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हुंकराडीपा चौक तमनार में कोयला खनन के खिलाफ प्रभावितों का अनिश्चितकालीन अनशन, कोयला और फ्लाई ऐश ट्रकों की आवाजाही ठप


सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, छत्तीसगढ़: तमनार क्षेत्र, जो कोयला खनन गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है, इन दिनों तीव्र विरोध प्रदर्शन का गवाह बन रहा है। स्थानीय लोग, आदिवासी समुदाय और सैकड़ों महिलाएं जंगल कटाई, फ्लाई ऐश प्रदूषण, सड़क दुर्घटनाओं और आदिवासियों की जमीन की लूट के खिलाफ अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए हैं। इस विरोध के चलते क्षेत्र में कोयला और फ्लाई ऐश ढोने वाले ट्रकों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है, जिससे कोयला खनन कंपनियों और स्थानीय प्रशासन के लिए गंभीर चुनौती खड़ी हो गई है।

प्रभावितों का आरोप: जमीन छीनी जा रही, पर्यावरण हो रहा तबाह
प्रदर्शनकारीयों का कहना है कि कोयला खनन कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर जंगल कटाई की जा रही है, जिससे उनकी आजीविका और पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है। हसदेव अरण्य जैसे जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्रों के तर्ज में खनन के लिए यहाँ हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं, जिससे वन्यजीवों और स्थानीय समुदायों का जीवन संकट में है। इसके अलावा, कोयला खदानों से निकलने वाली फ्लाई ऐश के कारण वायु और जल प्रदूषण बढ़ रहा है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।
प्रभावितों ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी पुश्तैनी जमीनें बिना उचित मुआवजे और सहमति के अधिग्रहित की जा रही हैं। कई ग्रामीणों ने दावा किया कि खनन कंपनियां और प्रशासन उनकी जमीनों को हड़पने के लिए दबाव डाल रहे हैं, जिससे उनके अधिकारों का हनन हो रहा है।

सड़क दुर्घटनाएं बनीं गंभीर समस्या
तमनार क्षेत्र में कोयला और फ्लाई ऐश ढोने वाले भारी-भरकम ट्रकों की आवाजाही से सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि खराब सड़कें और तेज रफ्तार ट्रक दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण हैं, जिससे कई लोगों की जान जा चुकी है। इस मुद्दे ने भी प्रदर्शन को और हवा दी है।

अनशन और ट्रकों की आवाजाही पर असर
इस अनिश्चितकालीन अनशन में सैकड़ों ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। प्रदर्शनकारियों ने कोयला और फ्लाई ऐश ट्रकों की आवाजाही को रोक दिया है, जिससे खनन गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। इस विरोध के कारण कोयला खनन कंपनियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, और क्षेत्र में तनाव का माहौल है।

कंपनी प्रबंधन और प्रशासन की प्रतिक्रिया
कोल माइंस कंपनियों के प्रबंधन ने अभी तक इस विरोध पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, कंपनियां और स्थानीय प्रशासन इस मसले को सुलझाने के लिए बातचीत की कोशिश कर रहे हैं। प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए संयुक्त दल तैनात किया है, जिसमें पुलिस, जिला प्रशासन और वन विभाग के अधिकारी शामिल हैं। फिर भी, ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे अनशन और विरोध जारी रखेंगे।

मांगें और भविष्य की दिशा
प्रदर्शनकारी निम्नलिखित मांगें उठा रहे हैं: 
जंगल कटाई और खनन गतिविधियों पर तत्काल रोक। 
फ्लाई ऐश प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपाय। 
सड़क सुरक्षा के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रक आवाजाही पर नियंत्रण। 
प्रभावितों की जमीन अधिग्रहण में पारदर्शिता और उचित मुआवजा।
स्थानीय प्रभावित ग्रामीणों ने कहा, “हमारी जमीन, जंगल और जीवन दांव पर हैं। हम तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं।”

शासन-प्रशासन से अपील
यह विरोध प्रदर्शन न केवल तमनार, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ और देश के कोयला प्रभावित क्षेत्रों में पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। शासन और प्रशासन से अपील है कि वे इस मामले को गंभीरता से लें और प्रदर्शनकारियों के साथ संवाद स्थापित कर उनकी मांगों पर त्वरित कार्रवाई करें। यदि यह मुद्दा अनसुलझा रहा, तो क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है, जिसका असर कोयला उत्पादन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है।
इस खबर को लेकर कोयला खनन कंपनियों और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम उठाए जाने की प्रतीक्षा है।

Amar Chouhan

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