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युक्तिकरण नीति में भ्रष्टाचार के विरोध में पत्रकारों की ऐतिहासिक मौन रैली : चौथा स्तंभ पहली बार सड़क पर, व्यवस्था सुधार की उठी मांग

फ्रीलांस एडिटर अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम

छत्तीसगढ़ में प्रेस जगत की अभूतपूर्व पहल

युक्तिकरण नीति और ट्रांसफर–पोस्टिंग में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ पहली बार पत्रकारों का मौन प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ में पहली बार पत्रकार समाज एक स्वर में भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ा दिखाई दिया। सरकारी तंत्र में बढ़ते युक्तिकरण (ट्रांसफर-पोस्टिंग) के भ्रष्ट नेटवर्क के विरोध में छत्तीसगढ़ प्रेस रिपोर्टर क्लब, बालोद इकाई द्वारा आज ऐतिहासिक मौन विरोध रैली निकाली गई।
यह शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावी रैली न सिर्फ पत्रकार हितों के लिए, बल्कि कर्मचारियों और आम जनता के अधिकारों के समर्थन में भी एक सशक्त संदेश बनकर सामने आई है।




ट्रांसफर–पोस्टिंग बना भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उद्योग — कर्मचारियों पर आर्थिक-मानसिक दबाव

प्रदेश में वर्तमान समय में ट्रांसफर कराना, रुकवाना या मनचाहे स्थान पर पोस्टिंग दिलाना एक संगठित भ्रष्टाचार उद्योग का रूप ले चुका है।
इसका परिणाम—

कर्मचारियों का मानसिक शोषण

आर्थिक दोहन

पारदर्शिता का अभाव

शासन की विश्वसनीयता पर सवाल

पत्रकार रैली

कर्मचारियों के कार्यस्थल की स्थिरता लगातार प्रभावित हो रही है और उनके परिवार भी असुरक्षा व अनिश्चितता से जूझ रहे हैं।
इसी सिस्टम को चुनौती देने की शुरुआत आज पत्रकारों ने मौन रहकर की।




“यह आंदोलन जनता की आवाज है”— प्रदेश संरक्षक श्याम गुप्ता

मौन रैली के दौरान प्रेस रिपोर्टर क्लब के प्रदेश संरक्षक श्याम गुप्ता ने कहा—

> “यह आंदोलन सिर्फ पत्रकारों का नहीं, प्रदेश की जनता की आवाज है। ट्रांसफर नीति में व्याप्त भ्रष्टाचार से सबसे ज्यादा नुकसान आम कर्मचारी और जनता को होता है। प्रेस रिपोर्टर क्लब सत्य और न्याय के लिए हमेशा खड़ा रहेगा।”



उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश अध्यक्ष संजय सोनी के नेतृत्व में क्लब की यह पहल भ्रष्टाचार के खिलाफ एक निर्णायक कदम साबित होगी।




रायगढ़ जिला इकाई का समर्थन— ‘जनहित और कर्मचारी हित में बड़ा कदम’

रायगढ़ जिला प्रेस रिपोर्टर क्लब ने बालोद इकाई के इस आंदोलन का खुलकर स्वागत किया।
समर्थन करने वाले प्रमुख पत्रकार—

हिमांशु चौहान – जिला अध्यक्ष

नीलांबर पटेल – जिला कार्यकारी अध्यक्ष

प्रकाश दास, केशव दास, परमजीत सिंह भाटिया

पिंगल बघेल

अमरजीत चौहान – सचिव

पूजा जायसवाल – सहसचिव

धर्मेंद्र बानी

मनोज मेहर – कोषाध्यक्ष

वरिष्ठ पत्रकार सुरेश पटेल सहित पूरी जिला इकाई


सभी ने कहा कि “यह आंदोलन व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। शासन–प्रशासन को अब मजबूर होकर व्यवस्था सुधार करनी ही होगी।”




पत्रकारों का मौन, सत्ता के लिए बड़ा संदेश

यह पहली बार है जब

पत्रकार सड़क पर उतरे,

मौन धारण किया,

और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने संवैधानिक दायित्व को सार्थक रूप से प्रदर्शित किया।


मौन रैली ने स्पष्ट कर दिया है कि ट्रांसफर नीति में व्याप्त भ्रष्टाचार को अब किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
यह दबाव आगे सरकार को पारदर्शी ट्रांसफर नीति, समयबद्ध प्रक्रियाओं और भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन की दिशा में कदम उठाने को मजबूर करेगा।




‘एक चिंगारी से उठी जनजागृति’

बालोद से उठी यह चिंगारी अब प्रदेश भर में आंदोलन का रूप ले सकती है।
पत्रकारिता का चौथा स्तंभ जब स्वयं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में उतरता है, तो परिवर्तन की संभावनाएँ प्रबल हो जाती हैं।
जनता, कर्मचारी और पत्रकार—सभी की सामूहिक मांग है कि सरकार इस संदेश को गंभीरता से ले और युक्तिकरण नीति में पारदर्शिता लाने के लिए ठोस निर्णय करे।

डेस्क रिपोर्ट

Amar Chouhan

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