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हरियाणा की खाकी पर गहरे दाग: दो मौतों से बेनकाब हुई ‘सत्ता-जाति’ की भीषण दरार


IPS Y. Puran Kumar और ASI Sandeep Lathar की आत्महत्याएँ महज व्यक्तिगत त्रासदियाँ नहीं, बल्कि पुलिस व्यवस्था में अंतर्निहित जातिगत न्यायघात, राजनीतिक दबाव और ‘सिस्टम की सड़ांध’ का प्रखर प्रमाण हैं।

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम चंडीगढ़, 15 अक्तूबर 2025
हरियाणा पुलिस के तंत्र में इस समय गहरा भूचाल आया हुआ है। चंडीगढ़ के एक सरकारी आवास में हुई IPS अधिकारी Y. Puran Kumar की आत्महत्या से उपजा संकट अभी शांत भी नहीं हुआ था कि कुछ ही दिनों बाद ASI Sandeep Lathar की मौत ने इसे एक विस्फोटक मोड़ दे दिया है। दो मौतें, दो विपरीत आख्यान—लेकिन दोनों ही एक ही बीमार तंत्र की ओर इशारा करते हैं: सत्ता, जाति और पुलिस व्यवस्था में विकराल दरार। यह मामला अब किसी एक अधिकारी की त्रासदी से कहीं आगे निकलकर, राज्य के शासन और न्याय की कसौटी बन गया है।

1. सत्ता का दंश: IPS अधिकारी की “अंतिम टिप्पणी”
7 अक्तूबर 2025 को, IPS Y. Puran Kumar ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारकर जीवन समाप्त कर लिया। उनकी मृत्यु के पश्चात, उनकी कथित आठ या नौ पृष्ठों की “अंतिम टिप्पणी” (सुसाइड नोट) सामने आई, जिसने इस घटना को आत्महत्या नहीं, बल्कि “प्रताड़ना और व्यवस्थित उत्पीड़न” का परिणाम बताया।
उनकी कलम से निकले शब्दों ने कई वरिष्ठ IPS/IAS अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया। आरोप गंभीर थे: जातिगत भेदभाव, सार्वजनिक अपमान, मानसिक उत्पीड़न और सत्ता का आत्मसम्भावना से भरा दबाव। यह दस्तावेज़, एक वरिष्ठ दलित अधिकारी के संवैधानिक सुरक्षा तंत्र के पंगु हो जाने की मूक चीख था।

2. विवाद का नया कोण: ASI का पलटवार और दूसरी मौत
जब Y. Puran Kumar की मौत पर न्यायिक जांच और राजनीतिक घमासान तेज़ था, तभी 13 अक्तूबर को ASI Sandeep Lathar ने भी आत्महत्या कर ली। लाठर ने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में इस विवाद को एक नया और पेचिदा आयाम दिया।
जहां पूरन की टिप्पणी जातिगत उत्पीड़न की कहानी कहती है, वहीं लाठर का नोट इसे भ्रष्टाचार के खुलासे आंदोलन से जोड़ता है। लाठर ने आरोप लगाया कि पूरन कुमार ने जानबूझकर फ़ाइलें रोकीं, संपत्तियों की जांच को बाधित किया, और सिस्टम में अनुचित दबाव पैदा किया।
दो शव, दो आख्यान—क्या ये सच के दो पहलू हैं, या तंत्र की ऐसी दरारें, जो केवल खुद को बचाने की कवायद में हैं?

3. जांच का गतिरोध: लैपटॉप, पोस्टमार्टम और FIR की पेचीदगियाँ
जांच शुरू होते ही कई कानूनी और प्रशासनिक गतिरोध सामने आ गए हैं:
* पोस्टमार्टम का टकराव: पूरन के परिवार ने “सभी आरोपी गिरफ्तार होने तक” पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। पुलिस अब कानूनी राह देख रही है, क्योंकि विलंब से महत्वपूर्ण साक्ष्य (जैसे गनपाउडर अवशेष) नष्ट होने का ख़तरा है।
* FIR और धाराएँ: चंडीगढ़ पुलिस ने पूरन की “अंतिम टिप्पणी” के आधार पर FIR दर्ज की—धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और SC/ST अधिनियम की धारा 3(1)(r) के तहत। लेकिन उनकी पत्नी, IAS अमनीत P. Kumar, के दबाव और अदालती हस्तक्षेप के बाद, पुलिस को SC/ST अधिनियम की एक और सख्त धारा 3(2)(v) जोड़नी पड़ी।
* डिजिटल साक्ष्य पर गतिरोध: SIT ने पूरन का लैपटॉप जब्त करने की मांग की, जिसमें सुसाइड नोट का प्रारूप और संचार सामग्री होने की संभावना है। लेकिन अमनीत ने “निजी जानकारियाँ” होने का दावा करते हुए इसे सौंपने से इनकार कर दिया है, जिससे जांच एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर रुक गई है।

4. राजनीतिक उबाल और प्रशासनिक फेरबदल
इस दोहरी त्रासदी ने तत्काल राजनीतिक दबाव पैदा किया।
* उच्च-स्तरीय फेरबदल: DGP शत्रुजीत कपूर को छुट्टी पर भेजा गया और Rohtak SP नरेंद्र बिजरनिया को तत्काल हटाया गया।
* राजनीतिक दबाव: हरियाणा सरकार को 31-सदस्यीय समिति का गठन करना पड़ा, जिसने DGP को हटाने का अल्टीमेटम दिया।
* मुख्यमंत्री का आश्वासन: मुख्यमंत्री नायब सैनी ने सार्वजनिक आश्वासन दिया कि किसी भी प्रभावशाली अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा।
* जाति-न्याय का मुद्दा: कांग्रेस, AAP, BSP और दलित संगठनों ने इसे जाति-न्याय के बड़े मुद्दे के रूप में उठाते हुए सरकार पर निशाना साधा।
* प्रधानमंत्री का दौरा स्थगित: प्रधानमंत्री का हरियाणा दौरा भी स्थगित होना, मामले की उच्च संवेदनशीलता को दर्शाता है।
इन सबके बीच, प्रशासन और पुलिस में गहरी असहमति और भय का माहौल है—जहां कई अधिकारी खुले समर्थन में खड़े हैं, वहीं कई ‘सिस्टम’ के डर से चुप हैं।

5. न्याय, भरोसा और भविष्य की कसौटी
आज हरियाणा की पुलिस व्यवस्था की आत्मा पर गंभीर सवाल खड़े हैं। क्या एक वरिष्ठ अधिकारी को दबाया और अपमानित किया जा सकता है? क्या जांच और सिस्टम की निष्पक्षता राजनीतिक द्वंद्वों में खो जाएगी?
ये घटनाएँ सिर्फ व्यक्तिगत पाठ नहीं हैं—ये हमारी संस्थाओं का साझी परीक्षा पत्र हैं। यदि हम निष्पक्ष, पारदर्शी और सक्रिय जांच के साहस का प्रदर्शन नहीं करते, तो ऐसी दरारें और गहरी होती जाएँगी।

पत्रकार की दृष्टि से: सिस्टम की सड़ांध को उजागर करने का परम कर्तव्य है—ना कि उसे छुपाने का। न्याय, भरोसा और भविष्य की नींव इसी बात पर टिकी है कि हरियाणा की सरकार इस संवेदनशील मामले को कैसे संभालती है। समय आ गया है कि सच्चाई को उसके सभी पहलुओं में निष्पक्ष तरीके से देखा जाए, भले ही वह कितनी भी असुविधाजनक क्यों न हो!

परिवार ने पोस्टमार्टम के लिए दी सहमति
आठ दिन के विरोध और प्रशासन से बातचीत के बाद, आईपीएस पूरन कुमार की पत्नी आईएएस **अमनीत पी. कुमार** ने 14 अक्टूबर की रात को **पोस्टमार्टम कराने पर सहमति दी**। बुधवार सुबह (15 अक्टूबर) करीब 9 बजे **चंडीगढ़ पीजीआई में विशेष चिकित्सा पैनल द्वारा पोस्टमार्टम** शुरू हुआ। यह प्रक्रिया **एसडीएम और विशेष जांच दल (SIT)** की निगरानी में हो रही है और पूरी कार्यवाही की **वीडियो रिकॉर्डिंग** भी की जा रही है ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

पोस्टमार्टम के बाद परिवार ने बताया कि **अंतिम संस्कार आज शाम 4 बजे चंडीगढ़ में किया जाएगा**।

पूरन कुमार के सुसाइड नोट में कुल आठ वरिष्ठ अधिकारियों पर **जातिगत भेदभाव**, **मानसिक उत्पीड़न** और **सार्वजनिक अपमान** के आरोप लगाए गए थे।

वर्तमान स्थिति (15 अक्टूबर, 2025 तक)
– पोस्टमार्टम **चंडीगढ़ PGI में जारी**, वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ। 
– **SIT की रिपोर्ट आने में 3–5 दिन** लगने की संभावना। 
– **ASI संदीप कुमार के सुसाइड नोट** की जांच भी इसी टीम के अधीन होगी। 
– राजनीतिक स्तर पर **हरियाणा सरकार और विपक्ष में घमासान** जारी है, जबकि दलित संगठनों ने **CBI जांच** की मांग फिर से उठाई है।

पूरा मामला अब सिर्फ एक आत्महत्या नहीं, बल्कि **प्रशासनिक पारदर्शिता और पुलिस व्यवस्था में सत्तात्मक दबाव** की पड़ताल बन गया है। आने वाले दिनों में SIT और न्यायालय की आगे की कार्रवाई इस दिशा को तय करेगी।

Amar Chouhan

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