लैलूंगा में नहीं थम रही गौ तस्करी: पुलिस ने पिकअप से 10 गौवंश मुक्त कर दो तस्करों को पकड़ा, फिर उजागर हुआ बड़ा नेटवर्क

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 20 नवंबर।
लैलूंगा में गौ तस्करी की घटनाएँ एक बार फिर सवालों के घेरे में हैं। पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है, लेकिन तस्करों का नेटवर्क रफ्तार नहीं थाम रहा। ताजा मामले में लैलूंगा पुलिस ने पिकअप वाहन में अवैध रूप से भरे 10 गौवंश को सुरक्षित मुक्त कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
कार्रवाई आज सुबह हुई, जब थाना प्रभारी गिरधारी साव को मुखबिर से जानकारी मिली कि पिकअप क्रमांक JH 01 CG 4713 में बड़ी संख्या में गौवंश को तस्करी के लिए ले जाया जा रहा है। सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने घरघोड़ा से लैलूंगा की ओर आ रहे वाहन की घेराबंदी कर उसे झगरपुर मेनरोड चौक पर रोक लिया। वाहन की तलाशी लेने पर 10 कृषक गौवंश ठूंसकर भरे मिले, जिनकी हालत बेहद दयनीय थी।
वाहन चालक ने अपना नाम विपिन कुमार तिर्की, निवासी दोकड़ा, जिला जशपुर बताया, जबकि उसके साथी की पहचान मनोज राम, निवासी कांसाबेल के रूप में हुई। पूछताछ में दोनों किसी प्रकार का परिवहन दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके। पुलिस ने वाहन, गौवंश और लगभग तीन लाख रुपये मूल्य की संपत्ति को गवाहों की मौजूदगी में जब्त कर लिया।
मामले में कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम 2024 की धारा 4, 6, 10, 11 के तहत अपराध क्रमांक 301/2025 दर्ज कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है।

कार्रवाई एसपी दिव्यांग पटेल, एडिशनल एसपी आकाश मरकाम और एसडीओपी सिद्दांत तिवारी के मार्गदर्शन में की गई। इसमें थाना प्रभारी गिरधारी साव, सहायक उप निरीक्षक डीपी चौहान, प्रधान आरक्षक नंद कुमार पैंकरा, आरक्षक गोविंद बनर्जी, राजू तिग्गा और चमार साय की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
जिला बार-बार सवालों के कटघरे में क्यों?
रायगढ़ जिले में गौ तस्करी की घटनाएँ बार-बार सामने आ रही हैं। कभी पिकअप, कभी ट्रक, तो कभी मोटरसाइकिल से अवैध परिवहन—हर बार तस्करों के नए तरीके सामने आते हैं। पुलिस की लगातार कार्रवाई के बावजूद तस्करी की आवृत्ति यह संकेत देती है कि—
तस्करों के पास एक संगठित नेटवर्क है,
सीमावर्ती जिलों से आवाजाही काफी आसान है,
और ग्रामीण इलाकों में निगरानी बढ़ाने की जरूरत है।
लैलूंगा क्षेत्र विशेष रूप से इस नेटवर्क का केंद्र बनता दिखाई दे रहा है। पुलिस की यह ताजा सफलता सराहनीय है, लेकिन यह भी तथ्य है कि तस्करों पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए निगरानी, खुफिया तंत्र और सीमावर्ती चेकिंग को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
एक बार फिर लैलूंगा पुलिस की त्वरित कार्रवाई से 10 गौवंश सुरक्षित बच गए—लेकिन बड़ा सवाल वही है: गौ तस्करी आखिर कब थमेगी?