रायगढ़ POCSO कोर्ट का सख्त फैसला: नाबालिग से छेड़छाड़ के आरोपी को 5 साल कैद और जुर्माना

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़ (छत्तीसगढ़), विशेष संवाददाता द्वारा: बाल यौन अपराधों के खिलाफ देशभर में सख्ती बरतने के बीच छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक महत्वपूर्ण फैसला सामने आया है। विशेष न्यायाधीश (FTSC POCSO) शहाबुद्दीन कुरैशी ने धर्मजयगढ़ थाना क्षेत्र के एक मामले में आरोपी सुशांत राय उर्फ भम्बोला को दोषी ठहराते हुए 5 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही आरोपी पर 500 रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद देता है, बल्कि समाज में बाल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का संदेश भी देता है।
घटना की जड़ें रायगढ़ जिले के हैं, जहां अपराध क्रमांक 84/2024 के तहत दर्ज इस मामले ने स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया था। घटना के दिन, 12 वर्षीय नाबालिग पीड़िता घरेलू कार्यों में व्यस्त थी, तभी आरोपी सुशांत राय ने उसके साथ अनाचार (छेड़छाड़) करने का प्रयास किया। पीड़िता की साहसिक शिकायत पर धर्मजयगढ़ थाने में तत्काल एफआईआर दर्ज की गई। पुलिस ने मामले की गहन जांच की, जिसमें साक्ष्यों की पुष्टि और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपी की भूमिका स्पष्ट हो गई। विवेचना पूरी होने के बाद, अभियोजन पक्ष ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 (महिला की लज्जा भंग करने का प्रयास) और लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (POCSO Act) की धारा 10 (बाल यौन अपराध) के तहत आरोप-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया।
मामले की सुनवाई विशेष POCSO कोर्ट में चली, जहां विशेष न्यायाधीश शहाबुद्दीन कुरैशी ने सभी पक्षों को ध्यान से सुना। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक श्रीमती अर्चना मिश्रा ने मजबूत तर्क रखे, जिसमें पीड़िता के बयान, चिकित्सकीय रिपोर्ट और अन्य साक्ष्यों पर जोर दिया गया। बचाव पक्ष ने आरोपी की निर्दोषता का दावा किया, लेकिन अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर इसे खारिज कर दिया। विचारण के अंत में, न्यायाधीश ने आरोपी को POCSO अधिनियम की धारा 10 के तहत दोषी करार देते हुए सजा का ऐलान किया। 5 वर्ष की सश्रम कारावास के अलावा, 500 रुपये के अर्थदंड का प्रावधान किया गया, जो दंड की गंभीरता को रेखांकित करता है। यदि अर्थदंड अदा नहीं किया जाता, तो अतिरिक्त सजा का प्रावधान भी है।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब छत्तीसगढ़ में बाल यौन अपराधों के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में POCSO के तहत दर्ज मामलों में पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जो ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी और सामाजिक दबावों को इंगित करता है। रायगढ़ जैसे आदिवासी बहुल जिलों में ऐसी घटनाएं अक्सर परिवारिक या सामुदायिक दबाव के कारण दब जाती हैं, लेकिन इस मामले में पीड़िता की शिकायत और पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने न्याय की राह आसान की। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे फैसले अपराधियों में डर पैदा करेंगे और पीड़ितों को आगे आने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। एक प्रमुख एनजीओ की प्रतिनिधि ने कहा, “POCSO अधिनियम का सख्ती से पालन बाल संरक्षण के लिए जरूरी है। यह फैसला एक मिसाल बनेगा।” वहीं, पुलिस अधिकारियों ने बताया कि जिले में बाल अपराधों के खिलाफ विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसमें स्कूलों और गांवों में जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।
इस मामले ने एक बार फिर साबित किया है कि न्याय व्यवस्था बाल अधिकारों के प्रति संवेदनशील है। आरोपी को तत्काल जेल भेज दिया गया है, और अपील की संभावना बनी हुई है। पीड़ित परिवार को राज्य सरकार की योजनाओं के तहत सहायता प्रदान की जा रही है, ताकि वे सामान्य जीवन की ओर लौट सकें। रायगढ़ जिले में ऐसे मामलों पर नजर रखने वाली एजेंसियां अब और सतर्क हो गई हैं, जो भविष्य में अपराधों की रोकथाम में मददगार साबित होगा।
समाचार सहयोगी सिकंदर चौहान की रिपोर्ट