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रायगढ़: मितानिन कार्यकर्ताओं का रायपुर धरना, जिला स्तर पर 3187 महिलाएं कल होंगी रवाना

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़, 28 अगस्त 2025: छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ मानी जाने वाली मितानिन कार्यकर्ताओं ने अपनी लंबित मांगों को लेकर एक बड़ा आंदोलन तेज करने का फैसला किया है। कल, 29 अगस्त 2025 को जिले के सभी मितानिन टीमों सहित कुल 3187 कार्यकर्ता रायपुर के धरना स्थल के लिए रवाना होंगे। यह कदम प्रदेश स्तर पर चल रहे मितानिन आंदोलन का हिस्सा है, जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) में संविलियन, वेतन/प्रोत्साहन राशि में 50 प्रतिशत वृद्धि और एनजीओ के माध्यम से काम न कराने जैसी प्रमुख मांगों पर केंद्रित है। यह आंदोलन 7 अगस्त 2025 से नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर अनिश्चितकालीन हड़ताल के रूप में चल रहा है, और विभिन्न जिलों से चरणबद्ध तरीके से कार्यकर्ता जुड़ रही हैं।

मितानिन आंदोलन का पृष्ठभूमि और मांगें
मितानिन कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं, टीकाकरण, पोषण जागरूकता और मातृ-शिशु स्वास्थ्य जैसे कार्यों को संभालता है। राज्य में लगभग 60,000 से अधिक मितानिन कार्यकर्ता सक्रिय हैं, जो मुख्य रूप से महिलाओं से बनी हैं। इनकी मांगें 2023 के विधानसभा चुनावी घोषणा पत्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) द्वारा किए गए वादों पर आधारित हैं, जिनमें “मोदी की गारंटी” के तहत मितानिनों को एनएचएम में शामिल करने और उनकी प्रोत्साहन राशि/क्षतिपूर्ति में 50 प्रतिशत वृद्धि का वादा किया गया था।

प्रमुख मांगें निम्नलिखित हैं:
1. एनएचएम में संविलियन: मितानिन, मितानिन प्रशिक्षक, हेल्प डेस्क फेसिलिटेटर (एमएचडीएफ), ब्लॉक समन्वयक (बीसी) और अन्य संबंधित पदों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में स्थायी रूप से शामिल किया जाए। वर्तमान में ये पद अस्थायी या एनजीओ के माध्यम से संचालित होते हैं, जिससे कार्यकर्ताओं को स्थायित्व और सामाजिक सुरक्षा का अभाव है।
2. प्रोत्साहन राशि में वृद्धि: वर्तमान प्रोत्साहन राशि बहुत कम है, जिसके कारण आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मांग है कि इसे 50 प्रतिशत बढ़ाया जाए, जैसा कि राजस्थान जैसे राज्यों में किया गया है।
3. एनजीओ के माध्यम से काम बंद: मितानिन कार्यक्रम को सीधे सरकारी नियंत्रण में लाया जाए, ताकि पारदर्शिता बढ़े और कार्यकर्ताओं के अधिकार सुरक्षित हों।
4. समय पर वेतन भुगतान: पिछले 13 महीनों से वेतन/मानदेय में देरी हो रही है, जो 3-4 महीनों के अंतराल पर भुगतान के रूप में हो रहा है। इससे परिवारों की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है।

ये मांगें जुलाई 2025 से तेज हो गईं, जब 29 जुलाई को रायपुर में एक दिवसीय धरना आयोजित किया गया था। उसके बाद 7 अगस्त से अनिश्चितकालीन “काम बंद और कलम बंद” आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें विभिन्न जिलों से चरणबद्ध रूप से मितानिनें शामिल हो रही हैं। सरंगढ़, कोरबा, बिलासपुर, बालोद और कबीरधाम जैसे जिलों में पहले ही रैलियां और स्थानीय धरने हो चुके हैं, जहां ज्ञापन सौंपे गए हैं। मितानिन संघ का आरोप है कि सरकार ने चुनावी वादों को पूरा नहीं किया, जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।

रायगढ़ जिले में आंदोलन की तैयारी
रायगढ़ जिले में मितानिन कार्यक्रम के तहत कुल 3187 कार्यकर्ता सक्रिय हैं, जो जिले के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही हैं। इनमें विभिन्न श्रेणियां शामिल हैं:
मितानिन (MITANIN): 3009 कार्यकर्ता – ये मुख्य स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं, जो घर-घर जाकर सेवाएं देती हैं।
मितानिन ट्रेनर (MT): 148 – प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण का कार्य।
ब्लॉक समन्वयक (BC): 14 – ब्लॉक स्तर पर समन्वय।
महिला हेल्प डेस्क फेसिलिटेटर (MHDF): 16 – महिला स्वास्थ्य और सहायता संबंधी कार्य।

कुल: 3187 कार्यकर्ता

ये सभी कल सुबह रायपुर के लिए रवाना होंगी। विशेष रूप से लैलूंगा क्षेत्र से 2 बसें और 128 चार-पहिया वाहन (कार/जीप आदि) का उपयोग किया जाएगा, ताकि यात्रा सुगम हो। यह व्यवस्था जिला मितानिन संघ द्वारा की गई है, जिसकी अगुवाई जिला अध्यक्ष श्रीमती कलिस्ता एक्का और जिला सचिव श्री केशव प्रसाद चौहान कर रहे हैं। एक्का ने बताया कि यह यात्रा शांतिपूर्ण होगी, लेकिन मांगें पूरी न होने पर आंदोलन और तेज किया जाएगा। चौहान ने कहा कि रायगढ़ की मितानिनें ग्रामीण स्वास्थ्य की आधारशिला हैं, और उनका संघर्ष पूरे प्रदेश की महिलाओं के सशक्तिकरण से जुड़ा है।

यात्रा के दौरान कोई यातायात बाधा न हो, इसके लिए जिला प्रशासन से अनुमति ली गई है। रायपुर पहुंचने पर कार्यकर्ता तूता धरना स्थल पर अन्य जिलों की मितानिनों के साथ मिलकर प्रदर्शन में भाग लेंगी। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन को और व्यापक बनाया जाएगा, जिसमें सेवाओं का पूर्ण बहिष्कार भी शामिल हो सकता है।

आंदोलन का प्रभाव और अपेक्षाएं
यह आंदोलन न केवल मितानिनों के अधिकारों के लिए है, बल्कि छत्तीसगढ़ के ग्रामीण स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत करने के लिए भी आवश्यक है। मितानिनें महामारी काल में कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ने में अग्रणी रहीं, लेकिन अब उनकी अपनी स्थिति सुधारने की बारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि संविलियन से कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।

प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पिछले आंदोलनों में सकारात्मक विचार का आश्वासन दिया गया था। मितानिन संघ ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को ज्ञापन सौंपा है और 7 दिनों का अल्टीमेटम दिया था। अब रायगढ़ की भागीदारी से आंदोलन को नई गति मिलेगी। स्थानीय निवासियों ने मितानिनों का समर्थन किया है, क्योंकि उनकी सेवाएं दैनिक जीवन का अभिन्न अंग हैं।

यह घटना छत्तीसगढ़ की महिला सशक्तिकरण यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जहां ग्रामीण महिलाएं अपने हक के लिए एकजुट हो रही हैं। आंदोलन की सफलता से न केवल मितानिनों को लाभ होगा, बल्कि पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत बनेगी।

Amar Chouhan

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