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जनशक्ति के आगे झुका प्रशासन: पुरूंगा भूमिगत कोल खदान की जनसुनवाई अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, ग्रामीणों ने मनाई जीत

धरमजयगढ़/तमनार, 10 नवंबर 2025 एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम

पुरूंगा भूमिगत कोयला खदान परियोजना को लेकर जारी जनआक्रोश ने आखिरकार प्रशासन को झुकने पर मजबूर कर दिया। ग्रामीणों के सतत विरोध, शांतिपूर्ण आंदोलन और सर्वदलीय समर्थन के बाद मेसर्स अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड (अडानी समूह) की प्रस्तावित पुरूंगा भूमिगत कोल खदान परियोजना की 11 नवंबर को प्रस्तावित पर्यावरणीय जनसुनवाई को प्रशासन ने स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया है।

यह निर्णय ग्रामीणों की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने बीते कई सप्ताहों से खेत-खलिहानों, चौपालों और पंचायत भवनों में एकजुट होकर इस जनसुनवाई के विरोध में आवाज़ बुलंद की थी।


ग्रामीणों की एकजुटता ने बदला फैसला

धरमजयगढ़ क्षेत्र के पुरूंगा, सामरसिंघा, तेंदुमुरी, खमरिया, जोजोर्रा सहित 52 ग्राम पंचायतों के हजारों ग्रामीण पिछले कई दिनों से जनसुनवाई रद्द करने की मांग कर रहे थे। ग्रामीणों का आरोप था कि प्रशासन और कंपनी ने प्रभावित गांवों से बिना पूर्ण जानकारी और सहमति के परियोजना को आगे बढ़ाया है।

ग्रामीणों का कहना था कि खदान खुलने से उनकी खेती, जलस्रोत, जंगल और आजीविका पर गंभीर असर पड़ेगा, जबकि कंपनी और प्रशासन ने अब तक कोई स्पष्ट पुनर्वास या मुआवजा नीति नहीं बताई।

सैकड़ों महिलाएं, बुजुर्ग और युवा लगातार धरनों, ग्राम सभाओं और शांतिपूर्ण विरोध कार्यक्रमों में शामिल रहे। कई सामाजिक संगठनों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों ने भी ग्रामीणों के इस आंदोलन को समर्थन दिया।


प्रशासन ने झुकाया सिर

जिला प्रशासन रायगढ़ ने देर शाम स्थगन आदेश जारी करते हुए कहा कि आगामी आदेश तक जनसुनवाई नहीं होगी।
आदेश में उल्लेख है कि क्षेत्र की परिस्थितियों, स्थानीय विरोध और सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए फिलहाल जनसुनवाई को स्थगित किया जा रहा है।

यह निर्णय आते ही प्रभावित ग्रामों में हर्ष और राहत का माहौल बन गया। ग्रामीणों ने इसे “जनशक्ति की जीत” बताते हुए कहा कि जब जनता एकजुट होती है, तो प्रशासन और बड़ी कंपनियों को भी सुनना पड़ता है।


आंदोलनकारियों ने जताया संतोष

जनसुनवाई स्थगन के बाद ग्राम पुरूंगा में जश्न जैसा माहौल देखने को मिला। ग्रामीणों ने ढोल-नगाड़े बजाकर, दीप जलाकर और नारों के साथ अपनी जीत का इजहार किया।
ग्राम पंचायत सामरसिंघा के एक बुजुर्ग किसान लालाराम सिदार ने कहा —

> “हम अपने जंगल, जमीन और जल की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं। सरकार ने आखिर हमारी आवाज़ सुनी, यही असली लोकतंत्र की जीत है।”



वहीं महिला समूहों ने भी प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि पुनः जनसुनवाई की तारीख घोषित की गई, तो विरोध और व्यापक होगा।


क्या है प्रस्तावित परियोजना?

अडानी समूह की कंपनी अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित पुरूंगा भूमिगत कोयला खदान परियोजना लगभग 869.025 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली है। यह परियोजना धरमजयगढ़ वन क्षेत्र के नजदीक है और इसके प्रत्यक्ष प्रभाव क्षेत्र में 50 से अधिक गांव आते हैं।

परियोजना से अपेक्षित उत्पादन क्षमता और पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर कई विशेषज्ञों ने पहले भी आपत्ति दर्ज की थी। ग्रामीणों का कहना है कि खदान शुरू होने से भूजल स्तर नीचे जाएगा, खेती बर्बाद होगी और प्रदूषण बढ़ेगा।

अगला कदम क्या?

प्रशासन ने फिलहाल जनसुनवाई स्थगित करने का आदेश जारी कर दिया है, लेकिन नया कार्यक्रम घोषित न होने तक आंदोलनकारी सतर्क रहेंगे।
ग्रामीण संगठनों ने ऐलान किया है कि वे क्षेत्र में “जनजागरण अभियान” चलाकर लोगों को पर्यावरण और अधिकारों के प्रति जागरूक करते रहेंगे।


संपादकीय टिप्पणी (एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम):
पुरूंगा के ग्रामीणों ने यह साबित कर दिया कि लोकतंत्र में आवाज उठाने वाले कमजोर नहीं, बल्कि बदलाव के वाहक होते हैं।
प्रशासन का निर्णय स्वागत योग्य है, पर यह केवल पहली जीत है — असली परीक्षा तब होगी जब विकास और पर्यावरण के बीच न्यायपूर्ण संतुलन कायम किया जाएगा।

Amar Chouhan

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