तोमर बंधुओं का अवैध साम्राज्य ढहाया: रायपुर में बुलडोजर कार्रवाई, विधायक बनने की थी तैयारी

सम्पादक जर्नलिस्ट अमरदीप चौहान/अमरखबर.कॉम रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में सूदखोरी और आपराधिक गतिविधियों के लिए कुख्यात तोमर बंधुओं—रोहित तोमर और वीरेंद्र तोमर—के खिलाफ प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है। रविवार सुबह नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीम ने भाटागांव के साईं नगर में स्थित उनके अवैध दफ्तर पर बुलडोजर चलाकर इसे जमींदोज कर दिया। यह दफ्तर बिना नक्शे और अनुमति के बनाया गया था, जहां से तोमर बंधु सूदखोरी का काला कारोबार संचालित करते थे। इस कार्रवाई ने न केवल अपराध के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति को उजागर किया, बल्कि यह भी सामने लाया कि रोहित तोमर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में था।
अवैध धंधे का गढ़ था दफ्तर
जानकारी के मुताबिक, रोहित तोमर ने यह आलीशान दफ्तर अपनी पत्नी भावना तोमर के नाम पर खोल रखा था। यहीं से वह और उसका भाई वीरेंद्र तोमर अवैध रूप से ब्याज पर पैसा देने, ब्लैकमेलिंग और जबरन वसूली का धंधा चलाते थे। पुलिस को मिली शिकायतों के अनुसार, तोमर बंधुओं ने छोटे कारोबारियों और गरीब लोगों को कर्ज देकर उनसे कई गुना ब्याज वसूला, जिससे उन्होंने करोड़ों की अवैध संपत्ति अर्जित की। इस दफ्तर से कई अहम दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं, जो उनके काले कारनामों की पोल खोलते हैं।
सख्त कार्रवाई, भारी पुलिस बल तैनात
नगर निगम की टीम ने कार्रवाई से पहले दफ्तर से सामान बाहर निकाला और फिर बुलडोजर से इसे ध्वस्त कर दिया। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए भारी पुलिस बल और विशेष टीम ‘प्रहरी’ मौके पर तैनात थी। यह कार्रवाई सरकार के उस संकल्प को दर्शाती है कि कोई भी अपराधी कानून से बड़ा नहीं है। उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री विजय शर्मा ने सोशल मीडिया पर कहा, “विष्णुदेव सरकार में सुशासन है तो सुदर्शन चक्र भी है। किसी मंत्री-मुख्यमंत्री के साथ फोटो खिंचवाने से कोई कानून से बड़ा नहीं हो जाता। अपराधी तोमर ने कई लोगों को पीड़ा पहुंचाई है।
विधायक बनने की थी महत्वाकांक्षा
जांच में खुलासा हुआ कि रोहित तोमर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था। वह नेताओं के साथ तस्वीरें साझा कर अपनी रसूखदारी दिखाता था और दावा करता था कि वह करोड़ों खर्च कर टिकट हासिल कर लेगा। सूत्रों के अनुसार, उसने 8 हजार वर्गफीट में आलीशान बंगला बनाया था, जिसमें 2 हजार वर्गफीट अवैध कब्जे की जमीन थी। इस बंगले में बेसमेंट, स्विमिंग पूल और क्लब जैसी सुविधाएं थीं, जो उसकी अवैध कमाई का नमूना थीं

बाउंसर गैंग और सांप्रदायिक बलवे का कनेक्शन
तोमर बंधुओं का बाउंसर गैंग भी पुलिस की रडार पर है। रायपुर के भावना नगर में हाल ही में हुए सांप्रदायिक बलवे के मामले में फरार सरगना वसीम बाबू और उसके गुर्गों की तलाश जारी है। पुलिस ने इस मामले में 8 आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन वसीम बाबू अभी भी फरार है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा, “कोई भी गैंग कानून से बड़ा नहीं है। हर अपराधी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।”
सरकार को जवाब देना होगा
तोमर बंधुओं जैसे अपराधियों का इतने लंबे समय तक रसूख कायम रहना और विधायक बनने की उनकी महत्वाकांक्षा कई सवाल खड़े करती है। आखिर कैसे एक हिस्ट्रीशीटर इतने बड़े स्तर पर अवैध धंधा चला पाया? क्या सरकारी तंत्र की खामियां इसकी वजह हैं? सूदखोरी और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने में देरी क्यों हुई? सरकार को चाहिए कि वह इन सवालों का जवाब दे और ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए ठोस नीतियां बनाए।
**आगे क्या?**
1. **पारदर्शी जांच**: तोमर बंधुओं के बैंक फ्रॉड और अवैध संपत्तियों की जांच को पारदर्शी और तेज किया जाए।
2. **कानून का शिकंजा**: फरार तोमर बंधुओं और उनके बाउंसर गैंग की जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए।
3. **सिस्टम में सुधार**: सूदखोरी और अवैध कब्जों को रोकने के लिए सख्त कानून और निगरानी तंत्र लागू हो।
4. **जनता का भरोसा**: प्रशासन को ऐसी कार्रवाइयों को निरंतर जारी रखकर यह साबित करना होगा कि कानून सभी के लिए समान है।
तोमर बंधुओं के अवैध दफ्तर पर बुलडोजर कार्रवाई सरकार की अपराध के खिलाफ सख्ती का प्रतीक है। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत है। सरकार को अपनी खामियों का आत्ममंथन करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में कोई भी अपराधी इस तरह की रसूखदारी न बना सके। जनता के हित में पारदर्शिता और जवाबदेही ही सुशासन की असली कसौटी है।