“सतनामी समाज ने कथावाचक के विवादित बयान पर उठाई कड़ी आवाज: थाने से लेकर SDM कार्यालय तक गूंजा विरोध, छत्तीसगढ़ में धर्म-जाति-सम्मान पर बढ़ती बयानबाज़ी बनी चिंता का विषय”

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा, रायगढ़।
सतनामी समाज के सम्मान और आस्था पर चोट करने वाले कथित बयान ने पूरे क्षेत्र की सामाजिक शांति को झकझोर दिया है। शुक्रवार को प्रगतिशील छत्तीसगढ़ सतनामी समाज युवा प्रकोष्ठ, घरघोड़ा ने दो चरणों में—थाना प्रभारी घरघोड़ा और SDM घरघोड़ा—को अलग-अलग ज्ञापन सौंप कर कथावाचक आशुतोष चैतन्य के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की।

क्या है पूरा मामला? — सत्संग में की गई आपत्तिजनक टिप्पणी से भड़का आक्रोश
ग्राम लटियापारा, पेंड्रीपारा रोड, टोलाटोला के पास एक निजी निवास में आयोजित सात दिवसीय दिव्य सत्संग के दौरान कथावाचक के कथित वक्तव्य में सतनामी समाज एवं संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा को लेकर अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया।
उपस्थित लोगों के अनुसार, इन टिप्पणियों से न केवल धार्मिक भावनाएं आहत हुईं बल्कि आयोजन स्थल पर ही असंतोष का माहौल बन गया।
समाज पदाधिकारियों ने कहा कि सतनामी समाज शांति, समानता और स्वाभिमान का प्रतीक रहा है, और ऐसी टिप्पणियाँ समाज के धैर्य की परीक्षा लेने जैसी हैं।

ज्ञापन में उठाई गई प्रमुख मांगें
सतनामी समाज ने प्रशासन के सामने तीन मुख्य मांगें रखीं—
1. आशुतोष चैतन्य पर तत्काल अपराध दर्ज किया जाए।
2. शीघ्र गिरफ्तारी सुनिश्चित हो।
3. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कठोर और उदाहरणात्मक कार्रवाई की जाए।
समाज का कहना है कि धार्मिक एवं ऐतिहासिक संतों के प्रति अपमानजनक टिप्पणी से न केवल समाज की भावनाएँ आहत होती हैं, बल्कि सामुदायिक सौहार्द भी प्रभावित होता है।
“लगातार हो रहे अपमान को समाज बर्दाश्त नहीं करेगा” — जनेश्वर कुर्रे
घरघोड़ा ब्लॉक अध्यक्ष जनेश्वर कुर्रे ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियाँ नई नहीं हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया—
इससे पहले आदेश सोनी द्वारा
और फिर विजय राजपूत द्वारा
संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा पर अभद्र टिप्पणी की जा चुकी है।
कुर्रे ने कहा—
“आखिर सतनामी समाज को बार-बार क्यों अपमानित किया जा रहा है? समाज अब किसी भी कीमत पर ऐसी घटनाएँ झेलने के लिए तैयार नहीं है। जब तक उचित कार्रवाई नहीं होगी, समाज अपनी आवाज मजबूत तरीके से उठाता रहेगा।”
ज्ञापन सौंपने के दौरान बड़ी संख्या में समाजजन, युवा एवं पदाधिकारी मौजूद रहे।
छत्तीसगढ़ में बढ़ते विवादित बयान—क्या यह नया ट्रेंड है?
सतनामी समाज के खिलाफ हाल के समय में बढ़ती अनुचित टिप्पणियाँ सिर्फ स्थानीय घटना नहीं, बल्कि प्रदेश में उभरते ‘धार्मिक बयानबाज़ी के नए दौर’ का संकेत भी हैं।
पिछले एक वर्ष में—
संत गुरुओं के सम्मान को लेकर टिप्पणी,
सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट,
और धार्मिक आयोजनों में गलत व्याख्याएँ
एक चिंताजनक आवृत्ति के साथ सामने आई हैं।
विशेषकर गुरु घासीदास बाबा जैसे सम्मानित संत के प्रति अपमानजनक बयानों ने समाजिक तनाव को बढ़ाया है।
सामाजिक विशेषज्ञों का कहना है कि—
“धर्म और आस्था से जुड़े विषयों पर उकसाऊ टिप्पणी छत्तीसगढ़ के सामाजिक सद्भाव को चोट पहुंचाने वाली प्रवृत्ति बनती जा रही है। आने वाले समय में प्रशासन को ऐसे मामलों पर और अधिक संवेदनशील व तत्पर होना पड़ेगा।”
प्रशासन के सामने चुनौती—सौहार्द बनाए रखना
इस घटना के बाद प्रशासन पर दोहरी ज़िम्मेदारी है—
एक ओर धार्मिक आस्थाओं को सम्मान देना, दूसरी ओर ऐसी बयानबाज़ी को रोककर कानून-व्यवस्था मजबूत रखना।
सोशल मीडिया युग में एक छोटा सा बयान सेकंडों में बड़ा विवाद बन सकता है।
समाज की चेतावनी स्पष्ट — “सम्मान पर चोट बर्दाश्त नहीं”
सतनामी समाज ने साफ कहा है कि भविष्य में अगर ऐसी घटनाएँ दोहराई गईं तो व्यापक स्तर पर जनआक्रोश फूट सकता है।
समाज अब केवल निंदा तक सीमित नहीं रहेगा—सख्त कदम उठाने की तैयारी भी संकेत में दिखाई दे रही है।
यह मामला सिर्फ एक कथावाचक के विवादित भाषण का नहीं है, बल्कि छत्तीसगढ़ में बदलते सामाजिक माहौल और धार्मिक संवाद की संवेदनशीलता का संकेत है। प्रशासन की अगली कार्रवाई और समाज की प्रतिक्रिया—दोनों पर अब प्रदेशभर की निगाहें टिकी हैं।