RTI पर राज्य सूचना आयोग की सख़्त कार्रवाई — पंचायत सचिव को तलब, पारदर्शिता से खिलवाड़ पर सख्त चेतावनी

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 23 अक्टूबर 2025।
छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि सूचना के अधिकार (RTI) कानून को हल्के में लेने वाले अधिकारी अब बख्शे नहीं जाएंगे। रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत बजरमुड़ा (पोस्ट सराईटोला) के एक मामले में सूचना आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए संबंधित पंचायत सचिव और जनपद पंचायत तमनार के अधिकारियों को तलब किया है। आयोग ने सूचना न देने को गंभीर लापरवाही मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी है।
मामला क्या है?
मामला ग्राम बजरमुड़ा निवासी कार्तिक राम पोर्ते की अपील से जुड़ा है। उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत पंचायत से कुछ दस्तावेजों और अभिलेखों की मांग की थी।
निर्धारित समयावधि में सूचना न मिलने पर उन्होंने पहले प्रथम अपील दायर की, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला। अंततः उन्होंने द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग, नया रायपुर में प्रस्तुत की।
आयोग ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मामले पर सुनवाई तय की है।
आयोग का सख़्त आदेश
राज्य सूचना आयोग के पत्र क्रमांक 145017/ए.आई./3924/2024/रायगढ़ में स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि—
> “वर्तमान जनसूचना अधिकारी अपीलकर्ता द्वारा मांगी गई समस्त सूचनाओं के सत्यापित अभिलेख आयोग को प्रस्तुत करें। यदि निर्धारित समय सीमा में सूचना प्रस्तुत नहीं की गई, तो सूचना अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारंभ की जाएगी।”
साथ ही आयोग ने यह भी कहा है कि यदि संबंधित अधिकारी सुनवाई में अनुपस्थित रहते हैं, तो इसे “जानबूझकर की गई लापरवाही” माना जाएगा और विभागीय कार्रवाई तय होगी।
सुनवाई की तारीख तय
इस प्रकरण की द्वितीय अपील की सुनवाई 9 दिसंबर 2025 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला सूचना विज्ञान केंद्र रायगढ़ में आयोजित होगी।
आयोग ने अपीलकर्ता और संबंधित अधिकारियों — दोनों को — अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं।
अपीलकर्ता की प्रतिक्रिया
अपीलकर्ता कार्तिक राम पोर्ते ने आयोग के कदम का स्वागत करते हुए कहा —
> “ग्राम पंचायत में पारदर्शिता की मांग करना अब जैसे अपराध बन गया है। महीनों बीत जाने के बाद भी सचिव और जनपद अधिकारियों ने सूचना देने से इनकार कर दिया। आयोग की सख्ती स्वागत योग्य है, ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी RTI कानून को हल्के में न ले।”
RTI कानून की ताकत और पंचायतों की उदासीनता
यह मामला एक बार फिर उजागर करता है कि ग्रामीण स्तर पर सूचना के अधिकार कानून का पालन बेहद लचर है।
कई पंचायतें अब भी पारदर्शिता और जवाबदेही से बचने का प्रयास करती हैं — जो न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि लोकतांत्रिक जवाबदेही पर चोट भी है।
छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग की सक्रियता अब नागरिक अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है। यदि आयोग इस प्रकरण में कठोर निर्णय देता है, तो यह पूरे राज्य में एक मिसाल बनेगा और संकेत देगा कि —
> “अब सूचना छिपाना महंगा पड़ेगा।”
पंचायत सचिव और जनपद अधिकारियों को अब 9 दिसंबर की सुनवाई में पेश होकर जवाब देना होगा।
यदि आयोग के निर्देशों की अवहेलना की गई, तो उनके विरुद्ध कड़ी विभागीय कार्रवाई लगभग तय मानी जा रही है।
यह प्रकरण सिर्फ एक अपील नहीं, बल्कि इस बात का प्रतीक है कि जब नागरिक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होते हैं —
तो सत्ता-तंत्र को जवाब देना ही पड़ता है।
समाचार सहयोगी कार्तिक राम पोर्ते की रिपोर्ट