हाथियों का खतरा टलने के बाद भी बिजली गुल: सुबह पानी के लिए जूझ रहे ग्रामीण, विभाग से नाराज़गी बढ़ी
फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम घरघोड़ा/अमलीडीह। हाथियों की दहशत से बचाव के नाम पर रात में बिजली बंद करना अब तक तो ग्रामीणों ने समझौते के रूप में स्वीकार कर रखा था, लेकिन सूर्योदय के बाद भी घंटों तक बिजली सप्लाई शुरू न होने से लोगों में नाराज़गी साफ झलकने लगी है। घरघोड़ा क्षेत्र के अमलीडीह और आसपास के गांवों में बीते कुछ दिनों से यही स्थिति बनी हुई है।
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, वन विभाग और बिजली विभाग की संयुक्त सतर्कता के तहत हाथियों की आमद वाले इलाकों में रात के वक्त बिजली लाइन बंद कर दी जाती है। यह कदम सुरक्षा कारणों से जरूरी माना जाता है, ताकि झुंड के तारों में उलझने या करंट की चपेट में आने जैसी घटनाओं से बचा जा सके।
लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि हाथी सुबह होते ही जंगल की ओर लौट जाते हैं, फिर भी बिजली कई-कई घंटे बाद बहाल होती है, जिससे लोगों की दैनिक दिनचर्या पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाती है।
सुबह पानी के लिए भटकना मजबूरी
गांवों में जलापूर्ति का मुख्य सहारा बिजली संचालित मोटर और टंकी हैं। सुबह-सुबह पानी भरने का समय ही सबसे अहम होता है।
ग्रामीणों का कहना है—
“बिजली नहीं रहने से सुबह घरों में पानी खत्म हो जाता है। बच्चों को स्कूल भेजना हो, खेत-खलिहान का काम हो या घर का—सब ठप पड़ जाता है।”
कई परिवारों को रोज़ाना पास के हैंडपंप या कुएं तक जाना पड़ रहा है। बुजुर्ग और महिलाएं सबसे ज्यादा परेशान हैं।
बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप
ग्रामीणों का आरोप है कि रात की सुरक्षा व्यवस्था तो ठीक है, लेकिन
“सुबह 6 बजे तक बिजली चालू करने की कोई समय-सीमा का पालन नहीं किया जा रहा है।”
लोगों ने बताया कि कई बार फोन करने पर भी लाइन देर से चालू होती है। ग्रामीण इसे विभागीय लापरवाही मान रहे हैं।
ग्रामीणों की मांग—“सुबह 6 बजे हर हाल में बिजली बहाल की जाए”
अमलीडीह और आसपास के गांवों के निवासियों ने स्पष्ट मांग की है कि
➡️ हाथियों के खतरे के पूरी तरह समाप्त होने पर
➡️ सुबह अधिकतम 6 बजे तक बिजली सप्लाई बहाल की जाए
ताकि पानी की समस्या से मुक्ति मिल सके और सामान्य दिनचर्या प्रभावित न हो।
ग्रामीणों ने यह भी कहा कि अगर समस्या जल्द हल नहीं हुई, तो वे सामूहिक रूप से बिजली विभाग से औपचारिक शिकायत करेंगे।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान