जिंदल सीमेंट प्लांट में भड़का आक्रोश — नौकरी मांगने पहुंचे ग्रामीणों को गार्ड ने कुत्ते से डराया(देखें वीडियो), उग्र आंदोलन की चेतावनी

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़।
रायगढ़ जिले में जिंदल समूह के सीमेंट प्लांट को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है। भूमि अधिग्रहण के बदले नौकरी की मांग कर रहे प्रभावित ग्रामीणों के साथ कथित तौर पर अमानवीय व्यवहार किए जाने से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश फैल गया है। गुरुवार को जब कुछ प्रभावित ग्रामीण रोजगार की मांग को लेकर प्लांट के गेट पर पहुंचे, तो वहां मौजूद सुरक्षा गार्ड ने उन्हें कुत्ते से डराया। इस घटना ने विरोध को और भड़का दिया है।
भू-अर्जन के समय दिया गया था नौकरी का आश्वासन
ग्रामीणों ने बताया कि जिंदल सीमेंट प्लांट के लिए जब उनकी जमीन अधिग्रहित की गई थी, तब प्रबंधन की ओर से यह वादा किया गया था कि प्रत्येक प्रभावित परिवार से कम से कम एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी। लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी सैकड़ों परिवार अब तक रोजगार से वंचित हैं।
गांव के बुजुर्गों ने बताया कि — “हमने अपनी उपजाऊ जमीन उद्योग को इसलिए दी थी ताकि हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके। लेकिन आज तक हमें केवल झूठे आश्वासन ही मिले हैं।”
नौकरी मांगने पहुंचे, तो दिखाया कुत्ता
गुरुवार को कुछ प्रभावित ग्रामीण जब अपनी मांगों के साथ सीमेंट प्लांट के गेट पर पहुंचे और शांतिपूर्वक प्रतिनिधियों से मिलने की कोशिश की, तभी वहां तैनात एक गार्ड ने उन्हें कुत्ते से डराकर भगा दिया।
इस घटना ने ग्रामीणों को गहराई तक आहत किया। ग्रामीणों ने कहा कि — “हम अपने हक की बात करने गए थे, लेकिन हमें जानवरों से डराया गया। यह हमारी अस्मिता का अपमान है।”
ग्रामीणों का विरोध तेज, उग्र आंदोलन की चेतावनी
इस घटना के बाद गांव में भारी रोष व्याप्त है। ग्रामीणों ने आपात बैठक बुलाकर निर्णय लिया है कि यदि कंपनी और प्रशासन ने इस अपमानजनक घटना पर माफी नहीं मांगी और रोजगार का समाधान नहीं निकाला, तो वे आने वाले दिनों में उग्र आंदोलन करेंगे।
ग्रामीण संगठनों ने कहा कि वे अब “कागज़ी आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई” चाहते हैं।
कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि कंपनी प्रबंधन ने अब तक न तो विस्थापितों की सूची का सत्यापन किया और न ही रोजगार देने की स्पष्ट नीति लागू की है।
प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग
ग्रामीणों ने कलेक्टर रायगढ़ और जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की घटना औद्योगिक संयंत्रों की छवि को खराब करती है और जनता के विश्वास को तोड़ती है।
मजदूर संगठनों का कहना है कि — “यदि कंपनी ने प्रभावितों के साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया, तो आंदोलन केवल एक गांव का नहीं रहेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र का जनांदोलन बन जाएगा।”
सवालों के घेरे में जिंदल प्रबंधन
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने भी कंपनी के रवैये पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह सिर्फ रोजगार का मुद्दा नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं का भी प्रश्न है। जिस जमीन पर आज उद्योग खड़ा है, वही ग्रामीणों की पहचान थी, और अब वही लोग दर-दर रोजगार की गुहार लगा रहे हैं।

संपादकीय:
रायगढ़ जैसे औद्योगिक जिले में बार-बार सामने आ रही ऐसी घटनाएँ यह संकेत देती हैं कि उद्योग और स्थानीय समाज के बीच संवाद की खाई अब गहरी होती जा रही है। यदि प्रबंधन और प्रशासन ने मिलकर संवेदनशीलता नहीं दिखाई, तो यह विवाद भविष्य में बड़े सामाजिक असंतोष का रूप ले सकता है।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की रिपोर्ट