विधवा रतनी अगरिया की प्रधानमंत्री आवास योजना ने बदली जिंदगी, झोपड़ी से पक्के मकान तक का सफर

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, छत्तीसगढ़, 28 अक्टूबर 2025
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की ग्राम पंचायत महलोई, जनपद पंचायत तमनार में रहने वाली विधवा रतनी अगरिया की जिंदगी आज एक नई उम्मीद की किरण से रोशन हो चुकी है। प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) वर्ष 2024-25 के तहत मिली 1 लाख 20 हजार रुपये की सहायता से उन्होंने अपनी टूटी-फूटी झोपड़ी को एक मजबूत पक्के मकान में बदल दिया है। यह न केवल एक आवास की कहानी है, बल्कि एक विधवा महिला की संघर्षपूर्ण जिंदगी में आए सकारात्मक परिवर्तन की प्रेरणादायक गाथा है। रतनी की यह सफलता ग्रामीण भारत की लाखों विधवाओं के लिए एक मिसाल बन चुकी है, जहां सरकारी योजनाओं ने गरीबी की जंजीरों को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
झोपड़ी की छाया में गुजरा बचपन और युवावस्था..
रतनी अगरिया का जीवन हमेशा से ही संघर्षों से भरा रहा है। उनके पति भागीरथी अगरिया की असामयिक मृत्यु के बाद, रतनी अकेले ही अपने दो बच्चों की परवरिश करने लगीं। महलोई गांव की एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली रतनी को पति के जाने के बाद आर्थिक तंगी ने घेर लिया। गांव के किनारे पर बनी एक पुरानी झोपड़ी ही उनका आशियाना था, जहां बारिश के दिनों में पानी टपकता था और गर्मी में लू का सामना करना पड़ता था। “मेरी झोपड़ी इतनी कमजोर थी कि हवा का एक झोंका आते ही दीवारें हिलने लगतीं। बच्चे बीमार पड़ जाते, लेकिन इलाज के पैसे कहां से लाती?” रतनी बताती हैं, उनकी आंखों में आज भी उन कठिन दिनों की उदासी झलकती है।
गांव में मजदूरी का काम मिलना आसान नहीं था। कभी-कभी मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) के तहत काम मिल जाता, रतनी को याद है कि कैसे वे दिन-रात खेतों में काम करतीं, फिर भी परिवार का पेट पालना मुश्किल होता।
प्रधानमंत्री आवास योजना: एक नई सुबह का आगमन
2024 में जब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभार्थियों की सूची जारी हुई, तो रतनी का नाम भी शामिल हो गया। यह योजना, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलाई जा रही है, गरीबों, विशेषकर विधवाओं और असहाय महिलाओं को पक्के आवास प्रदान करने का लक्ष्य रखती है। रायगढ़ जिले के तमना जनपद पंचायत के अधिकारियों ने रतनी के आवेदन को प्राथमिकता दी|
स्वीकृत राशि 1 लाख 20 हजार रुपये थी, जो केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से प्रदान की गई। योजना के तहत, लाभार्थी को निर्माण सामग्री और मजदूरी के लिए सहायता मिलती है, ताकि वे स्वयं या स्थानीय मजदूरों के माध्यम से घर बना सकें। रतनी ने मनरेगा योजना का 90 दिवस भी लाभ मिला। ” इससे मुझे निर्माण में अतिरिक्त पैसे मिले,” रतनी गर्व से बताती हैं। यह राशि न केवल घर बनाने में सहायक हुई, बल्कि रतनी को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया।
लाभ: केवल छत नहीं, सम्मान और आत्मविश्वास की प्राप्ति
प्रधानमंत्री आवास योजना ने रतनी को केवल एक पक्का मकान ही नहीं दिया, बल्कि जीवन में स्थिरता और सम्मान भी प्रदान किया। विधवाओं के लिए यह योजना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत में लाखों विधवाएं बेघर या अस्थिर आवास में रहने को मजबूर हैं। 2024-25 में छत्तीसगढ़ में पीएमएवाई के तहत हज़ारो आवास स्वीकृत हुए, जिनमें से करीब 30 प्रतिशत विधवाओं और एकल महिलाओं को दिए गए। रतनी जैसे मामलों से साबित होता है कि यह योजना ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने का एक शक्तिशाली माध्यम है।
एक प्रेरणा, लाखों के लिए संदेश
रतनी अगरिया की यह सफलता की कहानी न केवल महलोई गांव की सीमाओं तक सीमित है, बल्कि पूरे देश के लिए एक संदेश है। जब सरकार की योजनाएं सही तरीके से लागू होती हैं, तो वे लाखों जिंदगियों को नई दिशा दे सकती हैं।
यह कहानी साबित करती है कि प्रधानमंत्री आवास योजना विधवाओं के लिए केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से ऐसे और भी चेहरे रोशन होंगे, जहां झोपड़ियां पक्के आशियानों में बदलेंगी और आंसू मुस्कानों में। रतनी का घर आज न केवल ईंट-पत्थर का ढांचा है, बल्कि उनकी हिम्मत और सरकारी सहयोग का जीवंत प्रतीक है।