विश्व आदिवासी दिवस: तमनार तहसील में आदिवासी समाज की विशाल रैली और सांस्कृतिक उत्सव

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम तमनार तहसील, 11 अगस्त 2025: विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर तमनार तहसील में सरपंच संघ तमनार और सर्व आदिवासी समाज के संयुक्त तत्वावधान में एक भव्य और ऐतिहासिक आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर जनपद कार्यालय से प्रारंभ होकर बेटी बचाओ चौक होते हुए तहसील कार्यालय और बस स्टैंड तक एक विशाल रैली निकाली गई। इस रैली में हजारों आदिवासी समाज के बच्चे, युवा, महिलाएं और वरिष्ठजन पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुए, जिसने पूरे क्षेत्र में एकता और सांस्कृतिक गौरव का संदेश प्रसारित किया।

रैली का दृश्य अत्यंत मनमोहक था। आदिवासी समाज के युवा और महिलाएं पारंपरिक करमा नृत्य के साथ झांझ, मांदर और अन्य लोक वाद्ययंत्रों की धुन पर थिरकते नजर आए। रैली में शामिल लोग “एक तीर, एक कमान – आदिवासी एक समान” जैसे नारों के साथ बैनर और तख्तियां लिए हुए थे, जो आदिवासी समाज की एकजुटता और उनके अधिकारों की मांग को दर्शा रहे थे। रैली में आदिवासी संस्कृति की झलक स्पष्ट रूप से देखने को मिली, जिसमें पारंपरिक वेशभूषा, रंग-बिरंगे परिधान और सांस्कृतिक प्रदर्शन ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

रैली के पश्चात मंगलम भवन में एक आमसभा का आयोजन किया गया, जिसमें आदिवासी समाज के देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की गई और अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर आदिवासी समाज के बैगा, जनप्रतिनिधियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को धोती, गमछा और श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। साथ ही, कक्षा 10वीं और 12वीं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले सैकड़ों प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए, जिससे युवाओं में शिक्षा के प्रति प्रोत्साहन बढ़ा।

आमसभा में शिवपाल भगत ने आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों, शासकीय योजनाओं, आरक्षण और क्षेत्रीय समस्याओं पर विस्तृत संबोधन दिया। उन्होंने भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए निर्धारित अधिकारों, विशेष रूप से पांचवीं और छठवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण पर प्रकाश डाला। उन्होंने जल, जंगल, जमीन और खनिजों के संरक्षण के लिए आदिवासी समाज की लड़ाई को रेखांकित किया और अपनी परंपराओं, संस्कृति और पहचान को बचाए रखने के लिए संघर्ष की आवश्यकता पर बल दिया।

वहीं, सरपंच गुलापी सिदार ने आदिवासी संस्कृति, सभ्यता, वेशभूषा, भाषा, खानपान और परंपराओं के गौरव पर जोर दिया। उन्होंने समाज को अपनी प्राचीन विरासत को संरक्षित करने और सम्मान बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। उनके संबोधन में आदिवासी समाज की एकता और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति गर्व का भाव स्पष्ट झलक रहा था।

आयोजन के दौरान तमनार तहसील के सर्व आदिवासी समाज ने अपनी विभिन्न समस्याओं और मांगों को लेकर एक ज्ञापन तहसीलदार तमनार, रिचा सिंह को सौंपा। यह ज्ञापन महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री और आदिवासी विकास विभाग के नाम संबोधित था, जिसमें आदिवासी समाज की समस्याओं के समाधान और उनके अधिकारों की रक्षा की मांग की गई।

कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन सरपंच गुलापी सिदार और शिवपाल भगत द्वारा किया गया। उन्होंने अतिथियों, बैगा, प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं, सर्व समाज के युवाओं, माताओं-बहनों, वरिष्ठजनों, तहसीलदार रिचा सिंह, थाना प्रभारी कमला पुसाम ठाकुर, तमनार पुलिस, संवाददाताओं दुलेन्द्र पटेल और अमरदीप चौहान का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में समापन की घोषणा की गई।

इस आयोजन में सरपंच संघ ब्लॉक अध्यक्ष श्यामलाल राठिया, सरपंच संघ जिला उपाध्यक्ष गुलापी सिदार, शिवपाल भगत, रमेश राठिया, राधेश्याम पैकरा, संजय राठिया, अमृत भगत, पुसाराम भगत, भारती ध्रुवे, नांकुमारी सिदार, सरोज राठिया, रविशंकर सिदार, विन्देश्वरी राठिया, शशिरेखा राठिया, पूर्व सरपंच संघ अध्यक्ष जानकी राठिया, दुलामणि राठिया सहित अन्य कई पंचायतों के सरपंच, जनप्रतिनिधि, आदिवासी समाज के प्रमुख और सर्व समाज के हजारों लोग शामिल हुए।

यह आयोजन न केवल विश्व आदिवासी दिवस के उत्सव का प्रतीक था, बल्कि आदिवासी समाज की एकता, उनकी सांस्कृतिक धरोहर और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष को भी रेखांकित करता है। तमनार तहसील में इस भव्य रैली और सांस्कृतिक कार्यक्रम ने आदिवासी समाज के गौरव और उनकी मांगों को प्रभावी ढंग से सामने लाया। यह आयोजन समाज में जागरूकता और एकता का संदेश देने में पूर्णतः सफल रहा।