रायपुर में भारतमाला परियोजना मुआवजा घोटाला: छह गिरफ्तार, 48 करोड़ से अधिक की हानि

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायपुर, 17 जुलाई 2025: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापट्टनम आर्थिक गलियारे के लिए भूमि अधिग्रहण में मुआवजा वितरण में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने इस मामले में बुधवार को छह लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें दो लोकसेवक और चार अन्य व्यक्ति शामिल हैं।
गिरफ्तार आरोपियों के नाम और कार्रवाई
ईओडब्ल्यू ने जल संसाधन विभाग के सेवानिवृत्त अमीन गोपाल राम वर्मा, नरेंद्र कुमार नायक, खेमराज कोसले, पुनुराम देशलहरे, भोजराम साहू और कुंदन बघेल को गिरफ्तार किया। इनमें खेमराज कोसले पूर्व जिला पंचायत सदस्य और अभनपुर जनपद अध्यक्ष रह चुके हैं, जबकि कुंदन बघेल 10 वर्षों तक नगर पंचायत अभनपुर के अध्यक्ष रहे। पुनुराम देशलहरे नायकबांधा ग्राम के पूर्व सरपंच हैं।
आरोपियों को रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां गोपाल राम वर्मा और नरेंद्र कुमार नायक को 23 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया, जबकि कोसले, देशलहरे, साहू और बघेल को 18 जुलाई तक ईओडब्ल्यू की हिरासत में भेज दिया गया।
घोटाले का स्वरूप
जांच में पता चला कि जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने पूर्व में अधिग्रहीत भूमि के बारे में गलत रिपोर्ट प्रस्तुत की। साथ ही, राजस्व विभाग के फरार अधिकारियों के साथ मिलकर चार अन्य व्यक्तियों ने खाता विभाजन (बटांकन) और अन्य राजस्व प्रक्रियाओं में फर्जीवाड़ा किया। इस प्रक्रिया में निजी भूमि को टुकड़ों में बांटकर मुआवजा राशि को कई गुना बढ़ाया गया और फर्जी दस्तावेजों के जरिए गलत व्यक्तियों को मुआवजा दिलवाया गया। किसानों से भारी कमीशन भी लिया गया।
राज्य शासन की प्रारंभिक जांच के अनुसार, पांच गांवों की जमीन के मुआवजा वितरण में अनियमितताओं के कारण सरकार को 48 करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक हानि हुई है। अन्य अधिग्रहीत गांवों की रिपोर्ट अभी प्राप्त होनी बाकी है, जिससे हानि की राशि और बढ़ने की संभावना है।
फरार अधिकारी और आगे की जांच
इस मामले में तत्कालीन एसडीएम निर्भय कुमार साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर किरण, और तीन पटवारी—जितेंद्र साहू, बसंती धृतलहरे, और लेखराम देवांगन—फरार हैं। इनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए गए हैं, और ईओडब्ल्यू उनकी तलाश में जुटी है।
ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, और जांच में और भी गिरफ्तारियां होने की संभावना है। प्रारंभिक जांच में 43 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आई थी, जो अब बढ़कर 220 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है। कुछ स्रोतों के अनुसार, कुल हानि 600 करोड़ रुपये तक हो सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग की थी। इसके बाद, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपने का निर्णय लिया गया।
पृष्ठभूमि: भारतमाला परियोजना
भारतमाला परियोजना केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक 546 किलोमीटर लंबी फोरलेन और सिक्सलेन सड़क का निर्माण किया जा रहा है। इस परियोजना के लिए बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण किया गया, लेकिन भू-माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से मुआवजा प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं।

ईओडब्ल्यू और एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी इस घोटाले में रुचि दिखाई है और जांच रिपोर्ट मांगी है। विशेष अदालत ने फरार अधिकारियों के खिलाफ उद्घोषणा जारी की है, और यदि वे 29 जुलाई 2025 तक पेश नहीं होते, तो उनकी संपत्ति कुर्क करने की कार्रवाई हो सकती है।
यह घोटाला न केवल सरकारी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि उन किसानों के अधिकारों का भी हनन करता है, जिन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल सका। सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है, और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की प्रतिबद्धता जताई है।