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पुरुंगा कोल माइंस के विरोध में उफान — विधायक लालजीत राठिया व उमेश पटेल पहुंचे धरनास्थल, ग्रामीणों का मिला मजबूत जनसमर्थन

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम धरमजयगढ़/खरसिया, 9 नवंबर।
अडानी समूह की प्रस्तावित मेसर्स अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड (पुरुंगा भूमिगत कोल माइंस परियोजना) के विरोध में चल रहा ग्रामीण आंदोलन अब निर्णायक चरण में पहुँच गया है। परियोजना से प्रभावित गांवों के हजारों ग्रामीण बीते कई दिनों से पुरुंगा-हाटी क्षेत्र में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को आंदोलन को नई ऊर्जा तब मिली, जब धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया और खरसिया विधायक उमेश पटेल ने स्थल पर पहुँचकर ग्रामीणों का समर्थन किया।

दोनों जनप्रतिनिधियों ने प्रभावित ग्रामवासियों से मुलाकात कर उनकी बातें सुनीं और आंदोलन को “जनता की आवाज़” बताते हुए कहा कि जब तक लोगों की सहमति नहीं, तब तक किसी भी कीमत पर कोल खदान परियोजना लागू नहीं होने दी जाएगी। इस दौरान बड़ी संख्या में युवा कांग्रेस कार्यकर्ता और क्षेत्रीय सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी मौके पर मौजूद रहे।

विधायक उमेश पटेल ने कहा कि प्रदेश की जनता विकास चाहती है, विनाश नहीं। बिना ग्रामसभा की सहमति और पर्यावरणीय संतुलन का आकलन किए ऐसी परियोजनाएँ थोपना जनता के अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा, “यह लड़ाई सिर्फ जमीन की नहीं, आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की है।”

वहीं विधायक लालजीत राठिया ने प्रशासन पर “हठधर्मिता” का आरोप लगाते हुए कहा कि बार-बार विरोध जताने के बावजूद कलेक्टर और कंपनी प्रबंधन जनभावनाओं की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह तत्काल जनसुनवाई को निरस्त कर ग्रामीणों की बात सुने।

ग्रामीणों की नाकाबंदी, प्रशासन ड्रोन से ले रहा स्थिति का जायजा

धरना स्थल के आसपास का पूरा इलाका अब आंदोलन का केंद्र बन चुका है। ग्रामीणों ने सामूहिक निर्णय लेते हुए गांवों की सीमाओं पर नाकाबंदी कर दी है। अब किसी भी कंपनी प्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी को गांव में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से क्षेत्र की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।

ग्रामीणों का कहना है कि यह आंदोलन पूरी तरह अहिंसक और जनहितकारी है, और जब तक प्रशासन जनसुनवाई को स्थगित नहीं करता, वे पीछे नहीं हटेंगे।

“जनता की जीत तय है”

धरना स्थल पर मौजूद एक ग्रामवासी ने कहा, “हम अपने खेत-खलिहान, जंगल और जलस्रोत बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारी भूमि हमारी पहचान है। किसी भी कीमत पर खदान नहीं खुलने देंगे।”
आंदोलन में महिलाएँ और युवा बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। गांव-गांव में रातभर चौकसी और पहरा लगाया जा रहा है।

प्रशासन की चुप्पी, तनावपूर्ण शांति

वहीं जिला प्रशासन ने स्थिति पर आधिकारिक बयान देने से परहेज किया है। सूत्र बताते हैं कि प्रशासन उच्च स्तर पर परामर्श कर रहा है ताकि आंदोलन की स्थिति नियंत्रण से बाहर न जाए। धरमजयगढ़ और खरसिया पुलिस बल को अलर्ट मोड पर रखा गया है।

स्थानीय जनसंगठनों का कहना है कि यदि प्रशासन और कंपनी ने संवाद की प्रक्रिया नहीं अपनाई, तो आने वाले दिनों में आंदोलन और तीखा होगा।


सम्पादकीय टिप्पणी:
पुरुंगा-हाटी क्षेत्र का यह आंदोलन अब केवल एक स्थानीय विरोध नहीं, बल्कि पर्यावरण, आजीविका और जनसहमति के अधिकार की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। जनता की एकजुटता और जनप्रतिनिधियों के समर्थन से यह संघर्ष प्रदेश की राजनीति और नीति-निर्माण के केंद्र में आ गया है।

Amar Chouhan

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