पुरुंगा में जनसुनवाई का विरोध तेज: ग्राम पंचायत खर्रा के ग्रामीणों ने रास्ता किया बंद, बोले — “कोल माइंस नहीं, हमारी जमीन और जीवन चाहिए”

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम धरमजयगढ़ / रायगढ़।
अडानी समूह की मेसर्स अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित पुरुंगा भूमिगत कोल खदान परियोजना को लेकर ग्रामीणों का विरोध अब निर्णायक चरण में पहुंच गया है। रविवार को ग्राम पंचायत खर्रा के ग्रामीणों ने जनसुनवाई स्थल जाने वाले मुख्य मार्ग को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक सरकार परियोजना को रद्द नहीं करती, तब तक वे किसी भी अधिकारी या कंपनी प्रतिनिधि को गांव में प्रवेश नहीं करने देंगे।
जनसुनवाई के खिलाफ मोर्चा, हर गांव में उबाल
पुरुंगा, सामरसिंघा, तेंदुमुरी, खर्रा और आसपास के गांवों में कई दिनों से जनसुनवाई के खिलाफ माहौल गर्म है। प्रस्तावित खदान क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने उनकी सहमति के बिना कोल ब्लॉक आवंटित कर दिया है।
ग्राम पंचायत खर्रा में ग्रामीणों ने आज सुबह मुख्य मार्ग पर लकड़ी, पत्थर और ट्रैक्टर लगाकर पोस्टर, बैनर लगाते हुए रास्ता बंद कर दिया, ताकि प्रशासनिक दल या कंपनी का कोई वाहन गांव की ओर न जा सके।
खर्रा में ग्रामीणों का संयुक्त फैसला: ‘जनसुनवाई का बहिष्कार’
ग्राम सभा की आपात बैठक में ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि कोई भी ग्रामीण जनसुनवाई में शामिल नहीं होगा। पंचायत भवन के बाहर बैनर लगाकर ग्रामीणों ने साफ लिखा —
> “हमारे जल-जंगल-जमीन पर अडानी नहीं, हमारा अधिकार रहेगा।”
महिलाएं और युवा भी इस विरोध में बढ़-चढ़कर शामिल हैं। महिलाओं ने कहा कि यदि प्रशासन जबरदस्ती जनसुनवाई करवाने आएगा, तो वे धरने पर बैठ जाएँगी।
जनसुनवाई स्थल की तैयारी, पर विरोध बढ़ता जा रहा
प्रशासन द्वारा 11 नवंबर को निर्धारित जनसुनवाई की तैयारियाँ की जा रही हैं। लेकिन हर गुजरते दिन के साथ विरोध का दायरा बढ़ रहा है।
रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ ब्लॉक के कई ग्राम पंचायत इस परियोजना से प्रभावित हैं। ग्राम पंचायत खर्रा उनमें से एक प्रमुख पंचायत है, जहाँ से जनसुनवाई स्थल के लिए प्रशासनिक मार्ग गुजरता है। अब इस रास्ते पर रुकावट डालकर ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि वे जनसुनवाई नहीं होने देंगे।
ग्रामीणों की प्रमुख आपत्तियाँ
1. पर्यावरणीय खतरा: भूमिगत खनन से भूजल स्तर नीचे जाएगा और कृषि प्रभावित होगी।
2. स्वास्थ्य और प्रदूषण: धूल, कोयले की गंध और कंपन से ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा।
3. जीविकोपार्जन का संकट: जंगल, नदी और खेती — तीनों पर निर्भर जीवन व्यवस्था पूरी तरह खत्म हो जाएगी।
4. सहमति के बिना प्रक्रिया: ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार और कंपनी ने ग्राम सभा की मंजूरी लिए बिना भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई है।
प्रशासन अलर्ट, निगरानी बढ़ाई गई
धरमजयगढ़ प्रशासन ने स्थिति पर नजर बनाए रखी है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस और राजस्व विभाग के अधिकारी मौके की स्थिति का जायजा ले रहे हैं। हालांकि अब तक किसी टकराव या बल प्रयोग की सूचना नहीं मिली है।
अधिकारियों ने ग्रामीणों से संवाद स्थापित करने का प्रयास किया है, लेकिन ग्रामीणों का रुख फिलहाल बेहद सख्त है।
“यह सिर्फ आंदोलन नहीं, अस्तित्व की लड़ाई है”
मेसर्स अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड (अडानी समूह) को पुरुंगा भूमिगत कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया है। यह परियोजना लगभग 869 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली है, जिसमें कई ग्राम पंचायतों की भूमि प्रभावित हो रही है।
जनसुनवाई 11 नवंबर को आयोजित की जानी है, लेकिन लगातार बढ़ते विरोध के चलते प्रशासन के सामने चुनौती खड़ी हो गई है।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की रिपोर्ट