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रायगढ़ की सहकारी समितियों में बड़ा फेरबदल: नौ प्रबंधक बदले, अपेक्स बैंक ने दी सख्त हिदायत — धान खरीदी में पारदर्शिता होगी पहली कसौटी




एडिटर जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायगढ़।
जिले की सहकारी समितियों में लंबे समय से जमे दागी प्रबंधकों पर आखिरकार गाज गिर ही गई। लगातार मिल रही शिकायतों और अनियमितताओं के आरोपों के बाद अपेक्स बैंक ने सख्त कदम उठाते हुए नौ समितियों के पुराने प्रबंधकों को हटाकर नए प्रबंधकों की नियुक्ति कर दी है। माना जा रहा है कि यह फैसला आगामी धान खरीदी को पूरी तरह पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से लिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, इन समितियों में वर्षों से बैठे कुछ कर्मचारियों पर गबन, फर्जी धान खरीदी और बिचौलियों से मिलीभगत जैसे गंभीर आरोप लगते रहे हैं। नतीजतन शासन को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। बैंक प्रबंधन ने पिछले वर्ष ही बदलाव की प्रक्रिया शुरू की थी, मगर धान खरीदी के बीच कार्यभार हस्तांतरण को रोक दिया गया था। इस बार स्थिति पूरी तरह अलग है — सभी नए प्रबंधक अपनी-अपनी समितियों में पदस्थ होकर सीधे खरीदी संचालन की जिम्मेदारी संभालेंगे।

नए प्रबंधकों की तैनाती वाले केंद्र:
इस बार जिन समितियों में नए प्रबंधकों की पोस्टिंग की गई है, उनमें लोइंग, तमनार, जतरी, खरसिया, धरमजयगढ़, कुड़ेकेला, लिबरा, राजपुर और लैलूंगा शामिल हैं। इसके अलावा सारंगढ़ क्षेत्र के गाताडीह, भेड़वन और छिंद समितियों में भी नए प्रबंधकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।

बोगस खरीदी का पुराना इतिहास
रायगढ़ जिले में हर वर्ष धान खरीदी के दौरान बिचौलियों और प्रभावशाली किसानों का दखल बना रहा है। कई समितियों में बोगस पंजीयन और फर्जी तौल की शिकायतें बार-बार सामने आईं। जांचों के बाद एफआईआर भी हुईं, लेकिन न तो वास्तविक वसूली हो सकी और न ही दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई हो पाई। इस कारण छोटे और वास्तविक किसानों को खरीदी केंद्रों में बार-बार परेशान होना पड़ा।

अपेक्स बैंक का सख्त निर्देश
इस बार अपेक्स बैंक ने स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि खरीदी प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और त्रुटिरहित होनी चाहिए। किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार, पक्षपात या अनियमितता पाए जाने पर प्रबंधक की सीधी जिम्मेदारी तय की जाएगी। साथ ही, सभी केंद्रों में अनुशासन और जवाबदेही सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

नई टीम के सामने बड़ी चुनौती
स्थानीय सूत्र बताते हैं कि कई समितियों में पुराने कर्मचारियों और बिचौलियों का नेटवर्क अब भी सक्रिय है, जो नए प्रबंधकों पर प्रभाव जमाने की कोशिश में हैं। ऐसे में इन नव-नियुक्त प्रबंधकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी — पुराने भ्रष्ट तंत्र को तोड़ना और किसानों को भरोसेमंद व्यवस्था उपलब्ध कराना।

जिले के कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस बार खरीदी प्रक्रिया बिना हस्तक्षेप के चली, तो यह रायगढ़ के सहकारी ढांचे में एक नया अध्याय साबित होगा। किसानों को समय पर भुगतान, सटीक तौल और निष्पक्ष खरीदी जैसी अपेक्षाएँ अब इन नए प्रबंधकों की कार्यशैली पर निर्भर होंगी।

संकेत साफ हैं — सरकार और बैंक दोनों अब किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त करने के मूड में नहीं हैं। आने वाला खरीदी सीजन यह तय करेगा कि रायगढ़ की समितियाँ ‘सुधार की राह’ पर हैं या फिर वही पुराना चक्र दोहराया जाएगा।

Amar Chouhan

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