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मेहत्तर मांझी हत्याकांड में न्यायालय का सख्त फैसला—दो सगे भाइयों को आजीवन कारावास, पीड़ित परिवार हेतु क्षतिपूर्ति की अनुशंसा

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा।

अपर सत्र न्यायालय घरघोड़ा ने वर्ष 2019 में हुए चर्चित मेहत्तर मांझी हत्याकांड में बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी दो सगे भाइयों — निरंजन मांझी और निर्मल मांझी — को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत आजीवन कारावास एवं प्रत्येक 1000 रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह महत्वपूर्ण निर्णय अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमान अभिषेक शर्मा द्वारा दिया गया, जिसे न्याय व्यवस्था की दृढ़ता और पीड़ित परिवार के लिए राहत माना जा रहा है।



घटना की पृष्ठभूमि — हंगामा रोकने पर टूटा था कहर

यह दर्दनाक घटना 22 दिसंबर 2019 की रात लगभग 10:30 बजे ग्राम खोखरो-आमा की है।
सूत्रों के अनुसार, आरोपी निरंजन और निर्मल मांझी अपने घर के बाहर तेज शोर-शराबा कर रहे थे। मृतक मेहत्तर मांझी ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन बात बढ़ गई। गुस्से में आए दोनों भाइयों ने

लोहे की छड़,

हाथ-मुक्का,


से मेहत्तर मांझी पर बर्बर हमला कर दिया। गंभीर चोट लगने से वे मौके पर ही अचेत हो गए।

परिजन तुरंत उन्हें घरघोड़ा अस्पताल और बाद में रायगढ़ जिला अस्पताल ले गए, लेकिन उपचार के दौरान ही उनकी मौत हो गई।



जांच में जुटी पुलिस—तत्कालीन थाना प्रभारी और ASI की अहम भूमिका

मृत्यु उपरांत कोतवाली में मर्ग कायम कर सूचना घरघोड़ा थाना को भेजी गई। मृतक की पत्नी बहरतीन मांझी की रिपोर्ट पर मामला दर्ज हुआ।
जांच में मुख्य भूमिका रही—

तत्कालीन थाना प्रभारी अमित सिंह,

तत्कालीन सहायक उप निरीक्षक राजेश मिश्रा,


जिन्होंने साक्ष्य जुटाते हुए हत्या की पूरी कड़ी को सुलझाया और आरोपियों के खिलाफ ठोस दस्तावेज सहित केस न्यायालय में प्रस्तुत किया।



सुनवाई में साक्ष्यों का भारीपन—दोनों आरोपी दोषी करार

मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने—

प्रत्यक्षदर्शी गवाहों के बयान,

चिकित्सकीय रिपोर्ट,

परिस्थितिजन्य साक्ष्य,

घटनास्थल का विवरण,


सभी का गहन परीक्षण किया और आरोपियों को हत्या का दोषी पाया।
उभय पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि अपराध की गंभीरता और परिस्थितियों को देखते हुए कठोर दंड अनिवार्य है।

राज्य की ओर से अपर लोक अभियोजक श्री राजेश सिंह ठाकुर ने प्रभावी पैरवी करते हुए न्यायालय के समक्ष सशक्त साक्ष्य और दलीलें प्रस्तुत कीं।



पीड़ित परिवार के लिए राहत—₹1 लाख क्षतिपूर्ति की अनुशंसा

आरोपियों को आजीवन कारावास सुनाते हुए न्यायालय ने मृतक के परिवार को 1,00,000 रुपये मुआवजा दिलाए जाने की अनुशंसा भी की, ताकि परिवार को आर्थिक सहायता मिल सके और न्याय की प्रक्रिया पूर्ण हो सके।



मेहत्तर मांझी हत्याकांड में अपर सत्र न्यायालय का यह फैसला न केवल अपराधियों को कठोर दंड देने का उदाहरण है, बल्कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
यह निर्णय यह संदेश भी देता है कि किसी भी प्रकार की हिंसक प्रवृत्ति या आपराधिक कृत्य कानून की पकड़ से नहीं बच सकता।

समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की रिपोर्ट

Amar Chouhan

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