“रामेश्वरी बिरहोर की सफलता की कहानी : झोपड़ी से पक्के मकान तक का सफर”

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की जनपद पंचायत तमना के ग्राम पंचायत कचकोबा में रहने वाली रामेश्वरी बिरहोर, जो बिरहोर जनजाति की हैं, उनके पति शनिदेव बिरहोर के साथ एक साधारण जीवन व्यतीत करती थीं। पूर्व में यह परिवार एक जीर्ण-शीर्ण झोपड़ी में रहता था। मिट्टी की दीवारें, फूस की छत और बारिश के मौसम में टपकता पानी – यही थी उनकी दैनिक जिंदगी की हकीकत। झोपड़ी में न तो सुरक्षा थी, न सुविधा। गर्मी में उमस, सर्दी में ठिठुरन और बरसात में पानी की बौछारें परिवार को हमेशा परेशान रखती थीं। आर्थिक तंगी के कारण पक्का मकान बनाने का सपना दूर की कौड़ी लगता था। रामेश्वरी और उनके पति शनिदेव मजदूरी कर किसी तरह गुजारा करते थे, लेकिन परिवार की बुनियादी जरूरतें पूरी करना भी चुनौतीपूर्ण था।
फिर आया वर्ष 2024-25 का वह सुनहरा अवसर – प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएम-जनमन)। यह योजना विशेष रूप से जनजातीय समुदायों के लिए शुरू की गई है, जो उन्हें पक्का आवास प्रदान कर उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाती है। रामेश्वरी बिरहोर को इस योजना के तहत हितग्राही के रूप में चयनित किया गया। स्वीकृत राशि ₹2,00,000 की थी, जो सीधे उनके खाते में हस्तांतरित हुई।

महात्मा गाँधी राष्ट्रिय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत ९० दिवस का मजदूरी भुगतान राशि ₹ 23490.00 हितग्राही को मिला तथा योजना की पारदर्शिता और सरकारी अधिकारियों की मदद से निर्माण कार्य सुचारु रूप से शुरू हुआ। स्थानीय ग्राम पंचायत और जनपद पंचायत के सहयोग से सामग्री उपलब्ध कराई गई, और मजदूरों की टीम ने मेहनत से काम किया।
आज, वर्तमान में रामेश्वरी बिरहोर का आवास पूर्ण रूप से तैयार है। भौतिक स्थिति की जांच में यह पक्का मकान पूरी तरह से पूरा पाया गया है। मजबूत ईंटों की दीवारें, सीमेंट की छत, दरवाजे-खिड़कियां और फर्श – सब कुछ आधुनिक और सुरक्षित। अब बारिश का पानी नहीं टपकता, गर्मी-सर्दी का असर कम होता है, और परिवार को एक स्थायी आश्रय मिल गया है। रामेश्वरी कहती हैं, “पहले झोपड़ी में रहकर हम डरते थे कि कहीं छत न गिर जाए। अब पक्के मकान में रहकर मन को शांति मिलती है। बच्चे खुशी-खुशी खेलते हैं, और हमारा जीवन सुरक्षित हो गया है।”
पीएम-जनमन योजना ने न केवल रामेश्वरी के परिवार को नया घर दिया, बल्कि आत्मविश्वास और गरिमा भी प्रदान की। यह कहानी दर्शाती है कि कैसे सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं दूरदराज के जनजातीय परिवारों तक पहुंचकर उनके जीवन को बदल रही हैं। रामेश्वरी बिरहोर की यह सफलता की मिसाल अन्य हितग्राहियों के लिए प्रेरणा बन रही है। झोपड़ी से पक्के मकान तक का यह सफर साबित करता है कि सपने सच हो सकते हैं, जब सरकार और जनता का सहयोग हो!