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रायगढ़ की सड़कों पर शांति की सख्ती: चार युवकों की कहानी

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम 20 अगस्त 2025 का दिन रायगढ़ के लिए एक आम दिन था, लेकिन जूटमिल पुलिस थाने में हलचल मची थी। पुलिस अधीक्षक श्री दिव्यांग पटेल के सख्त निर्देशों के तहत थाना प्रभारी प्रशांत राव की अगुवाई में पुलिस ने शहर की शांति भंग करने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। चार युवकों की कहानियां, जो अलग-अलग घटनाओं में उलझकर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे, शहर में चर्चा का विषय बन गईं।

पहली कहानी: सज्जाद और साइकिल की टक्कर
15 अगस्त की दोपहर, पुराना सारंगढ़ बस स्टैंड के पास बाजार की चहल-पहल में एक छोटा सा हादसा हुआ। एक नन्हा बालक अपनी साइकिल पर बाजार की ओर जा रहा था, तभी उसकी साइकिल सज्जाद अंसारी की स्कूटी से टकरा गई। बात छोटी थी, मगर सज्जाद का गुस्सा बड़ा हो गया। उसने गुस्से में बच्चे को थप्पड़ जड़ दिया। बच्चे की मां जब बीच-बचाव करने पहुंची, तो सज्जाद ने उन पर भी हाथ उठा दिया। मां की शिकायत पर जूटमिल पुलिस ने सज्जाद के खिलाफ मामला दर्ज किया।

पुलिस ने सज्जाद को पकड़ लिया, मगर उसका रवैया ठीक नहीं था। थाने में भी वह छोटी सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर शिकायत करने की बात कहकर आगबबूला हो गया। पुलिस ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन सज्जाद का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा था। आखिरकार, शांति भंग करने की आशंका को देखते हुए पुलिस ने सज्जाद पर धारा 170 बीएनएनएस के तहत कार्रवाई की और उसे जेल भेज दिया। सज्जाद, जो बाझिनपाली का रहने वाला 20 साल का युवक था, अब अपनी गलती पर पछताने के सिवा कुछ नहीं कर सकता था।

दूसरी कहानी: कुनाल और कैलाश का पुराना हिसाब
ट्रांसपोर्ट नगर के मीना बाजार मेले में रात का माहौल रंगीन था, मगर कुनाल चौहान और कैलाश सोमल के लिए यह रात झगड़े की वजह बनी। कुनाल, जो सोनुमुड़ा का 21 साल का युवक था, और कैलाश, बजरंगपारा का 19 साल का लड़का, पुरानी रंजिश को लेकर आपस में भिड़ गए। मेले में ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने दोनों को पकड़कर थाने लाया, लेकिन वहां भी दोनों का झगड़ालू रवैया कम नहीं हुआ।

थाने में भी दोनों एक-दूसरे पर चिल्लाते रहे और मारपीट पर उतारू हो गए। पुलिस ने देखा कि इनका व्यवहार शांति को खतरे में डाल रहा है। बिना देर किए, दोनों पर धारा 170 बीएनएनएस के तहत कार्रवाई हुई और उन्हें जेल भेज दिया गया। मेले की रौनक में डूबे कुनाल और कैलाश को अब सलाखों के पीछे अपनी पुरानी रंजिश पर सोचने का वक्त मिला।

तीसरी कहानी: सहदेव की धमकी
झलमला गांव का सहदेव यादव, 30 साल का एक युवक, अपनी हरकतों की वजह से पहले भी ग्रामीणों की शिकायतों में घिरा हुआ था। जब पुलिस ने उसे पूछताछ के लिए थाने बुलाया, तो सहदेव ने बाहर निकलते ही गवाहों को गालियां दीं और झूठी शिकायत करने का आरोप लगाकर धमकियां दे डाली। पुलिस ने उसे कई बार समझाया, मगर सहदेव का रवैया नहीं बदला। उसका व्यवहार देखकर पुलिस को लगा कि वह शांति भंग करने की फिराक में है।

पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। सहदेव को धारा 170 बीएनएनएस के तहत गिरफ्तार किया गया और एसडीएम न्यायालय में पेश करने के बाद उसे जेल भेज दिया गया। सहदेव, जो अपनी धमकियों से डर पैदा करना चाहता था, अब जेल की चारदीवारी में बंद था।

रायगढ़ की इन तीन कहानियों में एक बात साफ थी—जूटमिल पुलिस शांति भंग करने वालों को बख्शने के मूड में नहीं थी। सज्जाद, कुनाल, कैलाश और सहदेव, चारों अपनी हरकतों की वजह से जेल पहुंचे। शहर के लोग अब सुकून की सांस ले रहे थे, क्योंकि पुलिस की सख्ती ने बता दिया था कि शांति के साथ खिलवाड़ करने वालों को सजा जरूर मिलेगी।

Amar Chouhan

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