रायगढ़ में एसीबी की सख्त कार्रवाई: उपनिरीक्षक 50 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया, विभाग की भ्रष्टाचार की जड़ें उजागर!

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 30 अगस्त 2025 – छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे व्यापक अभियान के तहत एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है। आबकारी विभाग के उपनिरीक्षक संतोष कुमार नारंग को खरसिया स्थित कार्यालय में 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। यह घटना न केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी तक सीमित है, बल्कि पूरे आबकारी विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही है, जहां भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी लगती हैं कि आम जनता को लगातार ठगा जा रहा है। एसीबी की यह कार्रवाई विभाग की सांठ-गांठ वाली संस्कृति को उजागर करती है, जो राज्य स्तर पर चल रहे हजारों करोड़ के आबकारी घोटाले का हिस्सा प्रतीत होती है।
घटना का खुलासा तब हुआ जब 20 अगस्त 2025 को धर्मजयगढ़ निवासी सुनीत टोप्पो ने एसीबी इकाई बिलासपुर में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि 19 अगस्त को आबकारी उपनिरीक्षक संतोष कुमार नारंग उनके ग्राम पंडरी महुआ स्थित मां के घर पहुंचे और बिना किसी ठोस आधार के “तुम लोग शराब बनाते हो” कहकर घर का सामान तलाशी लेने लगे। सुनीत स्वयं मौके पर मौजूद थे, और नारंग ने उसी दौरान कुछ कागजों पर उनकी मां का हस्ताक्षर करवा लिया। उसके बाद, कड़ी कार्रवाई से बचने के बहाने नारंग ने सुनीत और उनकी मां से 50 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की। सुनीत ने साफ कहा कि वे रिश्वत नहीं देना चाहते, बल्कि आरोपी को सलाखों के पीछे पहुंचाना चाहते हैं। शिकायत का सत्यापन होने पर यह पूरी तरह सही पाई गई, और एसीबी ने तत्काल ट्रैप की योजना बनाई।
आज, 30 अगस्त को सुनीत को 50 हजार रुपये के साथ आरोपी के पास भेजा गया। जैसे ही नारंग ने खरसिया आबकारी कार्यालय में रिश्वत की रकम स्वीकार की, एसीबी की टीम ने उन्हें मौके पर धर दबोचा। इस कार्रवाई से आसपास हड़कंप मच गया, और स्थानीय लोगों ने इसे आबकारी विभाग की लंबे समय से चली आ रही भ्रष्ट प्रथा के खिलाफ एक झटका बताया। एसीबी ने आरोपी से रिश्वत की रकम जब्त कर ली और उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 के तहत मामला दर्ज किया। नारंग का क्षेत्राधिकार धर्मजयगढ़ और खरसिया में फैला हुआ है, जहां अवैध शराब की बिक्री और रिश्वतखोरी की शिकायतें आम हैं।
एसीबी सूत्रों का कहना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान अनवरत जारी रहेगा, और आबकारी विभाग जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सतर्कता बरती जाएगी। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब विभाग के आधे से ज्यादा अधिकारी भ्रष्टाचार के दायरे में हैं, तो आम नागरिकों का भरोसा कैसे बहाल होगा? विशेषज्ञों का मानना है कि आबकारी विभाग की कार्यशैली में पारदर्शिता, डिजिटलीकरण और सख्त निगरानी की कमी ही ऐसी घटनाओं का कारण है। राज्य सरकार को अब विभागीय सुधारों पर तत्काल ध्यान देना चाहिए, ताकि रिश्वतखोरी और अवैध कारोबार की यह कड़ी टूट सके।