मान्यता CG बोर्ड की, किताबें पढ़ा रहे CBSE की.. जिंदल स्कुल मनमानी
रायगढ़। सरकार के निर्देश के बाद भी निजी स्कूल के संचालकों की मनमानी रायगढ़ में चरम सीमा पर है और उन्होंने हदें भी पार कर दी है। रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक में कुंजेमुरा स्थित ओपी जिंदल स्कूल में पुस्तक दुकान के संचालक ने अपनी दुकान ही लगा ली और पालकों को पुस्तक वहीं से बेचने लगे। मामले की जानकारी मिलने पर हमारी टीम मौके पर पहुंची, जिसके बाद पुस्तक दुकान के संचालक ने पुस्तक बेचना बंद कर दिया, ओपी जिंदल स्कूल कुंजेमुरा में एक और बड़ी धांधली ही कह दें. स्कूल कई वर्षों से चल रहा है।
छत्तीसगढ़ बोर्ड से मान्यता प्राप्त स्कूल में कक्षा नर्सरी से कक्षा आठवीं तक सीबीएसई की पुस्तकें बेची और पढ़ाई जा रही है। रायगढ़ जिले के कुंजेमुरा में स्थित ओपी जिन्दल स्कूल 2009 में बनी, जिंदल ग्रुप का सपना था कि आदिवासी इलाके में सस्ते दरों में अच्छी शिक्षा दी छत्तीसगढ़ बोर्ड से मान्यता मिल गई लेकिन आदिवासी इलाके में स्कूल के द्वारा किस प्रकार से गुमराह पालकों और बच्चों के साथ किया जा रहा है। तस्वीर जो हमने अपने कैमरे में कैद किया है, ये जो पुस्तकें आप देख पा रहे होंगे ये सीबीएसई बोर्ड की पुस्तकें है।
लाखो का खेल
नर्सरी से कक्षा 8 वीं तक की जिसकी कीमत करीबन 3500 रूपए से 6500 तक की है। नर्सरी से 8 वी तक करीबन 800 बच्चे है, लगभग औसतन दर 4000 रुपए भी निकली जाये तो करीबन 32 लाख रुपये हो रहे हैं। जो बच्चों के पलकों के जेब मे सीधा डाका ऐसा इसलिए कहा जा रहा है.. क्योंकि छत्तीसगढ़ की सरकार स्कूल को मुफ्त में पुस्तक बच्चों को बांटने के लिए दी जाती है,उसे बच्चों को नही दी जाती बल्कि, कबाड़ी भाव मे बेच दी जाती है। मतलब आम तो आम, गुठलियों के भी दाम! आप को बता दे स्कूल पालको पर सिर्फ यह एहसान करता है कि उनको बच्चो को सिर्फ 9 वीं से 12 वीं के सीजीबीएसई ( सीजी बोर्ड ) की पुस्तकें से पढ़ाई करवाता देता हैं।
नोटिस-नोटिस खेल रह गए अधिकारी
पालकों द्वारा इस मामले में तमनार के विकास खंड शिक्षा अधिकारी को फ़ोन कर मामले की जानकारी दी। उन्होंने टीम भी भेजी। टीम में आये सदस्यों ने पुस्तक को जप्ती बनाने के बजाय स्कूल को नोटिस थमाया। जब उनके नोटिस का जवाब नही मिला तो अब बीईओ ने भी नोटिस थमा कर सिर्फ जवाब मांगा है, जबकि सब कुछ आँख के सामने हो रहा था।
लेकिन नोटिस-नोटिस के खेल में, विजय बुक डिपो संचालक जिसने दुकान लगाई थी, वह पुस्तक स्कूल से अपने दुकान ले गया अब लोग जिम्मेदार अधिकारीयो पर सवाल उठा रहे है।