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रायगढ़ में एयरपोर्ट प्रोजेक्ट फिर चर्चा में: चार गांवों में भूमि खरीद-बिक्री पर रोक कायम, ग्रामीणों ने की प्रतिबंध हटाने की मांग

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़।
कभी रायगढ़ जिले के विकास की बड़ी उम्मीद के रूप में देखे गए कोंड़ातराई एयरपोर्ट प्रोजेक्ट की सुगबुगाहट एक बार फिर तेज हो गई है। करीब 12 साल से अधर में लटकी यह योजना अब फिर से प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। जिला प्रशासन ने अब तक जिन चार गांवों — कोंड़ातराई, औरदा, बेलपाली और जकेला — में भूमि खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था, वहां आज भी यह रोक बरकरार है। ग्रामीण लगातार इस रोक को हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की चुप्पी इस ओर संकेत कर रही है कि परियोजना अब भी सरकार की योजनाओं में जीवित है।


12 साल पुराना सपना, जो अब भी अधूरा

वर्ष 2013 के आसपास रायगढ़ में एयरपोर्ट और “नया रायगढ़” बसाने की योजना शुरू की गई थी। प्रशासन ने उस समय करीब 592 एकड़ भूमि का अधिग्रहण प्रस्तावित किया था। इस दौरान चारों गांवों की जमीन पर खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। लेकिन जब एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने विस्तृत योजना में कुल 800 एकड़ जमीन की मांग रख दी, तो पूरा प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया।

अब, एक बार फिर जब औद्योगिक निवेश और क्षेत्रीय विकास की गति बढ़ रही है, तब यह परियोजना फिर से फाइलों से बाहर आती दिख रही है।


क्यों नहीं हटाया जा रहा प्रतिबंध?

भूमि खरीदी-बिक्री पर प्रतिबंध बनाए रखने को लेकर प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ग्रामीणों ने कई बार कलेक्टर से लेकर विभागीय अधिकारियों तक गुहार लगाई, लेकिन हर बार उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि “मामला राज्य स्तर पर लंबित है।”

इससे यह संकेत मिलता है कि सरकार इस परियोजना को पूरी तरह बंद नहीं करना चाहती। बल्कि, भविष्य में इसे पुनः शुरू करने की संभावनाएं तलाश रही है।


एयरपोर्ट के साथ बसाया जाएगा “नया रायगढ़”

कोंड़ातराई को प्रदेश का दूसरा नेशनल एयरपोर्ट बनाने की योजना थी। इसके साथ ही यहां एक आधुनिक टाउनशिप — “नया रायगढ़” विकसित करने की बात भी कही गई थी। प्रस्ताव के अनुसार, यह एयरपोर्ट शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर होगा और इसमें पहले से मौजूद हवाई पट्टी की 23 एकड़ जमीन को भी शामिल किया जाएगा।


स्थानीयों की परेशानी और नाराजगी

चारों गांवों के किसान और भू-स्वामी अब गंभीर परेशानी में हैं। 10 साल से अधिक समय से उनकी जमीनों पर खरीदी-बिक्री प्रतिबंधित है, जिससे वे न तो अपनी संपत्ति बेच पा रहे हैं, न ही उसका कोई अन्य उपयोग कर पा रहे हैं।
ग्राम कोंड़ातराई के किसान रामकुमार पटेल कहते हैं,

> “सरकार अगर एयरपोर्ट बनाना चाहती है तो हमें उचित मुआवजा दे, लेकिन अगर प्रोजेक्ट ठप है तो प्रतिबंध हटाया जाए। हमारी जमीन बेकार पड़ी है, खेती-बाड़ी और बिक्री दोनों बंद हैं।”




निरीक्षण टीम ने किया था विस्तृत सर्वे

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और रायपुर से आए वरिष्ठ अधिकारियों की टीम ने दो चरणों में पूरे क्षेत्र का निरीक्षण किया था। उन्होंने रनवे, टर्मिनल जोन और टाउनशिप के संभावित नक्शे पर काम भी किया था। परंतु वित्तीय स्वीकृति और भूमि विस्तार को लेकर बात अटक गई। अब फिर से जब रायगढ़ में औद्योगिक गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, तो यह परियोजना फिर से ‘सक्रिय सूची’ में लौटती दिखाई दे रही है।


संकेत स्पष्ट — परियोजना जीवित है

प्रशासन की ओर से प्रतिबंध हटाने का कोई आदेश न आना इस बात का साफ संकेत है कि एयरपोर्ट प्रोजेक्ट पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। सूत्रों के अनुसार, आने वाले समय में राज्य सरकार इस प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेज सकती है।


ग्रामीणों की अपील

स्थानीय निवासियों ने जिला प्रशासन से दो टूक मांग की है कि या तो परियोजना को औपचारिक रूप से रद्द किया जाए, या फिर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर किसानों को मुआवजा दिया जाए। फिलहाल स्थिति यह है कि चारों गांवों के सैकड़ों किसानों की जमीनें “अनिश्चितता की गिरफ्त” में हैं।

समाचार सहयोगी मंजीता चौहान की रिपोर्ट

Amar Chouhan

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