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रायगढ़ में एचआईवी संक्रमण के बढ़ते मामले ने दी चेतावनी — 9 साल में 443 संक्रमित, 35 बच्चे और 22 गर्भवती महिलाएं भी पॉजिटिव

एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़।
छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एचआईवी संक्रमण के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता गहरा दी है। जिला अस्पताल के रिकॉर्ड बताते हैं कि बीते 9 वर्षों में 443 लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें 35 नाबालिग बच्चे और 22 गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं — जो इस संक्रमण की गंभीर सामाजिक और पारिवारिक तस्वीर पेश करते हैं।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि सिर्फ वर्ष 2025 के शुरुआती 6 महीनों में ही 76 नए मरीज सामने आए हैं, जो पिछले 8 सालों का रिकॉर्ड तोड़ चुके हैं।


रायगढ़ का एआरटी सेंटर बना जीवनरेखा

रायगढ़ जिला अस्पताल में संचालित एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी (ART) सेंटर इन दिनों सैकड़ों मरीजों की जीवनरेखा बना हुआ है।
यहां रोजाना जांच और उपचार के लिए मरीजों की भीड़ देखी जा रही है।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से 2025 के बीच 443 मरीजों की पुष्टि हुई है, जिनमें

120 से अधिक युवा,

250 से अधिक वयस्क पुरुष और महिलाएं,
वर्तमान में केजीएच एआरटी सेंटर से इलाज प्राप्त कर रहे हैं।


स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अब सभी प्रमुख बीमारियों की जांच के साथ एचआईवी टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि संक्रमण को शुरुआती चरण में ही पहचाना जा सके।


संक्रमण का बढ़ता ग्राफ — हर साल नया खतरा

वर्ष एचआईवी पॉजिटिव केस

2017 40
2018 28
2019 35
2020 23
2021 28
2022 48
2023 69
2024 76
2025 (6 माह) 76


इन आँकड़ों से स्पष्ट है कि संक्रमण की रफ़्तार तेज़ी से बढ़ रही है।
2025 में मात्र छह महीनों में उतने ही मामले सामने आ चुके हैं जितने पूरे वर्ष 2024 में दर्ज हुए थे।


सामाजिक कलंक बना सबसे बड़ी चुनौती

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि संक्रमण को रोकने में सबसे बड़ी बाधा “सामाजिक कलंक” है।
कई लोग अब भी अपनी पहचान उजागर होने के डर से सरकारी अस्पतालों की बजाय निजी क्लीनिकों में गुप्त रूप से जांच कराते हैं।
इससे न केवल वास्तविक आँकड़े छिप जाते हैं बल्कि संक्रमण फैलने का जोखिम भी बढ़ जाता है।

एआरटी सेंटर के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया —

> “हमारे पास जितने मरीज दर्ज हैं, असल संख्या उससे कई गुना ज़्यादा हो सकती है।
जब तक समाज एचआईवी को बीमारी की तरह और संक्रमितों को इंसान की तरह नहीं देखेगा, तब तक रोकथाम मुश्किल है।”



युवाओं में जागरूकता की कमी

हमारी टीम ने जब कॉलेजों और कोचिंग संस्थानों के युवाओं से बातचीत की, तो पाया कि आज भी बहुत से युवा एचआईवी संक्रमण के तरीकों, रोकथाम और परीक्षण को लेकर पूरी तरह अनजान हैं।
कई युवाओं का मानना है कि यह बीमारी “अब खत्म हो चुकी है” या “सिर्फ नशे के आदी लोगों में होती है” — जबकि सच्चाई यह है कि संक्रमण का दायरा अब सामान्य परिवारों तक पहुँच चुका है।

स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी और योजना

रायगढ़ सीएमएचओ कार्यालय ने हाल ही में सभी अस्पतालों, स्कूलों और पंचायत स्तर पर ‘एचआईवी जागरूकता अभियान’ शुरू करने का निर्णय लिया है।
इसके तहत युवाओं, गर्भवती महिलाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों को एचआईवी टेस्ट और परामर्श की सुविधा दी जाएगी।

स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा —

> “संक्रमण से बचाव ही इसका सबसे बड़ा उपचार है।
सुरक्षित व्यवहार, समय पर जांच और एआरटी दवाओं का नियमित सेवन एचआईवी मरीजों के जीवन को सामान्य बना सकता है।”




संपादकीय टिप्पणी — समाज को जागना होगा

एचआईवी आज सिर्फ स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक स्वीकार्यता की परीक्षा है।
रायगढ़ जैसे छोटे लेकिन औद्योगिक शहर में इसका फैलना इस बात का संकेत है कि आधुनिकता के बीच भी जागरूकता की खाई गहरी है।
सरकार के प्रयास तब तक अधूरे रहेंगे जब तक समाज, स्कूल, परिवार और मीडिया मिलकर इस बीमारी से जुड़े भ्रम और भय की दीवार नहीं तोड़ते।

Amar Chouhan

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