रायगढ़ में हाथियों का आतंक: तीन ग्रामीणों की दर्दनाक मौत, वन विभाग की लापरवाही उजागर

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ वनमंडल अंतर्गत लैलूंगा वन परिक्षेत्र में जंगली हाथियों का तांडव रुकने का नाम नहीं ले रहा। बीती रात एक मादा हाथी और उसके शावक ने ऐसा कहर बरपाया कि पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई। एक ही रात में तीन ग्रामीणों—एक मासूम बच्ची, एक महिला और एक अधेड़ पुरुष—की दर्दनाक मौत ने वन विभाग की लचर व्यवस्था और लापरवाही को फिर से कटघरे में खड़ा कर दिया है।
हाथियों का उत्पात: घर तोड़े, जानें लीं
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, मादा हाथी और उसके शावक ने पहले गोसाईडीह और मोहनपुर गांवों में घुसकर कई कच्चे-पक्के मकानों को ध्वस्त कर दिया। जान बचाने के लिए भाग रहे लोगों को भी हाथियों ने नहीं बख्शा।
– गोसाईडीह गांव: एक 5 वर्षीय मासूम बच्ची को मादा हाथी ने सूंड से उठाकर पटक दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
– मोहनपुर गांव: खेत में काम कर रही एक महिला को हाथी ने सूंड से पटक-पटक कर मार डाला।
– अन्य घटना: एक अधेड़ व्यक्ति, जो अपने घर में सो रहा था, उस पर हाथी गिर पड़ा, जिससे उसकी तत्काल मृत्यु हो गई।
पहले भी हो चुकी है जनहानि
धरमजयगढ़ के डीएफओ जितेंद्र उपाध्याय ने पुष्टि की कि यह वही मादा हाथी और उसका शावक है, जिसने कुछ दिन पहले बाकारुमा गांव में एक ग्रामीण की जान ली थी। यह जोड़ी लगातार गांवों में घुसकर जान-माल को नुकसान पहुंचा रही है, लेकिन वन विभाग इसे रोकने में नाकाम साबित हो रहा है।
ग्रामीणों में आक्रोश, सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
लगातार हो रहे हाथी हमलों से ग्रामीणों में भारी रोष है। उनका आरोप है कि वन विभाग न तो समय पर चेतावनी जारी करता है और न ही कोई ठोस सुरक्षा इंतजाम करता है। ग्रामीणों का कहना है कि रात्रि गश्त, वन सुरक्षा दल, और त्वरित अलर्ट सिस्टम की कमी के चलते ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं। कई ग्रामीण डर के मारे गांव छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर रहे हैं।
वन विभाग की निष्क्रियता उजागर
घटना के बाद वन विभाग और पुलिस बल मौके पर पहुंचा, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल औपचारिकता है। वन विभाग की ओर से न तो हाथियों की गतिविधियों पर प्रभावी निगरानी रखी जा रही है और न ही उन्हें जंगल की ओर वापस खदेड़ने के लिए कोई पुख्ता कदम उठाए जा रहे हैं। लैलूंगा क्षेत्र में 25 हाथियों का दल विचरण कर रहा है, लेकिन विभाग की ओर से सिर्फ मुनादी कराने जैसे पुराने और अप्रभावी उपायों का सहारा लिया जा रहा है।
हाथी प्रभावित क्षेत्रों में बढ़ती चुनौती
रायगढ़ वन मंडल में 117 से अधिक हाथी विचरण कर रहे हैं, जिनमें धरमजयगढ़ और लैलूंगा रेंज सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। पिछले कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी संघर्ष के कारण सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। रायगढ़, सरगुजा, और कोरबा जैसे जिले इस संघर्ष से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। वन विभाग की नाकामी का आलम यह है कि ग्रामीणों को न तो समय पर सूचना मिलती है और न ही मुआवजे की प्रक्रिया पारदर्शी है।
ग्रामीणों की मांग: तत्काल कार्रवाई
ग्रामीणों ने मांग की है कि वन विभाग तत्काल रात्रि गश्त बढ़ाए, ट्रैकिंग टीमें तैनात करे, और प्रभावी अलर्ट सिस्टम लागू करे। साथ ही, हाथियों को जंगल की ओर वापस ले जाने के लिए ठोस रणनीति बनाई जाए। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द ही कार्रवाई नहीं हुई, तो वे सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
तनावपूर्ण स्थिति, अनिश्चित भविष्य
फिलहाल लैलूंगा क्षेत्र में स्थिति बेहद तनावपूर्ण बनी हुई है। वन विभाग के सामने दोहरी चुनौती है—इंसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और हाथियों को नुकसान पहुंचाए बिना उन्हें जंगल में वापस भेजना। लेकिन विभाग की सुस्ती और संसाधनों की कमी के चलते यह चुनौती और जटिल हो रही है। ग्रामीणों की जान बचाने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाना अब समय की मांग है।