कश्मीर : “नौगाम थाने में आत्मघाती धमाका न-इतिहास, बल्कि भूल – भयावह त्रुटि”

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम श्रीनगर, कश्मीर — शुक्रवार की रात करीब रात 11:20 बजे, कश्मीर की घाटियों में एक ऐसी घटना ने हलचल मचा दी, जिसे शुरुआती रिपोर्ट्स में “दुर्लभ हादसा” कहा जा रहा है, लेकिन इसके राजनीतिक और सुरक्षा-संदर्भ बेहद गंभीर हैं। नौगाम पुलिस स्टेशन (Srinagar) के परिसर में जब्त की गई विस्फोटक सामग्री की फोरेंसिक जांच के वक्त बड़े धमाके के बाद कम-से-कम 7 लोगों की मौत और 27 से अधिक घायल होने की खबर सामने आई है।
घटना की पृष्ठभूमि और विस्फोट की भूमिका
1. कैसे हुआ धमाका
जम्मू-कश्मीर पुलिस के आधिकारिक बयानों के अनुसार, यह हादसा अमोनियम नाइट्रेट के नमूने लेने के दौरान हुआ। यह वही सामग्री है जिसे फरीदाबाद में बरामद किया गया था और जिसे आतंकवाद मॉड्यूल की कार्रवाई के हिस्से के रूप में पुलिस ले आई थी।
2. किस समय और किस रूप में बीमारी हुई
धमाका रात में हुआ और इसकी तीव्रता इतनी अधिक थी कि थाने की दीवारें क्षतिग्रस्त हो गईं और आग फैल गई। राहत और बचाव दल मौके पर पहुंचे, लेकिन शुरुआती दौर में घायल और हताहतों की पहचान करना चुनौतीपूर्ण रहा।
3. जायज़ा लेने वाली टीम
घटना के वक्त पुलिस और फोरेंसिक (FSL) टीम सक्रिय थी — वे उन विस्फोटकों का परीक्षण कर रहे थे जिन्हें पहले जब्त किया गया था। यही चिंता का विषय है — एक सुरक्षित मानकर लाई गई सामग्री अचानक जानलेवा बन गई।
मृतकों में कौन-कौन लोग शामिल हैं
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बड़ी संख्या में मृतक पुलिसकर्मी और फोरेंसिक टीम के सदस्य हैं।
घायल हुए अधिकांश लोग भी गंभीर रूप से हैं; आधिकारिक बयानों में यह कहा गया है कि कम-से-पांच घायलों की हालत नाजुक बनी हुई है।
प्रशासन ने अभी तक शिनाख्त जारी है, और मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है।
राजनीतिक-सुरक्षा संदर्भ और छिपे संकेत
यह धमाका एक ऐसे समय में हुआ है, जब दिल्ली में हाल ही में डिली लाल किला ब्लास्ट ने पूरे देश को हिला दिया था, और उन घटनाओं की जाँच में कश्मीर को एक प्रमुख केंद्र के रूप में देखा जा रहा है।
जाँच में सामने आया है कि फरीदाबाद से बरामद विस्फोटक सामग्री का संबंध आतंकवादी मॉड्यूल से हो सकता है, जिसमें कुछ चर्चित नाम भी हैं।
भारत की प्रारंभिक जांच में यह अनुमान लगाया गया है कि कुछ संदिग्धों ने पुलवामा-स्टाइल हमले की योजना बनाई थी, लेकिन गिरफ्तारी के बाद लक्ष्य बदल गया और दिल्ली में ब्लास्ट हुआ।
इसके बाद सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर में बड़े पैमाने पर छापेमारी की — लगभग 250 स्थानों पर रेड, और 45 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया, जिसमें सरकारी कर्मचारी और आतंकी संदिग्ध दोनों शामिल बताए गए हैं।
एक विश्लेषण यह भी कर रहा है कि यह पूरा घटनाक्रम “सफेद-कॉलर आतंक तंत्र” की ओर इशारा करता है।
सुरक्षा खामियों और जिम्मेदारी की बड़ी तस्वीर
इस घटना ने न सिर्फ एक “हादसा” जैसा रूप ले लिया है, बल्कि सवालों का एक बड़ा गुच्छा खड़ा कर दिया है:
विस्फोटक प्रबंधन में सुरक्षा गड़बड़ी: जब पुलिस खुद उस सामग्री का परीक्षण कर रही हो जिसे आतंकवाद के संदिग्धों से बरामद किया गया था, तो क्या उसकी सुरक्षा प्रक्रियाओं में चूक हुई?
जेलाएं और प्रशासनिक जवाबदेही: क्या जांच पर्याप्त है? क्या दोषियों की पहचान और उन पर कार्रवाई होगी?
राजनीतिकरण का खतरा: कश्मीर लंबे समय से एक संवेदनशील क्षेत्र रहा है। इस तरह की घटनाएँ स्थानीय जनता और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिहाज से बड़ी प्रतिक्रिया और अस्थिरता का कारण बन सकती हैं।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: ऐसा लग रहा है कि यह सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं है, बल्कि बड़े आतंकवादी नेटवर्कों और ट्रांज-नेशनल मॉड्यूलों से जुड़ा हो सकता है, जो भारत-पाकिस्तान तनाव को फिर से भड़काने की क्षमता रखता है।
नौगाम पुलिस स्टेशन में हुआ यह धमाका केवल एक “दुर्भाग्यपूर्ण हादसा” नहीं कहा जा सकता — यह बड़े सुरक्षा और नीतिगत संकट का संकेत भी है। जब हम यही कहे कि “यह भूल थी, आतंक नहीं,” तो हमें सावधानी से यह सोचना चाहिए कि ऐसी भूलों की जड़ें कितनी गहरी हैं, और उनकी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को कितना अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी।
यह खबर अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुई है — लेकिन इसके नतीजे कश्मीर की सुरक्षा, देश की आतंरिक स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय राजनीति दोनों पर लंबे समय तक असर डाल सकते हैं।