“वर्दी पर दाग: जेल से छुड़ाने का लालच देकर आरक्षक पर दुष्कर्म का आरोप, थाने के बाहर उमड़ी भीड़—एएसपी ने खुद लिया पीड़िता का बयान”

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम दुर्ग।
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में कानून और व्यवस्था की रक्षा करने वाली वर्दी एक बार फिर सवालों के कटघरे में है। पुरानी भिलाई थाना क्षेत्र में पदस्थ एक आरक्षक पर पीड़िता ने गंभीर दुष्कर्म का आरोप लगाया है। आरोप है कि आरक्षक ने महिला के जेल में बंद नाबालिग बेटे को छुड़वाने का लालच देकर उसका शारीरिक शोषण किया। घटना के उजागर होने के बाद थाने के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई, जिसके बाद पुलिस अधिकारियों ने स्थिति संभाली।
जेल से छुड़ाने का झांसा और फिर शोषण
पीड़िता के अनुसार, उसका नाबालिग बेटा एक मामले में जेल में बंद है। इसी कमजोरी का फायदा उठाते हुए आरक्षक अरविंद मेढ़े ने उसे कार्रवाई से बचाने और बेटे को जेल से रिहा करने का भरोसा दिया। पीड़िता का आरोप है कि आरक्षक ने इसी दबाव के चलते उससे शारीरिक संबंध बनाने की मांग की।
बताया जा रहा है कि बीती शाम आरक्षक ने महिला को सिरसा गेट के पास बुलाया और अपनी गाड़ी में बैठाकर ले गया, जहां उसने दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया।
थाने के बाहर हंगामा, एएसपी ने संभाली कमान
घटना के बाद पीड़िता बजरंग दल कार्यकर्ताओं के साथ पुरानी भिलाई थाना पहुंची और आरोपित के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। थोड़ी ही देर में थाने के बाहर भारी संख्या में लोग जुटने लगे। माहौल बिगड़ता देख स्वयं एएसपी पद्मश्री तंवर थाने पहुंचीं और महिला का बयान लिया।
अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि “जांच पूरी होने के बाद दोषी पाए जाने पर कड़ी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।”
वर्दी पर लगे गंभीर सवाल
चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपी आरक्षक को शादी हुए अभी मात्र एक महीना हुआ है। ऐसे में इस घटना ने पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और नैतिक जिम्मेदारी पर भी गंभीर प्रश्न चिह्न लगा दिए हैं। मामले के सामने आने के बाद विभागीय स्तर पर भी हड़कंप की स्थिति है।
जांच जारी, कार्रवाई का इंतजार
फिलहाल पुलिस ने महिला की शिकायत पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक तथ्यों और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
दुर्ग की यह घटना उस सच्चाई की ओर इशारा करती है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाए, तो आम नागरिक न्याय और सुरक्षा के लिए किस पर भरोसा करे। यह मामला सिर्फ एक महिला की पीड़ा नहीं, बल्कि सिस्टम की संवेदनशीलता और जवाबदेही की कड़ी परीक्षा भी है।