सेवा, समरसता और सनातन चेतना का संगम: पंडारवा पहाड़ी से हिंदू एकता का संदेश, गुरुदेव अजय उपाध्याय के कार्यों में दिखता है हिंदूराष्ट्र का सजीव स्वरूप

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम
शक्ति/छत्तीसगढ़।
सनातन धर्म की आत्मा सेवा, समरसता और करुणा में बसती है—और जब यही मूल्य व्यवहार में उतरते हैं, तब धर्म केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि समाज निर्माण की शक्ति बन जाता है। शक्ति जिले के ग्राम पंडारवा पहाड़ी स्थित प्राचीन हनुमान धाम से उठ रही ऐसी ही एक सनातन चेतना की चर्चा आज पूरे छत्तीसगढ़ ही नहीं, देशभर में हो रही है। विख्यात ‘पर्चा वाले बाबा’ पूज्य गुरुदेव अजय उपाध्याय जी महाराज के निःस्वार्थ सेवा कार्यों को सामाजिक कार्यकर्ता, देशभक्त एवं प्रेस रिपोर्टर क्लब छत्तीसगढ़ के प्रदेश संरक्षक श्याम गुप्ता ने सच्चे अर्थों में हिंदूराष्ट्र की आधारशिला बताया है।
श्याम गुप्ता ने पंडारवा पहाड़ी हनुमान धाम में गुरुदेव की साधना और सेवा को प्रत्यक्ष रूप से देखने के बाद कहा कि आज जब हिंदू समाज कई तरह की सामाजिक विषमताओं से जूझ रहा है, ऐसे समय में गुरुदेव अजय उपाध्याय जी महाराज का कार्य सनातन धर्म की मूल भावना को पुनर्जीवित कर रहा है। उन्होंने कहा कि गुरुदेव बिना किसी जाति, वर्ग, पंथ या सामाजिक भेदभाव के, हर श्रद्धालु को समान दृष्टि से देखते हैं और उसकी समस्या का समाधान आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक मार्गदर्शन के साथ करते हैं।

पंडारवा पहाड़ी: आस्था का केंद्र, एकता की प्रयोगशाला
आज पंडारवा पहाड़ी हनुमान धाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं रह गया है, बल्कि वह स्थान बन गया है जहां हिंदू समाज की बिखरी कड़ियां जुड़ रही हैं। छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। कोई पारिवारिक संकट लेकर आता है, कोई मानसिक पीड़ा, तो कोई सामाजिक अन्याय से जूझता हुआ—और गुरुदेव सबको एक ही भाव से देखते हैं: मानव मात्र के रूप में।
श्याम गुप्ता का कहना है कि यही सनातन संस्कृति की पहचान है, जहां मनुष्य की पहचान उसकी जाति से नहीं, बल्कि उसके कर्म और पीड़ा से होती है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक हिंदू समाज के भीतर छुआछूत, ऊंच-नीच और भेदभाव जैसी कुरीतियां समाप्त नहीं होंगी, तब तक हिंदूराष्ट्र की बात करना केवल नारा भर रह जाएगा।
सेवा से साकार होती हिंदूराष्ट्र की कल्पना
श्याम गुप्ता ने कहा कि आज हिंदूराष्ट्र की परिकल्पना को अक्सर राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है, जबकि इसका वास्तविक स्वरूप सामाजिक समरसता और सेवा में निहित है। गुरुदेव अजय उपाध्याय जी महाराज का जीवन और कार्य इसी सत्य को उजागर करता है। वे न किसी प्रचार की चाह रखते हैं, न किसी स्वार्थ की—उनकी साधना का केंद्र केवल सर्वहिंदू समाज का कल्याण है।
उन्होंने गुरुदेव को मां संतोषी और कलयुग के महाबली बजरंगबली हनुमान जी की विशेष कृपा से युक्त संत बताते हुए कहा कि ऐसे संत समाज को जोड़ने के लिए ही अवतरित होते हैं। “हिंदूराष्ट्र की असली नींव सत्ता से नहीं, सेवा से पड़ती है,”—यह भाव गुरुदेव के हर कार्य में दिखाई देता है।

सनातन चेतना की निरंतर धारा
भावुक स्वर में श्याम गुप्ता ने कहा कि वे जीवन भर गुरुदेव अजय उपाध्याय जी महाराज के चरणों में नतमस्तक रहेंगे, क्योंकि उन्होंने सेवा को साधना और साधना को समाज निर्माण का माध्यम बना दिया है। पंडारवा पहाड़ी हनुमान धाम से प्रवाहित यह चेतना हिंदू समाज को यह याद दिला रही है कि उसकी सबसे बड़ी शक्ति उसकी एकता, करुणा और धर्मनिष्ठा में है।
आज जब समाज को बांटने वाली आवाजें तेज हैं, तब पंडारवा पहाड़ी से उठ रही यह सनातन अलख हिंदू समाज को जोड़ने का कार्य कर रही है—और यही वह मार्ग है, जिस पर चलकर हिंदूराष्ट्र केवल कल्पना नहीं, बल्कि सामाजिक यथार्थ बन सकता है।