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सूदखोर वीरेंद्र तोमर की फरारी में करणी सेना की मदद का खुलासा — पुलिस जांच में चौंकाने वाले तथ्य, संगठन ने अब पुलिस पर अमानवीय व्यवहार का आरोप लगाया

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायपुर/ग्वालियर/भोपाल।
रायपुर पुलिस की गिरफ्त में आए कुख्यात सूदखोर वीरेंद्र सिंह तोमर से पूछताछ के दौरान ऐसे खुलासे हुए हैं, जिन्होंने जांच एजेंसियों को भी चौंका दिया है। जानकारी के अनुसार, फरारी के दौरान तोमर को करणी सेना के एक नेता ने न केवल पनाह दी, बल्कि पुलिस की निगरानी से बचाने में भी सहयोग किया।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि तोमर ने फरारी के पांच महीनों में चार राज्यों में ठिकाने बदले, जिनमें सबसे अधिक समय उसने ग्वालियर में बिताया — जहाँ वह करणी सेना से जुड़े एक पदाधिकारी के फ्लैट में रह रहा था।



सूदखोरी से अपराध साम्राज्य तक — एक ‘अंडा विक्रेता’ का काला सफर

पुलिस की जांच में यह भी सामने आया है कि वीरेंद्र तोमर ने अपना सफर साधारण व्यवसाय — अंडा बेचने — से शुरू किया था, लेकिन जल्द ही अवैध सूदखोरी, जमीन हड़पने, ब्लैकमेलिंग और हिंसक अपराधों के रास्ते पर उतर गया।
वर्षों में उसने करोड़ों रुपये की अवैध संपत्ति खड़ी की और अपने प्रभाव से लोगों को धमकाकर दबदबा बनाया। रायपुर, भिलाई, बिलासपुर और कवर्धा में उसके नाम से जुड़े कई मुकदमे दर्ज हैं — जिनमें मारपीट, दुष्कर्म, हत्या और उगाही जैसी गंभीर धाराएँ शामिल हैं।



करणी सेना से जुड़ा तार — पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद हुआ खुलासा

रायपुर पुलिस ने हाल ही में ग्वालियर से वीरेंद्र तोमर को गिरफ्तार किया था। पूछताछ के दौरान उसने माना कि फरारी के दिनों में करणी सेना के एक पदाधिकारी ने उसे आश्रय और सहयोग दिया।
साथ ही, उसने फरारी के दौरान कई मोबाइल नंबरों का उपयोग कर अपने परिवार से संपर्क बनाए रखा। पुलिस अब इन मोबाइल नंबरों और ठिकानों के लोकेशन डेटा के ज़रिए उस नेटवर्क की पड़ताल कर रही है, जो संभवतः सूदखोरी और राजनीतिक-सामाजिक संगठन के बीच सांठगांठ का संकेत देता है।



गिरफ्तारी के बाद जुलूस — इलाके में ‘काली बनियान वाला’ अपराधी बना चर्चा का विषय

वीरेंद्र तोमर की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसे उसी इलाके में हथकड़ियों के साथ पैदल जुलूस में शामिल किया, जहाँ वह कभी आतंक का पर्याय था।
काली बनियान में पुलिस हिरासत में उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं। वहीं, करणी सेना के कुछ गुटों ने इसे “पुलिस की बदले की कार्रवाई” बताकर विरोध दर्ज कराया है।



करणी सेना का पलटवार — पुलिस पर ‘अमानवीय व्यवहार’ का आरोप

वीरेंद्र तोमर की गिरफ्तारी के बाद करणी सेना के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर पुलिस कार्रवाई को “अमानवीय” बताया।
उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने तोमर के साथ थर्ड डिग्री टॉर्चर और अशोभनीय व्यवहार किया है।
शेखावत ने चेतावनी दी —

> “राजकीय और प्रशासनिक अत्याचार का क्षत्रिय समाज जल्द ही जवाब देगा। आंदोलन की तारीख और स्थान शीघ्र घोषित किया जाएगा।”



उन्होंने रायपुर पुलिस को खुली चेतावनी देते हुए कहा कि —

> “किसी भी क्षत्रिय पर अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जिन्होंने वीरेंद्र सिंह तोमर के साथ दुर्व्यवहार किया, उन्हें समाज जवाब देगा।”





पुलिस की जांच कई दिशाओं में

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अब जांच का दायरा सिर्फ वीरेंद्र तोमर तक सीमित नहीं है।

फरारी के दौरान आश्रय देने वालों की भूमिका की जांच जारी है।

जिन बैंकों और खातों के माध्यम से सूदखोरी का धंधा चलता था, उनकी वित्तीय पड़ताल की जा रही है।

उसके भाई रोहित तोमर की भी तलाश जारी है, जो कथित तौर पर कुछ लेनदेन का संचालन कर रहा था।

पुलिस यह भी जांच रही है कि करणी सेना के पदाधिकारी की भूमिका केवल “मानवीय मदद” तक सीमित थी या इसमें आर्थिक संरक्षण भी शामिल था।




सामाजिक संगठनों में मतभेद — समर्थन बनाम सख्त कार्रवाई की मांग

जहाँ एक ओर करणी सेना के कुछ पदाधिकारी वीरेंद्र तोमर के पक्ष में बयान दे रहे हैं, वहीं कई सामाजिक संगठनों ने इसे “संगठन की गरिमा पर धब्बा” बताते हुए
कहा है कि अपराध और जातीय पहचान को एक-दूसरे से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।
राजधानी के बुद्धिजीवियों और नागरिक समूहों ने रायपुर पुलिस की कार्रवाई को “अपराध के खिलाफ निर्णायक कदम” बताया है।



फिलहाल रायपुर पुलिस ने वीरेंद्र तोमर और उसके सहयोगियों के खिलाफ सूदखोरी, धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग, हत्या और यौन उत्पीड़न से जुड़ी अनेक धाराओं में कार्रवाई की है।
फरारी के दौरान उसे शरण देने वाले लोगों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है।
वहीं, करणी सेना के नेता की भूमिका इस पूरे प्रकरण में जांच का अहम केंद्र बनी हुई है।



“एक अंडा बेचने वाले से सूदखोर माफिया तक का सफर — और फिर करणी सेना की छाया में फरारी — यह कहानी सिर्फ अपराध की नहीं, उस तंत्र की भी है जो राजनीति, समाज और डर को एक सूत्र में बाँध देता है।”

Amar Chouhan

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