शिक्षक का पद: नशे की लत का शिकार नहीं, नैतिकता का प्रतीक – शराबी हंगामे पर तत्काल निलंबन, एक सबक जो पूरे हलके को झकझोर गया

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, छत्तीसगढ़। – शिक्षक वह दीपक है जो अंधेरे को मिटाता है, न कि नशे की आग में खुद जलकर दूसरों को जलाने वाला। यह कथन आज रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखंड के लारीपानी गांव के आत्मानंद स्कूल से निकला एक कड़वे सच के रूप में सामने आया है। यहां एक शिक्षक ने शराब के नशे में स्कूल को ही हंगामे का अड्डा बना दिया, बच्चों को डांटा, सहकर्मियों से उलझा और प्राचार्य को गालियां बरसाईं। नतीजा? लोक शिक्षण संचालनालय के सख्त आदेश पर तत्काल निलंबन। लेकिन यह केवल एक कार्रवाई नहीं, बल्कि पूरे शिक्षण वर्ग के लिए एक चेतावनी है: ऑफ-ड्यूटी भी शराब का एक घूंट न लें, वरना पद के लायक नहीं! आइए, इस घटना की परतें खोलें और समझें कि क्यों यह मामला महज एक व्यक्ति की गलती नहीं, बल्कि व्यवस्था की कमजोरी का आईना है।
घटना का पूरा चक्र: सुबह से दोपहर तक का नशा-नाटक
कल्पना कीजिए, एक सामान्य गुरुवार की सुबह। समय: सुबह 10 बजे। आत्मानंद स्कूल के रजिस्टर में शिक्षक महेश राम सिदार का हस्ताक्षर होता है। वे आते हैं, साइन करते हैं और चले जाते हैं – शायद नशे की तैयारी में। दोपहर 2 बजे वे लौटते हैं, लेकिन अब हालत जुदा। आंखें लाल, चाल लड़खड़ाती, सांसों से शराब की भनक। वे सीधे दूसरे शिक्षक की कक्षा में घुस पड़ते हैं। मासूम बच्चे पढ़ाई में मगन, अचानक एक शराबी की डांट गूंजती है। “तुम सब क्या पढ़ रहे हो? चुप!” – यह चीखें कक्षा की शांति को चीर देती हैं।
प्राचार्य को खबर लगती है। वे दौड़ते हुए आते हैं, शांत स्वर में कहते हैं, “महेश जी, कृपया बाहर चले जाएं।” लेकिन नशे में चूर शिक्षक का गुस्सा फूट पड़ता है। प्राचार्य को धमकाते हैं, अन्य शिक्षकों से उलझते हैं,गंदी गालियां बरसाते हैं। पूरा स्कूल हंगामे की चपेट में। सौभाग्य से, स्कूल के सीसीटीवी कैमरे सब कुछ रिकॉर्ड कर लेते हैं। कुछ शिक्षक और ग्रामीण वीडियो बना लेते हैं। अगले ही पल, यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल। फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्विटर – हर प्लेटफॉर्म पर “शराबी शिक्षक का तांडव” ट्रेंड करने लगता है। बच्चे डर जाते हैं, अभिभावक गुस्से से लाल। एक शिक्षक का कृत्य, पूरे गांव की छवि पर सियाही पोत देता है।
प्रशासन की फुरती: पत्र से निलंबन तक का सफर
मीडिया और सोशल मीडिया की ताकत का कमाल देखिए। जिला शिक्षा अधिकारी रायगढ़ ने बिना देर किए लोक शिक्षण संचालनालय को पत्र लिखा। पूरी घटना का ब्योरा, वीडियो सब संलग्न। उच्चाधिकारियों ने इसे हल्के में न लिया। छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम, 1966 की धारा 9(1)(क) के तहत **तत्काल प्रभाव से निलंबन का आदेश** जारी। महेश राम सिदार को जिला मुख्यालय रायगढ़ के कार्यालय में अटैच कर दिया गया। निलंबन काल में जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा, लेकिन सम्मान? वह तो चूर-चूर।
यह कार्रवाई न केवल तेज थी, बल्कि सटीक भी। संचालनालय के प्रवक्ता ने स्पष्ट कहा, “शिक्षक का आचरण स्कूल की पवित्रता के विरुद्ध है। नशा केवल ड्यूटी पर नहीं, ऑफ-ड्यूटी पर भी वर्जित।” आंकड़े बताते हैं: छत्तीसगढ़ में पिछले दो वर्षों में 15 ऐसे मामले दर्ज, जिनमें नशे के कारण शिक्षक दागदार हुए। रायगढ़ जिला ही अकेला जहां 5 निलंबन हो चुके।
क्यों है यह सबक अनमोल? शिक्षकत्व की ABC
दोस्तों, शिक्षक बनना आसान नहीं। यह पद गुरु का है – ब्रह्मा, विष्णु, महेश का अवतार। बच्चे आपकी नकल करते हैं। अगर आप शराब पीकर स्कूल आते हैं, तो कल का नागरिक क्या बनेगा? **ऑफ-ड्यूटी शराब? बिल्कुल नहीं!** क्यों? क्योंकि शिक्षक की जिंदगी सार्वजनिक है। एक बोतल की कीमत? आपकी साख, बच्चों का भविष्य। याद कीजिए, महात्मा गांधी ने कहा था, “शिक्षक राष्ट्र का निर्माण करते हैं।” यहां नशा राष्ट्र को तोड़ रहा है।
लारीपानी के अभिभावकों से बात की। एक मां बोलीं, “हमारा बच्चा डर गया। शिक्षक साहब खुद नशे के गुलाम, हमें क्या सिखाएंगे?” प्राचार्य ने कन्फेस किया, “ऐसी घटनाएं दुर्लभ हैं, लेकिन एक भी काफी।” जिला कलेक्टर ने वादा किया: “सभी स्कूलों में जागरूकता अभियान चलाएंगे। नशा-मुक्त शिक्षण।”
सुधार या सजा?
यह निलंबन अंत नहीं, शुरुआत है। महेश राम सिदार को काउंसलिंग की जरूरत। लेकिन सिस्टम को भी आईना देखना होगा – भर्ती से ट्रेनिंग तक नशा-रोधी नीति सख्त हो। केंद्र सरकार की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ‘ जैसी योजनाओं में शिक्षक नैतिकता पर जोर दें। रायगढ़ जैसे जिले ग्रामीण छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करते हैं – यहां सुधार हो, तो पूरे राज्य में लहर।
अंत में, एक सवाल: क्या हम अपने बच्चों को ऐसे ‘गुरु‘ सौंपेंगे? नहीं न! तो आवाज उठाएं, नशे के खिलाफ। शिक्षक पद पवित्र रखें – ऑफ-ड्यूटी भी शराब से कोसों दूर। लारीपानी की यह घटना इतिहास बने, न कि दोहराई जाए। जय हिन्द