सेवा का संकल्प, सम्मान की मुहर: रायगढ़ से तमनार तक आदिशक्ति कर्मयोगी वालंटियर्स को सामाजिक और प्रशासनिक मान्यता

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़/तमनार।
समाजसेवा जब निःस्वार्थ भाव, निरंतरता और ज़मीनी जुड़ाव के साथ की जाती है, तो उसकी गूंज केवल जरूरतमंदों तक ही सीमित नहीं रहती, बल्कि वह समाज और प्रशासन—दोनों की दृष्टि में एक उदाहरण बन जाती है। रायगढ़ जिले में हाल ही में ऐसे ही सेवा कार्यों को दो अलग-अलग स्तरों पर मिली मान्यता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ईमानदार प्रयास कभी अनदेखे नहीं रहते।
एक ओर रायगढ़ में विजयलक्ष्मी समाज कल्याण समिति ने सामाजिक सरोकारों में सक्रिय वालंटियर्स को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया, तो दूसरी ओर तमनार जनपद पंचायत में प्रशासनिक स्तर पर आदिशक्ति कर्मयोगी संगठन से जुड़े वालंटियर्स को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए सराहना पत्र सौंपे गए। यह संयोग नहीं, बल्कि उस सेवा परंपरा की स्वीकृति है, जो बिना प्रचार के समाज की बुनियाद को मजबूत करती है।

वर्ष 2009 से पंजीकृत और सामाजिक कार्यों में सक्रिय विजयलक्ष्मी समाज कल्याण समिति (पंजीयन क्रमांक CG10907) द्वारा जारी प्रशस्ति पत्रों में वालंटियर्स के योगदान की खुले शब्दों में सराहना की गई है। समिति ने माना है कि इन वालंटियर्स ने सामाजिक और ग्रामीण विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा जनजागरूकता जैसे क्षेत्रों में कर्मठता के साथ उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। विशेष रूप से “आदि कर्मयोगी अभियान” के अंतर्गत किए गए सेवा कार्यों को उपलब्धि के रूप में रेखांकित किया गया, जिसके माध्यम से समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्ग तक सहायता पहुंचाई गई।
इसी क्रम में तमनार जनपद पंचायत कार्यालय में आयोजित एक सादे लेकिन गरिमामय कार्यक्रम में मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री संजय चंद्रा ने आदिशक्ति कर्मयोगी संगठन के वालंटियर्स को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। आज दोपहर आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ऐसे स्वयंसेवी प्रयास प्रशासनिक योजनाओं को जमीनी स्तर पर मजबूती देते हैं। कठिन परिस्थितियों में भी निरंतर सक्रिय रहकर सेवा करना केवल सामाजिक दायित्व नहीं, बल्कि संवेदनशीलता का परिचायक है।

सीईओ श्री चंद्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशासन और समाज के बीच सेतु का काम करने वाले ऐसे वालंटियर्स लोकतांत्रिक व्यवस्था की वास्तविक ताकत होते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि आदिशक्ति कर्मयोगी से जुड़े वालंटियर्स भविष्य में भी इसी ऊर्जा, ईमानदारी और समर्पण के साथ समाजसेवा करते रहेंगे।
सम्मान प्राप्त करने वाले वालंटियर्स ने इस दोहरी मान्यता को पूरे संगठन और क्षेत्र की जनता के विश्वास का प्रतीक बताया। उनका कहना था कि यह सम्मान उनके लिए उपलब्धि से अधिक जिम्मेदारी है, जो उन्हें आगे और अधिक समर्पण के साथ काम करने की प्रेरणा देता है।

रायगढ़ से तमनार तक सेवा कार्यों को मिली यह सामाजिक और प्रशासनिक स्वीकृति यह संदेश देती है कि जब प्रयास सच्चे हों, तो पहचान स्वयं रास्ता खोज लेती है। स्थानीय सामाजिक हलकों में इसे सेवा, समर्पण और संवेदना की सच्ची जीत के रूप में देखा जा रहा है—एक ऐसी मिसाल, जो आने वाली पीढ़ी के युवाओं को समाजसेवा की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।