Latest News

रायगढ़ की हवा दमघोंटू मोड़ पर, तमनार सबसे ज्यादा संकट में—एक्यूआई सौ पार, औद्योगिक बेल्ट में पीएम-10 दोगुना

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़।
दिसंबर की ठंड के साथ रायगढ़ की हवा एक बार फिर चिंता के स्तर पर पहुंच गई है। शाम ढलते ही शहर और औद्योगिक इलाकों में छा जाने वाली धुंध अब मौसम का स्वाभाविक कोहरा नहीं, बल्कि प्रदूषण से बना स्मॉग है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के ताजा आंकड़े साफ इशारा कर रहे हैं कि रायगढ़ जिले की वायु गुणवत्ता अब “अस्वास्थ्यकर” से “खराब” श्रेणी में पहुंच चुकी है। औसत एक्यूआई 100 के पार है और सबसे अधिक खतरा तमनार क्षेत्र पर मंडरा रहा है।

तमनार: उद्योगों के बीच घिरा इलाका
तमनार ब्लॉक लंबे समय से कोयला खदानों, पावर प्लांट्स और स्टील उद्योगों का केंद्र रहा है। कुंजेमुरा, मिलुपारा, छाल और पूंजीपथरा जैसे इलाकों में लगाए गए सीपीसीबी के मॉनिटरिंग सिस्टम की रीडिंग बताती है कि यहां पीएम-10 और पीएम-2.5 जैसे घातक सूक्ष्म कण तय मानकों से कहीं ज्यादा हैं।
उदाहरण के तौर पर, मिलुपारा और छाल में पीएम-10 का स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के करीब दर्ज किया गया, जबकि इसका सुरक्षित मानक 100 माना जाता है। कुंजेमुरा में शाम से सुबह के बीच पीएम-10 179 तक पहुंचा। यह आंकड़े महज संख्या नहीं, बल्कि उन लोगों की सांसों पर सीधा हमला हैं जो वर्षों से इसी हवा में जी रहे हैं।

नाइट्रोजन और सल्फर भी सीमा पर
स्थिति केवल धूल कणों तक सीमित नहीं है। तमनार औद्योगिक क्षेत्र में उद्योगों की चिमनियों से निकलने वाली गैसों के कारण नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) और सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) भी खतरनाक स्तर के करीब पहुंच गए हैं। कुंजेमुरा में SO₂ की मात्रा 126 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक दर्ज की गई, जो साफ तौर पर स्वास्थ्य जोखिम की घंटी है। लगातार संपर्क में रहने से दमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों की गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

नमी और ठहरी हवा ने बढ़ाया असर
विशेषज्ञों के मुताबिक सर्दी के मौसम में हवा की गति कम हो जाती है और वातावरण में नमी बढ़ जाती है। ऐसे में उद्योगों और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषक कण ऊपर फैलने के बजाय नीचे ही जम जाते हैं। यही कारण है कि शाम से सुबह तक तमनार और आसपास के गांवों में धुंध ज्यादा गहरी महसूस होती है। स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार आंखों में जलन और सांस लेने में तकलीफ आम हो गई है।

शहर भी अछूता नहीं
रायगढ़ शहर के कलेक्टोरेट परिसर में लगे सिस्टम की रीडिंग भी राहत देने वाली नहीं है। यहां पीएम-10 एक समय पर 108 तक पहुंचा, जबकि पीएम-2.5 भी सीमा के करीब रहा। औसत एक्यूआई भले ही 77 के आसपास दिखे, लेकिन यह साफ संकेत है कि स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ रही है।

आने वाले दिनों की चेतावनी
यदि मौजूदा रुझान जारी रहे और औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों की बढ़ती संख्या, निर्माण कार्यों की धूल और खुले में कचरा जलाने पर सख्ती नहीं हुई, तो रायगढ़—खासकर तमनार—दिल्ली और कानपुर जैसे हालात की ओर बढ़ सकता है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो “खराब” से “बेहद खराब” और फिर “खतरनाक” स्तर तक पहुंचने में देर नहीं लगेगी।

जरूरत ठोस कार्रवाई की
तमनार क्षेत्र के लिए अब आधे-अधूरे उपाय काफी नहीं होंगे। उद्योगों की चिमनियों पर सख्त निगरानी, रियल-टाइम डेटा की सार्वजनिक निगरानी, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण और खुले में कचरा जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध जैसे कदम तत्काल जरूरी हैं। वरना यह संकट सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि हर सांस के साथ आम लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ेगा।

Amar Chouhan

AmarKhabar.com एक हिन्दी न्यूज़ पोर्टल है, इस पोर्टल पर राजनैतिक, मनोरंजन, खेल-कूद, देश विदेश, एवं लोकल खबरों को प्रकाशित किया जाता है। छत्तीसगढ़ सहित आस पास की खबरों को पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़ पोर्टल पर प्रतिदिन विजिट करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button