हासिल कर क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए।
“मेरी सफलता मेरे माता-पिता, मामा और गुरुजनों की देन” — रोहित यादव
सफलता के बाद रोहित ने कहा कि
“मेरी इस उपलब्धि में माता-पिता का त्याग, परिजनों का सहयोग और तमता निवासी मेरे मामा दुर्योधन यादव का विशेष योगदान है। मेरे गुरुजनों और मित्रों ने भी हर कदम पर मार्गदर्शन दिया—मैं उन सभी का आभारी हूँ।”
उनकी विनम्रता और साधारण पृष्ठभूमि से मिली सीख उन्हें और भी प्रेरक बनाती है।
वनांचल में उत्सव जैसा माहौल—युवाओं में भर गया नया आत्मविश्वास
रोहित की सफलता ने लैलूंगा, धरमजयगढ़ और पूरे वनांचल में एक सकारात्मक ऊर्जा पैदा की है।
ग्रामीणों का कहना है कि—
“यह सिर्फ रोहित की सफलता नहीं, पूरे इलाके की जीत है। वनांचल की मेहनत और लगन को यह बड़ी पहचान मिली है।”
सोशल मीडिया पर भी रोहित को ढेरों बधाइयाँ मिल रही हैं। कई युवा उनकी कहानी को आदर्श मानकर सिविल सेवा में करियर बनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।
मुगड़ेगा जैसे दूरस्थ गांव से निकलकर PSC की सूची में जगह पाना सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं—यह साबित करता है कि अवसरों की कमी प्रतिभा को नहीं रोक सकती।
रोहित यादव की यह सफलता वनांचल के युवाओं के लिए नई उम्मीद और नई दिशा लेकर आई है।
समाचार सहयोगी हरीश चौहान की रिपोर्ट