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✨“दिवाली बाजार 2025” : तमनार में जगमगाया महिला सशक्तिकरण का उत्सव — जिंदल फाउंडेशन और जेपीएल के सहयोग से स्थानीय हुनर को मिला नया मंच✨

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़/तमनार। दीपों का पर्व इस बार तमनार में केवल रोशनी का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया। जिंदल फाउंडेशन एवं जेपीएल तमनार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “दिवाली बाजार 2025” ने स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों और हस्तशिल्पियों की प्रतिभा को नया आयाम दिया।

इस भव्य आयोजन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अंचल की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और उनके हस्तनिर्मित उत्पादों को एक सशक्त बाजार उपलब्ध कराना रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ जेपीएल तमनार के कार्यपालन निदेशक एवं संयंत्र प्रमुख श्री जी. वेंकट रेड्डी ने दीप प्रज्जवलन एवं फीता काटकर किया। उनके साथ मंच पर सीएसआर विभागाध्यक्ष ऋषिकेश शर्मा, सहायक महाप्रबंधक राजेश रावत, प्रबंधक शीतल पटेल तथा क्षेत्र के जनप्रतिनिधि एवं मीडिया प्रतिनिधि उपस्थित रहे।




महिलाओं के हाथों से सजी दीपावली की चमक

दिवाली बाजार में विभिन्न ग्रामों की महिलाओं ने अपनी मेहनत और रचनात्मकता से तैयार की हुई वस्तुएँ प्रदर्शित कीं — जिनमें मिट्टी के दीये, टेराकोटा कलाकृतियाँ, मोमबत्तियाँ, गृह सज्जा की वस्तुएँ, रंगोली सामग्री से लेकर स्वादिष्ट देशी व्यंजन जैसे बड़ा, भजिया, लिटी चोखा, मिठाइयाँ और पारंपरिक स्नैक्स शामिल थे।
इन उत्पादों की बिक्री से महिला समूहों को न केवल आर्थिक लाभ मिला, बल्कि स्वावलंबन का आत्मविश्वास भी प्राप्त हुआ।




मुख्य अतिथियों ने सराहा महिलाओं की पहल

मुख्य अतिथि जी. वेंकट रेड्डी ने सभी स्टॉलों का भ्रमण किया और महिला उद्यमियों से संवाद किया। उन्होंने कहा—

> “इस तरह के आयोजन महिलाओं को केवल कमाई का नहीं, बल्कि सम्मान और आत्मनिर्भरता का अवसर प्रदान करते हैं। तमनार क्षेत्र में यह बाजार एक मिसाल बनेगा कि ग्रामीण महिलाएँ यदि अवसर पाएं तो किसी से कम नहीं।”



वहीं ऋषिकेश शर्मा (विभागाध्यक्ष, सीएसआर) ने अपने उद्बोधन में कहा—

> “जिंदल फाउंडेशन और जेपीएल की पहल का उद्देश्य स्थानीय समूहों के उत्पादों को प्रोत्साहन देना और उन्हें स्थायी बाजार से जोड़ना है। हमारा संकल्प है कि हर ग्रामीण महिला अपने हुनर से आत्मनिर्भर बने।”






सांस्कृतिक रंग और स्वाद की विविधता

बाजार में केवल प्रदर्शनी ही नहीं, बल्कि मनोरंजन और सांस्कृतिक मेल का भी समावेश रहा। बच्चों के लिए झूले, खेल, और रंग-बिरंगे सजावटी स्टॉलों ने माहौल को जीवंत बना दिया।
खास आकर्षण रहे राजस्थानी, दक्षिण भारतीय, उड़िया, झारखंडी, छत्तीसगढ़ी और चाइनीज व्यंजन, जिनका स्वाद चखने के लिए भीड़ उमड़ी रही।




स्थानीय हुनर को मिला मंच, समाज को मिला संदेश

दिवाली बाजार 2025 यह साबित करता है कि सामुदायिक सहयोग और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के माध्यम से ग्रामीण अंचलों में आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।
महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की यह पहल केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो आने वाले वर्षों में तमनार क्षेत्र के सामाजिक ढांचे को नई दिशा दे सकता है।

Amar Chouhan

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