सरकारी स्कूल में दारू और मुर्गा पार्टी: बच्चों के सामने शिक्षकों की शर्मनाक हरकत, वीडियो वायरल — हेडमास्टर समेत दो सस्पेंड, अब जेल भेजने की उठ रही मांग!

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में शिक्षा के मंदिर को कलंकित करने वाला एक शर्मनाक मामला सामने आया है। मस्तूरी विकासखंड के ग्राम रहटाटोर स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय में दो शिक्षकों द्वारा स्कूल परिसर में शराब और मुर्गा पार्टी करने का वीडियो वायरल हुआ है। घटना के उजागर होते ही जिलेभर में हड़कंप मच गया है।
विद्यालय के प्रधान पाठक राजेश्वर मरावी और सहायक शिक्षक मनोज कुमार नेताम पर आरोप है कि दोनों शिक्षकों ने विद्यालय समय में ही बच्चों की मौजूदगी में शराब का सेवन किया और मुर्गा पार्टी मनाई। इतना ही नहीं, नशे की हालत में उन्होंने बच्चों के साथ अभद्रता और गाली-गलौज भी की।
इस पूरी घटना का वीडियो किसी ग्रामीण ने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया, जो बाद में सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो वायरल होते ही शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
जांच में आरोप साबित, दोनों शिक्षक निलंबित
वीडियो सामने आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने तत्काल मामले को संज्ञान में लेते हुए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की।
जांच में यह स्पष्ट पाया गया कि आरोप सही और गंभीर हैं।
इसके बाद प्रधान पाठक राजेश्वर मरावी और सहायक शिक्षक मनोज कुमार नेताम — दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि
> “ऐसे कृत्य न केवल शिक्षा की गरिमा के खिलाफ हैं, बल्कि बच्चों के मानसिक विकास पर भी गलत असर डालते हैं। विभाग इस मामले में सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने जा रहा है।”
अब जेल भेजने की उठी मांग
स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों में इस घटना को लेकर भारी नाराजगी है। लोगों का कहना है कि ऐसे शिक्षक सिर्फ निलंबन से नहीं, बल्कि जेल से सबक सीखें।
ग्रामीण अभिभावक संघ के सदस्य रामकुमार साहू ने कहा —
> “अगर बच्चों के गुरु ही शराब के नशे में अभद्रता करेंगे तो यह शिक्षा नहीं, अपमान है। ऐसे शिक्षकों को सिर्फ नौकरी से नहीं, जेल भेजना चाहिए ताकि भविष्य में कोई दूसरा शिक्षक ऐसा करने से पहले सौ बार सोचे।”
शिक्षा के मंदिर में नशे का दाग
यह घटना एक बार फिर सरकारी स्कूलों में अनुशासन और जवाबदेही की गिरती स्थिति को उजागर करती है।
आए दिन राज्य के अलग-अलग हिस्सों से दारू के नशे में धुत शिक्षकों की खबरें सामने आ रही हैं, लेकिन कड़ी सजा के अभाव में ऐसे मामलों में कोई डर नहीं दिखता।
विशेषज्ञों का कहना है कि शिक्षा विभाग को केवल “निलंबन” तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि ऐसे मामलों में FIR दर्ज कर शिक्षकों को जेल भेजने की नीति अपनानी चाहिए।
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
बाल कल्याण समिति और महिला एवं बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना की निंदा करते हुए कहा है कि
> “जब बच्चे अपने गुरु को शराब के नशे में देखते हैं, तो यह उनके संस्कार और भविष्य पर गहरा असर डालता है। ऐसे मामलों को ‘आंतरिक जांच’ तक सीमित रखना बच्चों के साथ अन्याय है।”
शासन से सख्त कार्रवाई की उम्मीद
विभागीय सूत्रों के अनुसार, शिक्षा विभाग ने इस मामले की रिपोर्ट राज्य स्तर पर भेज दी है और कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की तैयारी चल रही है।
संभावना है कि आरोपियों के खिलाफ सेवा समाप्ति और आपराधिक मामला दर्ज करने की अनुशंसा की जाएगी।
(Editorial Insight):
> “शिक्षक वह दीपक है जो खुद जलकर समाज को रोशनी देता है।
लेकिन जब वही दीपक नशे में डूब जाए, तो अंधकार गहरा जाता है।
सरकार को अब ऐसे शिक्षकों पर दया नहीं, उदाहरण बनाकर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए — ताकि शिक्षा का मंदिर फिर से पवित्र बन सके।”
तथ्य एक नज़र में
बिंदु विवरण
घटना स्थल शासकीय प्राथमिक विद्यालय, रहटाटोर, मस्तूरी (बिलासपुर)
आरोपी शिक्षक राजेश्वर मरावी (प्रधान पाठक), मनोज कुमार नेताम (सहायक शिक्षक)
आरोप विद्यालय परिसर में शराब सेवन, मुर्गा पार्टी, बच्चों से अभद्रता
कार्रवाई दोनों शिक्षक निलंबित
आगे की प्रक्रिया विभागीय जांच पूरी, कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की तैयारी
जन प्रतिक्रिया ग्रामीणों ने की गिरफ्तारी और जेल भेजने की मांग
बिलासपुर का यह मामला सिर्फ एक स्कूल का नहीं — यह पूरे सिस्टम का आईना है। जब शिक्षक अपने दायित्व को भूल जाते हैं, तो भविष्य की पीढ़ी भी दिशा खो देती है। अब यह देखना होगा कि क्या प्रशासन इस पर नजीर बनने वाली कार्रवाई करता है या यह मामला भी सिर्फ “निलंबन की फाइल” तक सीमित रह जाएगा।