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NTPC तलाईपल्ली परियोजना के संविदा कर्मियों की पुकार — “हम भी इंसान हैं, हमें भी भत्ते चाहिए” | मजदूर कल्याण संघ ने कलेक्टर रायगढ़ से की न्यायपूर्ण मांग

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा।

एन.टी.पी.सी. तलाईपल्ली कोयला परियोजना में कार्यरत सैकड़ों संविदा कर्मियों ने आखिरकार अपनी वर्षों पुरानी मांगों को लेकर आवाज बुलंद कर दी है। गुरुवार को मजदूर कल्याण संघ के बैनर तले एक प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर रायगढ़ को ज्ञापन सौंपा, जिसमें HRA (हाउस रेंट अलाउंस), Conveyance (यातायात भत्ता) और Communication (संचार भत्ता) जैसे मूलभूत सुविधाओं की मांग की गई।

कर्मचारियों का कहना है कि वे लंबे समय से एन.टी.पी.सी. की माइनिंग बाउंड्री के भीतर विभिन्न विभागों — कोल लैब, डिस्पैच कंप्यूटर ऑपरेटर, सर्वे (खनन विभाग), सिविल, एचआर, इलेक्ट्रिकल, हाउसकीपिंग, गार्डनिंग और सब-पावर सबस्टेशन — में कार्यरत हैं। इसके बावजूद उन्हें ठेका संस्थाओं एम/एस प्रहलाद मोहराना, सूर्या तेजा और ए.के. यादव के माध्यम से केवल न्यूनतम वेतन ही मिल रहा है।

कर्मचारियों ने बताया कि इसी परियोजना में कार्यरत “CHAND COLLECTION (Prop. अली कमरान)” संस्था के अधीन काम करने वाले सेफ्टी सुपरवाइजर्स को सभी प्रकार के भत्ते मिलते हैं, जबकि बाकी विभागों के कर्मियों के साथ ऐसा भेदभाव किया जा रहा है। इस असमान नीति से कर्मियों में गहरा असंतोष व्याप्त है।

प्रबंधन को कई बार दी सूचना, पर नहीं हुई कार्रवाई

संविदा कर्मियों ने बताया कि उन्होंने कई बार एन.टी.पी.सी. प्रबंधन को अपनी समस्याओं से अवगत कराया — मौखिक रूप से भी और लिखित रूप में भी — लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। हालात से परेशान कर्मियों ने असहयोग आंदोलन का मन तो बनाया, परंतु उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि आंदोलन के दौरान उत्पादन, डिस्पैच या शिफ्टिंग जैसे आवश्यक कार्य बाधित न हों।

कर्मचारियों ने कहा कि “हमारा उद्देश्य उद्योग को रोकना नहीं, बल्कि अपनी वैध मांगों को शासन और प्रबंधन तक पहुंचाना है।”

सीमित वेतन में कठिन जीवन

संविदा कर्मी नंदकुमार पटेल (इलेक्ट्रिकल विभाग) और संतोष राणा (132 के.वी. सब-स्टेशन) ने बताया कि सीमित वेतन में परिवार का भरण-पोषण, बच्चों की शिक्षा और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर पाना अब बेहद मुश्किल हो गया है।
उन्होंने कहा — “हमारी सेवा से परियोजना चलती है, लेकिन हमें जीवन-यापन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। हमें भी वो भत्ते मिलें जो दूसरे विभागों में मिल रहे हैं।”

मजदूर कल्याण संघ की प्रमुख मांगें

ज्ञापन में मजदूर कल्याण संघ ने तीन प्रमुख मांगें रखीं —

1. भत्तों की समानता:
सभी संविदा कर्मियों को HRA, Conveyance और Communication भत्ता अन्य संस्थाओं की तरह नियमित रूप से दिया जाए।


2. अनुबंध अवधि बढ़ाई जाए:
मैनपावर अनुबंध की अवधि 1 वर्ष से बढ़ाकर 3 वर्ष की जाए, ताकि कर्मियों को स्थायित्व और सुरक्षा मिल सके।


3. ‘One Site – One Contract’ नीति लागू हो:
एम/एस प्रहलाद मोहराना, सूर्या तेजा और ए.के. यादव जैसी मैनपावर सप्लाई एजेंसियों के अनुबंधों को एकीकृत किया जाए, ताकि पारदर्शिता और समानता स्थापित हो सके।



कलेक्टर से मानवीय हस्तक्षेप की अपील

संविधान प्रदत्त श्रम अधिकारों और मानवीय संवेदनाओं का हवाला देते हुए मजदूर कल्याण संघ ने कलेक्टर रायगढ़ से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। संघ का कहना है कि यदि प्रशासन उचित दिशा में कदम उठाता है, तो सैकड़ों परिवारों को राहत मिल सकेगी और औद्योगिक माहौल भी सकारात्मक रहेगा।

संघ की चेतावनी, पर संयमित रुख

संघ ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया, तो कर्मियों को मजबूरन चरणबद्ध आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। फिर भी उन्होंने यह भी कहा कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण और संयमित रहेगा — “हम सिर्फ न्याय चाहते हैं, टकराव नहीं।”




संपादकीय दृष्टि से:
एन.टी.पी.सी. जैसी राष्ट्रीय परियोजना में कार्यरत संविदा कर्मियों की स्थिति एक बार फिर ठेका प्रणाली की वास्तविकता को उजागर करती है — जहां समान कार्य करने के बावजूद वेतन और सुविधाओं में भारी अंतर बना हुआ है। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस मुद्दे को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या संविदा कर्मियों की यह पुकार शासन-प्रबंधन के कानों तक पहुंच पाती है या नहीं।

समाचार सहयोगी सुनील जोल्हे की रिपोर्ट

Amar Chouhan

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