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आदिवासी छात्रा से दुष्कर्म मामले में कोतवाली थाना प्रभारी निलंबित, पुलिस की लापरवाही पर उठे सवाल

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम | 16 नवंबर 2025

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से एक हृदयविदारक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक सरकारी शिक्षक द्वारा 10वीं कक्षा की आदिवासी छात्रा के साथ कथित तौर पर बार-बार दुष्कर्म करने का मामला दर्ज हुआ है। इस प्रकरण में पुलिस की कथित सुस्ती और देरी के चलते आरोपी शिक्षक फरार हो गया, जिसके बाद जिले के पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) शशिमोहन सिंह ने कोतवाली थाना प्रभारी आशीष तिवारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में मामले के तूल पकड़ने के बाद सामने आई है, जो पुलिस महकमे की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

घटना का विवरण: छात्रावास से शुरू हुई शोषण की शृंखला
जानकारी के अनुसार, पीड़िता एक आदिवासी छात्रा है जो जशपुर के एक छात्रावास में रहकर 10वीं कक्षा की पढ़ाई कर रही थी। आरोपी शिक्षक गिरधारी यादव, जो सरकारी स्कूल में पदस्थ है, ने छात्रा को घरेलू कामकाज के बहाने अपने घर बुलाना शुरू किया। शुरुआत में यह सहायता का रूप था, लेकिन धीरे-धीरे आरोपी की नीयत खराब हो गई। पीड़िता के अनुसार, शिक्षक ने उसे धमकियों और दबाव के जरिए बार-बार यौन शोषण का शिकार बनाया।

आखिरकार, छात्रा ने हिम्मत जुटाकर आरोपी के घर से भाग निकलने में सफलता हासिल की और सीधे चाइल्ड वेलफेयर कमिटी (सीडब्ल्यूसी) संस्था पहुंचकर अपनी आपबीती सुनाई। सीडब्ल्यूसी के अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की और शुक्रवार शाम को कोतवाली थाने में आरोपी गिरधारी यादव के खिलाफ दुष्कर्म की एफआईआर दर्ज कराई। हालांकि, तब तक आरोपी फरार हो चुका था, जिससे जांच की दिशा में गंभीर बाधा उत्पन्न हो गई है।

पुलिस की देरी: निलंबन का आधार
एसएसपी शशिमोहन सिंह द्वारा जारी निलंबन आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि थाना प्रभारी आशीष तिवारी ने पीड़िता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने में अनावश्यक विलंब किया। आदेश के मुताबिक, यह देरी जानबूझकर की गई प्रतीत होती है, जिसके कारण आरोपी को भागने का पर्याप्त समय मिल गया। स्थानीय सूत्रों का दावा है कि पुलिस ने प्रारंभिक शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे मामले में राजनीतिक और सामाजिक दबाव बढ़ा।



सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यह मामला वायरल होने के बाद जनआक्रोश फैल गया। आदिवासी संगठनों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने पुलिस की लापरवाही को लेकर प्रदर्शन की चेतावनी दी। अंततः एसएसपी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में तिवारी को जिला मुख्यालय से बाहर रहने के निर्देश दिए गए हैं, और उनकी जगह अंतरिम प्रभारी नियुक्त किया गया है।

व्यापक संदर्भ: आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ते अपराध
जशपुर जैसे आदिवासी बहुल जिले में यह घटना कोई पहली नहीं है। हाल के वर्षों में छात्रावासों और स्कूलों में बच्चों के शोषण के मामले सामने आते रहे हैं, जो शिक्षा व्यवस्था और सुरक्षा तंत्र की खामियों को उजागर करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस की पहुंच और संवेदनशीलता की कमी ऐसे अपराधों को बढ़ावा देती है। इस मामले में आरोपी शिक्षक का फरार होना जांच एजेंसियों के लिए चुनौती बन गया है। पुलिस ने आरोपी की तलाश के लिए विशेष टीम गठित की है और आसपास के जिलों में अलर्ट जारी किया गया है।

आगे की जांच और अपेक्षाएं
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया है और उसका बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किया जाएगा। सीडब्ल्यूसी की टीम पीड़िता को मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान कर रही है। जिला प्रशासन ने स्कूल और छात्रावासों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला है, इसे आदिवासी समुदाय के प्रति उदासीनता का प्रमाण बताया।

यह मामला न केवल एक व्यक्ति की हैवानियत को दर्शाता है, बल्कि व्यवस्था की उन कमजोर कड़ियों को भी उजागर करता है जहां न्याय की पहली सीढ़ी ही ढीली साबित होती है। आरोपी की गिरफ्तारी और दोषियों को सजा मिलने तक समाज की निगाहें पुलिस और प्रशासन पर टिकी रहेंगी।

समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की रिपोर्ट

Amar Chouhan

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