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“रायगढ़ जिला चौहान समाज में पहली बार पूर्ण संवैधानिक चुनाव: 240 मतदाता चुनेंगे नया नेतृत्व, तीन दावेदारों में कड़ा मुकाबला”

Election site-Nagar nigam community hall near Kewdabadi bus stand

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़।

चौहान समाज रायगढ़ के इतिहास में 16 नवंबर का दिन मील का पत्थर साबित होने वाला है। पहली बार समाज के सभी चारों गुटों ने मतभेद भुलाकर एक मंच पर सहमति बनाई है और चुनाव आयोग का गठन कर जिलाध्यक्ष पद का निर्वाचन पूरी तरह संवैधानिक तरीके से कराने का फैसला लिया है। लंबे समय से संगठनात्मक मतभेदों से जूझ रहे समाज में यह प्रयास एक नई शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।



आठ ब्लॉकों से चुने गए 240 मतदाता, वातावरण पूरी तरह चुनावी

चुनाव प्रक्रिया के तहत पूर्वी रायगढ़, शहर रायगढ़, पुसौर, खरसिया, धरमजयगढ़, लैलूंगा, तमनार और घरघोड़ा — इन आठों ब्लॉकों से 30-30 प्रतिनिधियों का चयन किया गया है। ये कुल 240 सदस्य मतदान के माध्यम से नए जिलाध्यक्ष का चुनाव तय करेंगे।
मतदाता सूची जारी होते ही समाजिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है और सभी ब्लॉकों में चर्चाओं का दौर लगातार जारी है।



तीन उम्मीदवार, तीन प्रतीक—कौन बनेगा सर्वसम्मति का प्रतीक?

इस ऐतिहासिक चुनाव में तीन उम्मीदवार मैदान में हैं—

देवप्रसाद चौहान (तमनार) – चुनाव चिन्ह : केले का पेड़
मनोहर चौहान (रायगढ़ शहर) – चुनाव चिन्ह : धान की बाली
संतोष चौहान (सिंघनपुर, खरसिया) – चुनाव चिन्ह : नारियल

तीनों दावेदारों ने पिछले कई दिनों से सक्रिय जनसंपर्क अभियान छेड़ रखा है। ब्लॉक–ब्लॉक जाकर समर्थकों के साथ मतदाताओं से संवाद, मुलाकातें और रणनीतिक बैठकें लगातार जारी हैं। समाज में पहली बार यह चुनाव राजनीतिक माहौल की तरह रोमांच और उत्सुकता पैदा कर रहा है।



कहां और कब होगा मतदान?

चुनाव आयोग के अध्यक्ष महावीर गुरुजी के अनुसार—

मतदान की तिथि : 16 नवंबर (रविवार)

समय : सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक

स्थान : नगर निगम सामुदायिक भवन, केवड़ाबाड़ी (रायगढ़)


चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद संध्या में ही परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। साथ ही, नए जिलाध्यक्ष के चयन के बाद सर्वसम्मति से नई जिला कार्यकारिणी का गठन व शपथ ग्रहण भी प्रस्तावित है।

महावीर गुरुजी का कहना है कि यह चुनाव न सिर्फ नेतृत्व तय करेगा, बल्कि समाज में अनुशासन, पारदर्शिता और सहयोग की नई परंपरा स्थापित करेगा।



चार दशक का बिखराव—क्या अब आएगी स्थायी एकता?

यह सर्वविदित है कि पिछले 40 वर्षों से चौहान समाज कई गुटों में बंटा रहा, जिसके चलते संगठनात्मक गतिविधियां कमजोर और निष्क्रिय रही हैं।
पहली बार सभी गुटों का एक मंच पर आकर निर्वाचन को स्वीकारना, समाज के भविष्य के लिए बेहद सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।

लेकिन सवाल अभी भी कायम है—

क्या नई टीम के गठन के बाद यह एकता और मजबूती पाएगी?
या फिर पुराने विवादों की लौ दोबारा भड़क उठेगी?

फिलहाल तो पूरे जिले में चर्चाओं का एक ही केंद्र है—
जिला चौहान समाज की “कांटों का ताज” कही जाने वाली अध्यक्षीय कुर्सी पर किसके सिर बंधेगा विजयी सेहरा?



उत्सुकता चरम पर

मतदान से ठीक पहले समाज के भीतर उत्साह, उम्मीद और रणनीतियों का ताना-बाना लगातार बदलता दिख रहा है। मतदाता से लेकर कार्यकर्ता तक — सभी की नजरें 16 नवंबर की दोपहर पर टिकी हैं।
यह चुनाव सिर्फ एक पद का चुनाव नहीं, बल्कि चौहान समाज रायगढ़ की नई दिशा और दशा तय करने वाला निर्णय बन चुका है।

अब देखना यह है कि समाज के इस ऐतिहासिक लोकतांत्रिक प्रयोग से उभरकर आने वाला नेतृत्व किस तरह नई एकता और ऊर्जा का संचार करता है।

डिग्री होल्डर जर्नलिस्ट 2013 अमरदीप चौहान/केटीयूजेएम(सीजी)

Amar Chouhan

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