माह में एक या दो दिन ही उचित मूल्य की दुकान खोलना धारा 16,1 का उल्लंघन नहीं…!?

राशन दुकानें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत संचालित होती हैं, जो गरीब और जरूरतमंद परिवारों को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराती हैं। धारा 16(1) का उल्लेख राशन दुकान के लाइसेंस, संचालन, या उल्लंघन से जुड़ा होता है। आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 16(1) में राशन दुकानों या उचित मूल्य की दुकानों के संचालन से संबंधित अपराधों और दंड का उल्लेख है। यह धारा उन मामलों से संबंधित है जहां कोई व्यक्ति जानबूझकर अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जैसे राशन सामग्री की कालाबाजारी, कम तौलना, या अनधिकृत वितरण।
सम्पादक अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम धरमजयगढ़: ग्राम पंचायत बंधनपुर शा. उ. मू. की दुकान माह अप्रेल में मात्र दो दिन एवं ग्राम पंचायत सोहनपुर की उचित मूल्य की दुकान माह अप्रेल में एक दिन ही खुल सका है मिली जानकारी अनुसार उक्त दोनों दुकान का संचालक फर्जी महिला समूह के सहारे अजय गुप्ता के द्वारा संचालित किया जा रहा इसके अतिरिक्त पांच और शासकीय उचित मूल्य की दुकान कन्द्रजा, मिरिगुड़ा, रुपुंगा, सीसरिंगा व गणेशपुर भी संचालित कर रहा है जिस कारण खाद्य सुरक्षा गारंटी के तहत गरीबों को मिलने वाली राशन से गरीब ग्रामीण वंचित हो रहा है ग्रामीणों ने कहा हमें भूखे रहने को मजबूर होना पड़ रहा है दुकान आवंटन प्रक्रिया पूर्ण नहीं होने की स्थिति में विभाग एवं स्थानीय प्रशासन द्वारा वितरण का कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए था, नहीं होने के कारण ग्रामीणों के सामने भूखे रहने का नौबत आ गई है वही राशन वितरण में अनियमितता पाए जाने पर भी उक्त दुकान संचालक पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाना अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा करता है। जबकि धरमजयगढ़ क्षेत्र अंतर्गत दो महिलाओं को प्रशासन जेल भेज चुका है तो फर्जी महिला समूह के नाम से उचित मूल्य की दुकान चलाने वाले अजय गुप्ता पर मेहरबानी क्यों ? उन महिलाओं के खिलाफ ग्रामीणों में कोई आक्रोश नहीं दिखता है। वही अजय गुप्ता पर सभी संचालित दुकान क्षेत्र में ग्रामीणों का शिकायत का अंबार लग रहा है व कार्यवाही जीरो है क्या विभाग ही सरकार को बदनाम करना चाहती हैं जिसके ऊपर गरीबो के राशन वितरण कराने की जिम्मेदारी है या ऐसी कौन सी मजबूरी है जो जिला खाद्य अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी तक जानकारी के बाद भी गरीब ग्रामीणों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
विडम्बना यह है कि अजय गुप्ता जो पूर्व में कोयला अफरा- तफरी में पारादीप जेल में निरुद्ध रह चुका है व इस समय जिस महिला स्व सहायता समूह पंजीयन क्रमांक 28646 के नाम से इतने बड़े भर्ष्टाचार को अंजाम दे रहा है उन महिलाओं को जानकारी तक नहीं है की ऐसे स्थिति में अगर कार्यवाही होती है तो जेल कौन जाएगा ?