हमीरपुर बॉर्डर पर चेकपोस्ट, पर तस्करी के कई रास्ते खुले: ओड़िशा से धान के अवैध कारोबार पर लगाम या महज औपचारिकता?

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम तमनार। धान खरीदी वर्ष 2025-26 की तैयारियों के बीच प्रशासन ने ओड़िशा से होने वाली अवैध धान तस्करी पर रोक लगाने के लिए हमीरपुर बॉर्डर पर चेकपोस्ट स्थापित किया है। उद्देश्य भले ही नियंत्रण का हो, मगर ज़मीनी हालात इस पहल की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर रहे हैं। क्षेत्रीय सूत्रों का कहना है कि यह चेकपोस्ट “दिखावे की कार्रवाई” से ज़्यादा कुछ नहीं, क्योंकि जिले के कई सीमावर्ती रास्तों से अब भी अवैध धान की आवाजाही जारी है।
कई वैकल्पिक रास्तों से अब भी जारी है धान का खेल
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार केशरचुआँ, टांगरघाट, सुखातालाब, बिजना और बरकछार जैसे इलाकों से ओड़िशा की ओर धान की बड़ी मात्रा में आवक-जावक होती रही है। इन सीमावर्ती गांवों में वर्षों से सक्रिय दलाल और कोचिए प्रशासन की आंखों के सामने ही अवैध कारोबार को अंजाम देते रहे हैं। स्थानीय किसानों का कहना है कि “जांच-निगरानी सिर्फ कागजों में है, जबकि ज़मीनी स्तर पर तस्कर खुलेआम धान की ढुलाई कर रहे हैं।”
धौराभाठा मंडी बनी थी तस्करी की कड़ी
धान खरीदी सीजन के दौरान धौराभाठा मंडी, उरबा और हमीरपुर मंडी क्षेत्र हमेशा से प्रशासन की निगरानी में रहे हैं। बावजूद इसके, ओड़िशा से लगे धौराभाठा मंडी का इलाका तस्करों के लिए सबसे मुफीद साबित हुआ रहा है। यह मंडी केशरचुआ, टागरघाट, सुखातालाब और बिजना जैसे सीमावर्ती गांवों से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है, जिससे ओड़िशा से अवैध धान लाने वालों को आसानी होती है। जानकारों का कहना है कि “हमीरपुर बॉर्डर पर रोक लगाने से कुछ फर्क नहीं पड़ेगा, जब तक धौराभाठा और उसके आसपास के रास्तों पर सख्त निगरानी नहीं होती।”
स्थानीयों ने उठाई सवाल: केवल दिखावा या ठोस कार्रवाई?
स्थानीय नागरिकों और किसान संगठनों का मानना है कि प्रशासन की कार्रवाई केवल औपचारिकता तक सीमित न रहे, इसके लिए जमीनी स्तर पर ठोस कदम उठाने होंगे।
ग्राम बिजना के एक किसान ने कहा, “हर साल यही होता है। कुछ दिनों तक चेकिंग दिखती है, फिर धीरे-धीरे सब पुराने ढर्रे पर लौट आता है। अगर प्रशासन वाकई गंभीर है, तो धौराभाठा, केशरचुआ और बरकछार जैसे गांवों में स्थायी गश्ती दल बनाए जाएं।”

प्रशासन का दावा: यह शुरुआत है, जल्द बढ़ेगी निगरानी
प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि हमीरपुर चेकपोस्ट महज पहला कदम है। “हम पूरे बॉर्डर क्षेत्र की निगरानी व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में काम कर रहे हैं। अन्य संवेदनशील इलाकों की पहचान कर वहां भी चेकपोस्ट या मोबाइल गश्ती दल तैनात किए जाएंगे,” एक अधिकारी ने बताया।
हालांकि, ग्रामीणों और व्यापारिक सूत्रों का मानना है कि जब तक वास्तविक निगरानी नेटवर्क तैयार नहीं होता और सक्रिय तस्करों पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह कोशिश केवल ‘कागज़ी पहरेदारी’ बनकर रह जाएगी।
दिखावे की कार्रवाई या धान माफिया पर सच्ची चोट?
धान खरीदी सीजन के दौरान हर साल प्रशासन की यही कहानी दोहराई जाती है—चेकपोस्ट, सख्त निर्देश, और कुछ गिरफ्तारियाँ। परंतु कुछ ही हफ्तों बाद स्थिति जस की तस रहती है। सवाल अब यह है कि इस बार प्रशासन वास्तव में ओड़िशा सीमा पर सक्रिय धान माफिया पर चोट करेगा, या फिर “हमीरपुर चेकपोस्ट” भी सरकारी औपचारिकता का एक और प्रतीक बनकर रह जाएगा!!
समाचार सहयोगी नरेश राठिया की रिपोर्ट