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शिक्षक से दानव तक: नाबालिग छात्रा से बार-बार दुष्कर्म, आरोपी शिक्षक फरार

फ्रीलांस एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम जशपुर (छत्तीसगढ़), 14 नवंबर 2025


शिक्षक को समाज का मसीहा कहा जाता है – वह जो नन्हे कली को फूल बनाता है, अंधेरे में उजाला भरता है। लेकिन जब यही शिक्षक खुद अंधेरे की गोद में समा जाए, तो क्या बचेगा? जशपुर जिले के एक स्कूल में पढ़ने वाली 16 वर्षीय नाबालिग छात्रा के साथ हुए घिनौने अपराध ने एक बार फिर शिक्षकीय पेशे के पतन की काली स्याही से समाज का चेहरा रंग दिया है। आरोपी गिरधारी राम यादव, जो खुद उसी स्कूल का शिक्षक बताया जा रहा है, ने जुलाई 2024 से घरेलू कामकाज के बहाने लड़की को अपने घर रखा और अकेले में कई बार दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया। थाना सिटी कोतवाली में दर्ज रिपोर्ट ने पूरे मामले को उजागर कर दिया, लेकिन आरोपी फरार है। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल सोनी का दावा है कि जल्द गिरफ्तारी होगी – पर सवाल यह है कि क्या गिरफ्तारी से शिक्षकीय गरिमा की बहाली हो पाएगी?

मामला: घरेलू सहायिका से दुष्कर्म का शिकार
पीड़िता, जो जशपुर के एक सरकारी स्कूल में कक्षा 10वीं की छात्रा है, जुलाई 2024 से आरोपी के घर पर रहकर घरेलू काम करती थी। परिजनों के साथ थाने पहुंची लड़की ने रिपोर्ट में खुलासा किया कि आरोपी ने घर में अकेले पाकर कई बार उससे छेड़छाड़ की और दुष्कर्म किया। यह सिलसिला महीनों तक चला। आरोपी की दोहरी भूमिका चौंकाने वाली है – दिन में स्कूल में बच्चों को पढ़ाने वाला शिक्षक, रात में घर में शैतान। थाने में भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं (जिसमें POCSO एक्ट भी शामिल है) के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आरोपी की तलाश तेज है, लेकिन अब तक वह फरार चल रहा है।

शिक्षकीय पेशे का पतन: एक गहन विश्लेषण
यह कोई इकलौता मामला नहीं है। पिछले एक दशक में देशभर में शिक्षकों द्वारा छात्राओं पर अत्याचार की खबरें लगातार सुर्खियों में रही हैं – उत्तर प्रदेश के उन्नाव से लेकर राजस्थान के स्कूलों तक, केरल से बिहार तक। जशपुर का यह वाकया शिक्षकीय पेशे के नैतिक पतन की एक और कड़ी है। आइए, गहराई से विश्लेषण करें कि यह पतन कैसे और क्यों हो रहा है:

1. नैतिक क्षरण और सत्ता का दुरुपयोग: शिक्षक को ‘गुरु’ का दर्जा मिलता है, जो छात्रों पर असीमित प्रभाव रखता है। घरेलू कामकाज के बहाने नाबालिग लड़की को घर रखना ही सत्ता के दुरुपयोग का प्रमाण है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2023 डेटा के अनुसार, POCSO मामलों में 5-7% आरोपी शिक्षक या स्कूल स्टाफ होते हैं। यह आंकड़ा बताता है कि नैतिक शिक्षा देने वाले खुद नैतिकता से दूर हो रहे हैं। कारण? भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी, चरित्र सत्यापन की अनदेखी और ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी का अभाव।

2. सामाजिक-आर्थिक दबाव और लैंगिक असमानता: जशपुर जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में गरीब परिवारों की लड़कियां अक्सर पढ़ाई के साथ घरेलू काम करती हैं। आरोपी ने इसी कमजोरी का फायदा उठाया। शिक्षक वर्ग में पुरुष प्रधानता (लगभग 70% शिक्षक पुरुष, NCERT सर्वे 2022) और महिलाओं की कम भागीदारी लैंगिक असुरक्षा बढ़ाती है। पतन का एक कारण सामाजिक दबाव भी है – जहां शिक्षक को ‘भगवान’ मान लिया जाता है, वहां शिकायत करने की हिम्मत कम होती है। पीड़िता ने महीनों चुप रहकर यही साबित किया।

3. संस्थागत विफलताएं और कानूनी खामियां: स्कूलों में चाइल्ड प्रोटेक्शन पॉलिसी का अभाव, POCSO एक्ट के बावजूद देरी से कार्रवाई और शिक्षक संघों का राजनीतिक संरक्षण पतन को बढ़ावा देते हैं। उदाहरणस्वरूप, 2024 में छत्तीसगढ़ में ही दो अन्य शिक्षक दुष्कर्म मामलों में बरी हो गए क्योंकि सबूतों की कमी बताई गई। क्या यह संयोग है या सिस्टम की मिलीभगत? शिक्षक भर्ती में मनोवैज्ञानिक टेस्ट की अनुपस्थिति और ट्रेनिंग में यौन शिक्षा की कमी भी जिम्मेदार है।

4. व्यापक प्रभाव: समाज पर कलंक: ऐसे मामले न केवल पीड़िता को जीवनभर का ट्रॉमा देते हैं, बल्कि पूरे शिक्षकीय समुदाय की साख को धूमिल करते हैं। अभिभावक स्कूलों पर भरोसा खो रहे हैं; लड़कियों की ड्रॉपआउट दर बढ़ रही है (UNESCO रिपोर्ट 2024: भारत में 15% लड़कियां सुरक्षा कारणों से स्कूल छोड़ती हैं)। यह पतन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के ‘सुरक्षित स्कूल’ विजन की पोल खोलता है।

आगे की राह: सुधार की जरूरत
पुलिस की गिरफ्तारी से न्याय मिलेगा, लेकिन पतन रोकने के लिए सिस्टमैटिक बदलाव जरूरी। स्कूलों में CCTV, महिला शिक्षकों की बढ़ती भागीदारी, नियमित चरित्र सत्यापन और POCSO ट्रेनिंग अनिवार्य हो। सरकार को शिक्षक संघों पर अंकुश लगाना होगा। समाज को भी जागना होगा – शिक्षक को देवता मानना बंद कर जवाबदेह बनाना होगा।

जशपुर का यह मामला चेतावनी है: अगर शिक्षक ही शिकारी बनेंगे, तो शिक्षा का मंदिर कैसे बचेगा? पुलिस जांच पर नजर रहेगी, लेकिन असली सवाल शिक्षकीय पेशे की आत्मा का है – क्या वह बच पाएगी?

Amar Chouhan

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